शनिवार, 24 जनवरी 2015

युद्धक भूमिका में आने को बेताब हैं नौसेना की महिला अधिकारी!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

भारतीय सीमाओं की रक्षा के दौरान दुश्मन का मुकाबला करते हुए आमतौर पर पुरूषों को ही देखा-सुना जाता है। लेकिन अब वो दिन दूर नहीं जब भारत में भी सेनाआें की हर शाखा में महिला अधिकारियों को युद्धक भूमिका में देखा जा सकेगा। नौसेना के यहां राजधानी में मौजूद सूत्रों का कहना है कि अभी नौसेना की ओर से इस तरह का कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है। लेकिन भविष्य में अगर सरकार की ओर से इस तरह का कोई विचार आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे। लेकिन इससे इतर नौसेना की महिला अधिकारी से जब इस बाबत हरिभूमि ने सवाल किया तो उन्होंने बेहद उत्साहित अंदाज में कहा कि युद्ध के दौरान वो पुरूष अधिकारियों के साथ ना केवल कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी बल्कि उनसे भी एक कदम आगे बढ़कर दुश्मन से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं।

आगे बढ़कर करेंगे दुश्मन का मुकाबला
नौसेना की मुंबई डॉकयार्ड की एजूकेशन ब्रांच में तैनात 27 वर्षीय युवा अधिकारी सुरभि गांधी ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि इस बार वो 26 जनवरी को परेड में नौसेना के महिला दस्ते के साथ राजपथ पर लेफ्ट-राइट करेंगी। इसमें उनके साथ उनकी सगी बहन सलोनी गांधी (25 वर्ष) भी होंगी। सलोनी भी नौसेना की एक अधिकारी हैं। सुरभि का कहना है कि नौसेना की कार्यप्रणाली खासतौर पर समुद्र और जंगी जहाजों से जुड़ी हुई है। अगर सरकार की ओर से महिला अधिकारियों को युद्धपोतों और जंगी जहाजों में तैनाती का प्रस्ताव आता है तो इसके लिए हम बिलकुल तैयार हैं। एक बार तैनाती के बाद हम युद्ध में पुरूषों से भी एक कदम आगे बढ़कर दुश्मन के दांत खट्टे करने का माद्दा रखती हैं। इसमें अपनी मातृभूमि की एक-एक इंच की
रक्षा के लिए हम किसी भी चुनौती का सामना करने को तत्पर और तैयार हैं।

राजपथ पर महिलाएं हैं आकर्षण
हिमाचल-प्रदेश की रहने वाली सुरभि कहती हैं कि जब पिछले दिनों मैंने राजपथ पर परेड से पहले अभ्यास में भाग लिया तो देखा कि आस-पास खड़े लोग महिलाओं को देखकर काफी खुश हैं और हमारे लिए एक खास आकर्षण उनमें देखने को मिल रहा था। कई लोग आते-जाते वक्त हमें अभ्यास करते हुए देखकर कुछ देर जरूर रूक जाते थे और हमें टकटकी लगाकर देखते थे।

ओबामा के आने से पहले ही बढ़ गया उत्साह
मैंने जब राजपथ पर परेड अभ्यास किया तो मेरे मन में यह ख्याल बार-बार आ रहा था कि जैसे आज 26 जनवरी हो और मैं अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा के सामने राजपथ पर मार्च कर रही हूं। ओबामा के आने को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। सुरभि गणतंत्र दिवस परेड में दूसरी बार शिरकत कर रही हैं। इससे पहले बीते वर्ष 2014 में उन्होंने अमर जवान ज्योति पर मौजूद सेनाओं के तीन गार्डों (थलसेना, वायुसेना, नौसेना के तीन गार्ड होते हैं, जिनकी एक-एक अधिकारी अगुवाई करता है।) में नौसेना के गार्ड की अगुवाई की थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा परेड की शुरूआत से पहले अमर जवान ज्योति पर श्रंद्धाजलि अर्पित करने के दौरान उन्हें सलामी दी थी। लेकिन उस वक्त सेनाओं का पूरा महिला दस्ता परेड में भाग नहीं लेता था।

परेड में दो बहनों का कमाल
परेड में महिला दस्ते में दो सगी बहनें एक-साथ लेफ्ट-राइट करती हुई नजर आएंगी। इसमें से एक थलसेना की युवा लेफ्टीनेंट प्रभजोत दावेता और वायुसेना की फ्लाइंग आॅफिसर रमणिक दावेता शामिल हैं। दोनों का कहना है कि वो अपने पिता के प्रोत्साहन की वजह से सशस्त्र सेनाआें के दो महत्वपूर्ण अंगों सेना और वायुसेना में शामिल हुई हैं। देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौच्छावर करने के जज्बे की वजह से यह दोनों बहनें सेनाओं से जुड़ी और इस बार परेड का हिस्सा बनकर खासी उत्साहित भी हैं। इससे यह साफ हो जाता है कि सशस्त्र सेनाएं केवल पुरूषों के लिए ही नहीं बल्कि महिलाआें के लिए भी एक पसंदीदा केरियर का विकल्प बनता जा रहा है।

25 थीम संग 26 जनवरी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मंत्रणाएं शुरू

कविता जोशी.नई दिल्ली

बीते वर्ष 26 मई को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नई सरकार के गठन के बाद शिक्षा के क्षेत्र व्यापक बदलाव की तैयारियां मानव संसाधन विकास मंत्रालय में चल रही हैं। 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षा नीति से जुड़ी देशव्यापी मंत्राणाओं का आगाज कर सकते हैं। यहां केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की ओर से आयोजित एक निजी कार्यक्रम से इतर मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में संयुक्त सचिव जॉहने आलम ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर मंत्रालय में काफी तेजी से काम कर रहा है।

