सोमवार, 5 जनवरी 2015

असम हिंसा मामले पर सेना ने की तुरंत कार्रवाई: पर्रिकर

कविता जोशी.नई दिल्ली

असम में कुछ दिन पहले बोडो उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों के नरसंहार पर सेना ने सबसे पहले कार्रवाई की। इस घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने का बेड़ा उठाया। यह जानकारी बीते मंगलवार रात यहां राजधानी में रक्षा संवाददाताओं से हुई एक अनौपचारिक मुलाकात में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दी। उन्होंने असम हिंसा में सेना द्वारा देर से कार्रवाई करने को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कहा कि सेना ने इस मामले में कोई देरी नहीं की। गौरतलब है कि इस नरसंहार में नेशनल डेमोके्रटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के उग्रवादियों ने 80 से ज्यादा आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया जिसमें ज्यादातर मासूम बच्चे और महिलाएं शामिल थी। यह घटना असम के तीन जिलों सोनितपुर, चिरांग और कोकराझार में हुई।

टीवी पर खबर आने से पहले की कार्रवाई
रक्षा मंत्री ने कहा कि असम की इस घटना की जैसे ही मुझे जानकारी मिली। मैंने सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को तलब कर मामले पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देंश दिए। यहां बता दें कि घटना के बाद सेनाप्रमुख ने असम का दौरा भी किया था। पर्रिकर ने कहा कि जब रक्षा मंत्रालय की ओर से यह कदम उठाया जा रहा था तब तक इस बारे में टेलिविजन चैनलों पर भी कोई खबर नहीं दिखाई जा रही थी।

स्थानीय प्रशासन ने मांगी मदद
असम में आदिवासियों के साथ जो नरसंहार की घटना हुई। वो असम के स्थानीय कानून-व्यवस्था से जुड़ा हुआ मामला है। हम इस तरह के मामलों में हम सीधे कार्रवाई नहीं कर सकते। यहां भी हमें स्थानीय प्रशासन की ओर से मदद देने की मांग की गई थी। तभी हमने अभियान चलाने के लिए सेना के 73 कॉलम रवाना किए।

जीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर
सैन्य उपकरणों की एक के बाद एक हो रही दुर्घटनाओं को लेकर रक्षा मंत्री ने कहा कि हम जीरो टॉलरेंस की नीति चाहते हैं। मैं यह मानता हूं कि इन दुर्घटनाओं की संख्या शून्य पर आनी चाहिए। लेकिन यहां यह तथ्य भी बेहद महत्वूपर्ण है कि इन हादसों की रफ्तार को एकदम नहीं रोका जा सकता लेकिन हमें शून्य की तरफ जाना चाहिए। बीते दिनों संसद की रक्षा मामलों की संसदीय समिति की रिपोर्ट में वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रनों की संख्या कम करके 25 बताने को लेकर पर्रिकर ने कहा कि अभी सुखोई विमानों की स्क्वाड्रनों की संख्या 35 हैं। हमें कुल 42 स्क्वाड्रन चाहिए। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष उनके द्वारा नवंबर महीने में मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद तीन हादसे हुए हैं। जिसमें नौसेना का टॉरपीडो रिकवरी विहिकल (टीआरवी) से जुड़ा हादसा भी शामिल है।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें