रविवार, 18 जनवरी 2015

पारदर्शी होगी पर्यावरण-वन मंजूरी की प्रक्रिया, आॅनलाइन जांचे अपनी फाइल का मूवमेंट

कविता जोशी.नई दिल्ली
बीते वर्ष 26 मई को देश की सत्ता पर काबिज हुई नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के चर्चित मंत्रालय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कामकाज की प्रक्रिया पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। यहां एक कार्यक्रम में महिला पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की ओर से संस्थागत ढांचे से जुड़ी विभिन्न निर्माण परियोजनाओं के लिए वनीय और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को हम आॅनलाइन करने जा रहे हैं। अभी तक इस प्रक्रिया के तहत करीब 900 से ज्यादा प्रोजेक्टस आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।

आॅनलाइन जांचे अपनी फाइल का मूवमेंट
किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले आवेदक आॅनलाइन पर्यावरणीय और वनीय मंजूरी के लिए अप्लाई करेगा। एक बार आॅनलाइन आवेदन हो जाने से वो अपनी फाइल की मूवमेंट भी आॅनलाइन जांच परख सकेगा कि वो किस स्थिति में है।
आफिसों के चक्कर नहीं काटेंगी फाइलें पिछले सालों में रही यूपीए की सरकार के समय में पर्यावरण मंत्रालय को एक गतिरोधक यानि अचड़न पैदा करने वाले मंत्रालय,परियोजनाआें को लंबे समय तक लटकाने वाले के रूप में देखा जाता था। लेकिन हम स्थिति को बदलने जा रहे हैं। पिछली सरकार में फाइल एक आॅफिस से दूसरे आफिस में चक्कर काटती रहती थीं। लेकिन अब सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और अपना काम पूरा करना होगा। सबकी जिम्मेदारी होगी।

राज्यों की भी तय हो जिम्मेदारी
हमारा मंत्रालय चाहता है कि परियोजनाओं के मसले में राज्यों की भी जिम्मेदारी तय हो। सरकार मूलभूत ढांचे से जुड़ी योजनाआें जिनमें सड़क, रेल, पानी, ड्रिकिंग कैनाल्स वाले प्रोजेक्ट्स शामिल हैं और जो कि खासकर वनों से होकर निकलते हैं। कभी राज्य तो कभी जिलों की सीमा से यह गुजरते हैं। हम स्टेट्स को कप्लाइंस प्रोसेस में ज्यादा कारगर सहयोगी के रूप में शामिल करने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा राज्यों के लिए स्टैंडर्ड कंप्लायंस तैयार किया जा रहा है। हमारा कहना है कि अगर एक पेंड काटे तो तीन पेंड लगाएं। इसकी निगरानी भी की जाएगी। जिसमें हम चाहते हैं कि राज्यों की भी जिम्मेदारी तय हो। इससे जनरल अप्रूवल योजना का खाका भी तैयार होगा और कामकाज का तरीका बनेगा। रेल-सड़क जो भी पब्लिक प्रोजेक्ट्स हैं।

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