शनिवार, 24 जनवरी 2015

अब कॉलेज-यूनिवर्सिटी का मुखिया बनने से पहले लेना होगा ज्ञान

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश में उच्च-शिक्षा के मामले में घटते सकल नामांकन दर (जीईआर), कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में अच्छे कुलपतियों-शिक्षकों की समस्या को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय चरणबद्ध सुधारों को लागू करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इसी कड़ी में अब मंत्रालय ने एक ऐसी योजना का डिजाइन तैयार किया है, जिसमें किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय का कुलपति या मुखिया बनने से पहले एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करना अनिवार्य होगा। मंत्रालय की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे बदलावों को लेकर तैयार की जा रही राष्टÑीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में भी इसे शामिल किया जा सकता है।

इस बात की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि आगामी 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर देशव्यापी विचार-विमर्श शुरू करने की घोषणा कर सकते हैं। पीएम की पहल पर शुरू हुआ प्रयास विश्वविद्यालयों में कुलपति या प्रमुख के पद पर नियुक्ति जैसी बड़ी जिम्मेदारी संभालने से पहले एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करना अनिवार्य होगा। मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव अमरजीत सिन्हा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेशनल मिशन आॅन टीचर्स अभियान की घोषणा के बाद मंत्रालय इस ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। पीएम बनने के बाद जब प्रधानमंत्री ने पहली बार एचआरडी मंत्रालय का दौरा किया तब भी उन्होंने देश में अच्छे शिक्षकों और कुलपतियों की कमी को लेकर चिंता जाहिर की थी और इस दिशा में कदम उठाने की हिदायत दी थी।

कोर्स के लिए यूजीसी का निर्देंश
मंत्रालय की योजना के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को कॉलेज का प्रिंसिपल या कुलपति नियुक्त करने से पहले एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करना अनिवार्य होगा। इसके लिए यूजीसी को मंत्रालय की ओर से निर्देंश दे दिया गया है। इस कोर्स के जरिए हमारी योजना एक ऐसा व्यक्तित्व खड़ा करने की होगी जो कि हर लिहाज से संस्थान का संचालन करने में सक्षम होगा। गौरतलब है कि राज्यों की ओर से भी अच्छे शिक्षकों और संस्थान प्रमुखों की कमी जैसे मुद्दे उठाए जाते रहे हैं।

एकेडमिक लीडरशिप के खुलेंगे पांच केंद्र
एचआरडी मंत्रालय जल्द ही एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करवाने वाले 5 केंद्र खोलेगा। इनमें कुलपति या प्रिंसिपल बनने से पहले उम्मीदवार को एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करवाया जाएगा। इस कोर्स के जरिए जहां उम्मीदवार को कॉलेज का बेहतर संचालन करने के गुर सीखाए जाएंगे वहीं उसकी कार्यप्रणाली में प्रोफेशनलिजम को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। राष्टÑीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) में भी शैक्षिक सुधारों से जुड़े कुछ मुद्दों को शामिल किया गया है, जिससे हमारा मकसद संस्थानों में पारदर्शिता लाना, प्रोफेशनलिजम को बढ़ावा देना, कार्यप्रणाली का पूर्ण कंप्युटराइजेशन करना है। कंप्युटराइजेशन में बच्चों के एडमिशन, फीस समेत आॅनलाइन शिक्षा और शिकायतों का तुरंत निपटारा करने से जुड़े मुद्दों का प्रावधान शामिल है। कई कॉलेजों में पूरी तरह से कंप्युटराइजेशन पद्धति को अपनाया जा चुका है।

चुनौती है शिक्षा में घटता जीईआर
शिक्षा में सकल नामांकन दर (जीईआर) बेहद कम है। पहली से आठवीं कक्षा तक ठीक है लेकिन उसके बाद लैंगिग स्तर, सामाजिक स्तर पर और क्षेत्रीय स्तर पर जीईआर की हालत ठीक नहीं है। उच्च शिक्षा में जीईआर 21 फीसदी है। इसमें कई तरह के कारक जिम्मेदार हैं जिनमें से एक अहम कारक अच्छे शिक्षकों और कॉलेज का संचालन करने वाले मुखियाओं की कमी का होना भी है।

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