रविवार, 18 जनवरी 2015

तो आजादी के दो साल बाद 1949 में आजाद हुई सेना...

कविता जोशी.नई दिल्ली

अग्रेंजी हुकूमत के भारत पर करीब 89 वर्षों तक (1858 से 1947 तक) राज करने के बाद हमें 15 अगस्त 1947 को खुली हवा में सांस लेने का मौका मिला। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश को ब्रितानी शासन से मुक्ति मिलने के करीब दो साल बाद तक हमारी भारतीय सेना अग्रेंजी हुकूमत की बेड़ियों में ही जकड़ी हुई थी और इसके कमांडर-इन-चीफ एक ब्रिटिश मूल के अधिकारी फ्रांसिस बूचर थे। इसके पीछे एक वजह तत्कालीन सरकार द्वारा 1947 में आजादी के बाद के दो सालों में भारतीय सेना के लिए एक प्रथक संघीय ढांचा तैयार करना था जो केवल भारतीय सीमाआें की रक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित और प्रतिबद्ध हो।

इस साल भी गुरुवार यानि 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाएगा और उससे पहले मंगलवार 13 जनवरी को सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से रूबरू होंगे।

15 जनवरी 1949 को मिली आजादी
अंग्रेजी हुकूमत से भारतीय सेना को 15 जनवरी 1949 को पूरी तरह से आजादी मिली। इसी दिन की याद में भारत में प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को सेना की आजादी के जश्न के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जनरल के.एम.करियप्पा को भारतीय सेना का कमांडर-इन-चीफ बनाया गया था। इस तरह से जनरल करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेनाप्रमुख बने थे। इसके पहले यह अधिकार ब्रिटिश मूल के अधिकारी फ्रांसिस बूचर के पास था और वो इस पद पर थे।

1948 में केवल 2 लाख थी सेना
देश की आजादी के एक साल बाद यानि 1948 तक भारतीय सेना में केवल 2 लाख सैनिक ही थे। लेकिन अब करीब 11 लाख 30 हजार सैनिक-असैनिक(अधिकारी) थलसेना में अलग-अलग पदों पर आसीन हैंं। सेना के प्रशासनिक एवं सामरिक कार्य संचालन का अधिकार सेनाप्रमुख के पास होता है। रक्षा पंक्ति में भी थलसेना को प्रथम यानि प्रधान स्थान दिया गया है।

शहीदों को दी जाती है श्रंद्धाजलि सेना दिवस के दिन राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इसी दिन सेनाप्रमुख दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले जवानों और लड़ाई के दौरान देश के लिए बलिदान करने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना मैडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं। सेना दिवस के दिन दिल्ली में आयोजित परेड के दौरान अन्य देशों के सैन्य अतिथियों और सैनिकों के परिवारों को बुलाया जाता है।

सेना इस दौरान जंग का एक नमूना भी पेश करती है और अपने प्रतिक्रिया कौशल और रणनीति के बारे में भी बताती है। परेड का उद्देश्श्य इस परेड और हथियारों के प्रदर्शन का उद्देश्य दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराना है। साथ ही देश के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना भी है। थलसेना दिवस पर शाम को सेनाप्रमुख चाय पार्टी का आयोजन करते हैं, जिसमें तीनों सेनाआें के सर्वोच्च कमांडर यानि राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, वायुसेना और नौसेनाप्रमुखों सहित कई गणमान्य अतिथि भी शामिल होते हैं।

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