हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
बीते शनिवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा वायुसेना को सौंपे गए पहले तेजस विमान को अपने असली लड़ाकू चेहरे यानि युद्धक-मारक क्षमता के साथ परिपूर्ण रूप में दुनिया के सामने आने में वक्त लगेगा। क्योंकि इसे केवल रक्षा मंत्री की वायुसेना को जहाज की सांकेतिक भेंट ही कहा जा सकता है।
फॉइनल आॅपरेशनल क्लेरेंस में वक्त लगेगा
वायुसेना के सूत्रों ने हरिभूमि से बातचीत में इसकी पुष्टि की है कि अभी यह वायुसेना को विमान की केवल सांकेतिक भेंट ही है। इसके बाद अब लगभग इस साल के अंत तक या फिर अगले वर्ष तक ही विमान को अंतिम आॅपरेशनल क्लेरेंस (एफओसी) मिलेगा। यहां बता दें कि एफओसी मिलने के बाद ही किसी विमान को शत-प्रतिशत लड़ाकू विमान समझा जाता है। इस प्रक्रिया में विमान को उसके असली लड़ाकू चेहरे यानि युद्धक क्षमता से परिपूर्ण बनाने के लिए लंबी दूरी तक दुश्मन को मार करने वाली मिसाइलें फिट की जाएंगी, हवा में र्इंधन भरने की क्षमता का विकास किया जाएगा। इसके अलावा अन्य जरूरी युद्धक सामग्री लगाई जाएगी।
वायुसेना के अधिकृत पॉयलट उड़ाएंगे विमान
एक बार रक्षा मंत्री द्वारा वायुसेना को विमान दिए जाने के बाद इसका यह लाभ होगा कि हमारे जो अधिकृत लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पॉयलटों को इसे उड़ाने का मौका मिलेगा। यह उनके लिए विमान से रू-ब-रू होने से लेकर उसपर अभ्यास करने का एक बेहतरीन मौका होगा। गौरतलब है कि इससे पहले तेजस विमान को वायुसेना के प्रशिक्षु पॉयलेट ही उड़ा रहे थे।
20 विमानों से बनेगी एक स्क्वॉड्रन
अभी वायुसेना को एचएएल ने एक तेजस विमान सौंपा है। लेकिन उसे करीब अपनी एक युद्धक स्क्वाड्रन बनाने के लिए करीब 20 तेजस विमानों की आवश्यक्ता है जो अब धीरे-धीरे आते रहेंगे।
बीते शनिवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा वायुसेना को सौंपे गए पहले तेजस विमान को अपने असली लड़ाकू चेहरे यानि युद्धक-मारक क्षमता के साथ परिपूर्ण रूप में दुनिया के सामने आने में वक्त लगेगा। क्योंकि इसे केवल रक्षा मंत्री की वायुसेना को जहाज की सांकेतिक भेंट ही कहा जा सकता है।
फॉइनल आॅपरेशनल क्लेरेंस में वक्त लगेगा
वायुसेना के सूत्रों ने हरिभूमि से बातचीत में इसकी पुष्टि की है कि अभी यह वायुसेना को विमान की केवल सांकेतिक भेंट ही है। इसके बाद अब लगभग इस साल के अंत तक या फिर अगले वर्ष तक ही विमान को अंतिम आॅपरेशनल क्लेरेंस (एफओसी) मिलेगा। यहां बता दें कि एफओसी मिलने के बाद ही किसी विमान को शत-प्रतिशत लड़ाकू विमान समझा जाता है। इस प्रक्रिया में विमान को उसके असली लड़ाकू चेहरे यानि युद्धक क्षमता से परिपूर्ण बनाने के लिए लंबी दूरी तक दुश्मन को मार करने वाली मिसाइलें फिट की जाएंगी, हवा में र्इंधन भरने की क्षमता का विकास किया जाएगा। इसके अलावा अन्य जरूरी युद्धक सामग्री लगाई जाएगी।
वायुसेना के अधिकृत पॉयलट उड़ाएंगे विमान
एक बार रक्षा मंत्री द्वारा वायुसेना को विमान दिए जाने के बाद इसका यह लाभ होगा कि हमारे जो अधिकृत लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पॉयलटों को इसे उड़ाने का मौका मिलेगा। यह उनके लिए विमान से रू-ब-रू होने से लेकर उसपर अभ्यास करने का एक बेहतरीन मौका होगा। गौरतलब है कि इससे पहले तेजस विमान को वायुसेना के प्रशिक्षु पॉयलेट ही उड़ा रहे थे।
20 विमानों से बनेगी एक स्क्वॉड्रन
अभी वायुसेना को एचएएल ने एक तेजस विमान सौंपा है। लेकिन उसे करीब अपनी एक युद्धक स्क्वाड्रन बनाने के लिए करीब 20 तेजस विमानों की आवश्यक्ता है जो अब धीरे-धीरे आते रहेंगे।
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