शनिवार, 24 जनवरी 2015

‘एक पेड़ कटेगा तो तीन पेड़ लगेंगे’ होगा हरियाली का गुरुमंत्र

कविता जोशी.नई दिल्ली

पूर्ववर्ती सरकार बनाम पर्यावरण मंत्रालय की छवि आम जनमानस के बीच रोड ब्लॉकर, विकास योजनाओं को लंबित रखने, परियोजना की लागत बढ़ाने वाले महकमे की रही है। लेकिन नई सरकार का लक्ष्य डेवलपमेंट विदाउट डिसटरबेंस का है। इसे हकीकत में अमलीजामा पहनाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने एक गुरुमंत्र भी दिया है, जिसमें स्पष्ट है कि किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना व विकास से जुड़े अन्य कार्यों के लिए अगर एक पेड़ काटा जाता है तो तीन पेड़ लगाने होंगे।

हरियाली बनाए रखने की पहल
केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हाल में यहां पत्रकारों से हुई औपचारिक बातचीत में कहा कि हरियाली को बनाए रखने के लिए हमारी नीति होगी कि अगर किसी विकास कार्य के लिए एक पेड़ भी काटा जाता है तो उसकी जगह पर तीन पेड़ लगाने होंगे। यही नीति देश में लागू होगी जिसकी निगरानी को हम राज्यों के साथ मिलकर करेंगे। हरियाली बढ़ाने के लिए 24 फीसदी वन भूमि का चयन किया है, जिसमें से 9 फीसदी

घटता हुआ वन क्षेत्र है।
100 करोड़ का हरियाली बजट पर्यावरण मंत्रालय की ओर से फरवरी में पेश किए जाने वाले आम बजट में हरियाली और विकास में संतलुन लाने के लिए 100 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की जाएगी। इसके अलावा मंत्रालय ने अतिरिक्त वनीकरण करने के लिए हाल में 33 हजार करोड़ रुपए का कैंपा (कंपेनसेट्री एफॉरेस्ट्रेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग) फंड भी जारी किया है। इस दिशा में राज्यों को बराबर सहभागिता दिखानी होगी जिससे हमें हरियाली बढ़ाने और सघन वनों की घटती रफ्तार को रोकने में मदद मिलेगी। इस पहल से हमें बड़ा कार्बन सिंक बनाने में आसानी होगी।

20 फीसदी वनों का विकास के लिए इस्तेमाल
विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए सरकार को केवल 20 फीसदी वनों की आवश्यकता है। अभी हमारे पास 70 फीसदी वनीय क्षेत्र घटता हुआ है, जिसमें से हम 20 फीसदी का इस्तेमाल करेंगे और बाकी को स्थानीय निकायों को विकसित करने में मदद पहुंचाएंगे।

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