शनिवार, 10 जनवरी 2015

पर्यावरण की हरिझंडी से रफ्तार पकड़ेगा एलएसी के करीब सड़क निर्माण कार्य!

कविता जोशी.नई दिल्ली

पूर्वोत्तर में अरूणाचल-प्रदेश में सरकार चीन से लगने वाले इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का लक्ष्य बनाए हुए है। इसमें अरूणाचल में भारत की चीन संग लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास और दूर करीब 2 हजार किमी. लंबी सड़कों का जाल बिछाया जाना है। इनमें 22 सामरिक सड़कें होंगी जो देश की रक्षात्मक और सामरिक जरूरतों को पूरा करेंगी।

यहां शनिवार को राजधानी के महिला प्रेस क्लब में महिला पत्रकारों से मुखातिब हुए केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमारी पूर्ववर्ती सरकार को परियोजनाआें को वन-पर्यावरण संबंधी मंजूरी के नाम पर अटकाने, लागत में बढ़ोतरी करने और उनमें देरी के लिए जाना जाता था। लेकिन बीते वर्ष 26 मई को बनी नई सरकार के बाद हमारी प्राथमिक्ताआें में सीमा पर संस्थागत ढांचे को तेजी से विकसित करने को लक्ष्य बनाया गया है।

100 किमी. के दायरे में परियोजनाएं मंजूर
पूर्वोत्तर में एलएसी के करीब 100 परियोजनाएं लंबित पड़ी थीं। हमने नीतिगत फैसला लिया कि देश की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा दोनों बेहद जरूरी है। इसके आधार पर मंत्रालय ने एलएसी के करीब 100 किमी. के दायरे में पड़ने वाली तमाम परियोजनाआें को पर्यावरण और वन संबंधी मंजूरी दे दी है। इसके बाद निर्माण कार्य को लेकर पर्यावरणीय-वनीय मंजूरी से जुड़ी कोई चुनौती नहीं रह गई है।

चीन का विरोध
हरिभूमि ने एलएसी के करीब होने वाले निर्माण पर जब चीनी आपत्ति को लेकर सवाल किया तो पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। यहां बता दें कि बीते 30 दिसंबर को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी रक्षा संवाददाताआें से हुई बातचीत में हरिभूमि के प्रश्न के जवाब में कहा था कि अरूणाचल-प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। हम अपनी जमीन पर कुछ भी निर्माण कार्य कर सकते हैं, उसमें किसी और को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन चीन अरूणाचल को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा कहकर उसे चीन का हिस्सा बताकर विवादित इलाका मानता है और भारत द्वारा वहां की जाने वाली किसी भी गतिविधि का विरोध करता है।

एलएसी के करीब बनने वाली सड़कें
भारत यहां 22 सामरिक सड़कों का निर्माण करने जा रहा है। इसमें अरूणाचल की 8 घाटियां (अपर सुबानसीरी, लोअर सुबानसीरी, दवांग, दीचू, मैंचुका) बेहद अहम हैं, जिनसे होकर करीब 7 सड़कें सीधे एलएसी के करीब तक बनाई जाएंगी। इनमें प.बंगाल के सुकना-कैलिंगपॉंग से नाथुला बॉर्डर (सिक्किम) तक बननी है। एक सड़क असम में मीसामारी से भालुंगपॉंग से टैंगा होकर तवांग तक बनाई जाएगी। असम प्लेंस से एक सड़क अरूणाचल के दीचू तक बनाई जानी है। दीचू से एलएलसी के पिन प्वाइंट फिशटेल तक आवाजाही बढ़ेगी। अरूणाचल के तेजू से मैंचुका होकर मनीगाँग तक एक सड़क बनेगी।

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