25 थीम पर होंगी देशव्यापी मंत्रणाएं
संयुक्त सचिव ने कहा कि इस व्यापक नीति का अंतिम प्रारूप तैयार करने से पहले मंत्रालय की योजना देश भर में हर स्तर पर विस्तृत विचार-विमर्श करने की है। मंत्रालय ने इसके लिए कुल 25 थीम बनाई गई हैं, जिनमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च-शिक्षा से जुड़े हर छोटे-बड़े विषय को शामिल किया गया है और उन्हें चर्चाआें में शामिल किया जाएगा।

12वीं बोर्ड परीक्षा लाने पर असमंजस
बीते वर्ष के अंत में जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां एचआरडी मंत्रालय में स्कूल-कॉलेज के बच्चों से मुलाकात की तो उनमें से ज्यादातर बच्चों का कहना था कि दसवीं कक्षा में बोर्ड की परीक्षा को दोबारा शुरू करना चाहिए। लेकिन कई राज्यों की ओर से पुन: बोर्ड परीक्षा शुरू करने को लेकर अरूचि जताई गई है। अरूचि जताने वाले राज्यों के नामों का खुलासा ना करते हुए उन्होंने कहा कि 26 जनवरी से शुरू हो रहे देशव्यापी मंत्रणा के दौर में दसवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को दोबारा शुरू करना भी एक थीम जरूर होगा जिस पर राज्यों से बात की जाएगी।

जून तक परा हो जाएगा मंत्रणा का कार्य
26 जनवरी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर मंत्रणाओं का दौर शुरू होगा और इसे जून महीने तक पूरा कर लिया जाएगा। यहां बता दें कि बीते 6 जनवरी को यहां राजधानी में हुए शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि इस मुद्दे पर हम देश भर में जाएंगे। केंद्र में बैठकर फरमान नहीं चलाएंगे। मैं और मेरे दोनों शिक्षा राज्य मंत्री और मंत्रालय के तमाम अधिकारी जिला स्तर से लेकर ब्लॉक, पंचायत स्तर तक जाकर राज्यों से बातचीत करेंगे और उनके सुझावों, चुनौतियों और अन्य जरूरी मुद्दों से सीधे रूबरू होंगे।

बड़ी आतंकी वारदात की आहट, दिल्ली-एनसीआर के होटलों की तलाशी शुरू

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बीते वर्ष के अंत में जब भारत सरकार को 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस परेड के लिए दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुख्य अतिथि के तौर पर आगमन की सूचना मिली तो उसके बाद से ही पड़ोसी पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान में मौजूद तमाम खूंखार आतंकी संगठनों की मानो जैसे बांछें ही खिल गई हैं। उन्हें यह सब अपने दुश्मन नंबर वन यानि अमेरिकी राष्टÑपति के समक्ष आतंक का तांडव दिखाने के सुनहरी मौके से कम नहीं लग रहा है, जिसे वो किसी भी कीमत पर गवाना नहीं चाहते। ऐसे में भारत भी आतंकियों के रडॉर पर आ गया है। लेकिन एहतियात के तौर पर तमाम प्रशासनिक और सुरक्षा एजेंसियों ने राजधानी दिल्ली और एनसीआर के होटलों का सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। आए दिन खुफिया ब्यूरो व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी आतंकी वारदात से जुड़ी सूचनाएं मिल रही हैं।

दिल्ली-एनसीआर के होटलों की सघन तलाशी
अमेरिकी राष्टÑपति के आगमन की सूचना के बाद से ही देश की सुरक्षा हाई-अलर्ट पर है। इसमें भी 26 जनवरी को परेड का मुख्य स्थल राजधानी दिल्ली से लेकर नोएडा, गुडगांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद जैसे एनसीआर में मौजूद तमाम फाइव और थ्री स्टार होटलों की सघन तलाशी की जा रही है। इसमें स्थानीय पुलिस के अलावा तमाम सुरक्षा एजेंसियां शामिल हैं। इसमें रोजाना के आधार पर होटलों में आने-जाने वाले लोगों की जांच पड़ताल की जा रही है।

आतंकी वारदात का जाएगा बड़ा संदेश
सेना के खुफिया ब्यूरो के सूत्रों का कहना है कि इस वक्त भारत-पाक नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर जहां अतिरिक्त फौज की तैनाती कर दी गई है। रोजाना सीमाआें पर की जाने वाली सशस्त्र सेनाआें की गश्त भी बढ़ा दी गई है। भारत को पेशावर में हुए हमले के बाद से लगभग रोजाना आतंकी वारदात की धमकियां मिल रही हैं, जिसके पीछे पाक का मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद और अन्यों की बौखलाहट साफ नजर आ रही है। एक आतंकी वारदात चाहे वो राजधानी में हो या फिर उसके बाहर आतंकियों को अपना संदेश अमेरिकी राष्टÑपति तक पहुंचाने के लिए काफी होगा।

रविवार को मिलेंगे ओबामा-मोदी
रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रविवार 25 जनवरी को एक अहम बैठक होगी जिसमें दोनों देश मौजूदा से लेकर भविष्य में किए जाने वाले अहम समझौतों पर चर्चा करेंगे। इसमें सुरक्षा और सामरिक समझौते भी शामिल हैं। ओबामा का दौरा तीन दिन का है, जिसमें 25 से लेकर 27 जनवरी तक वो भारत में रहेंगे। 26 जनवरी को परेड में शिरकत करेंगे और 27 जनवरी को आगरा देखने जाएंगे।

6 कॉमेंटेटरों की आवाज से सजी होगी परेड की कॉमेंट्री

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

गणतंत्र दिवस परेड में ओबामा आकर्षण से बचने का किसी के पास कोई चांस नहीं है। साज-सजावट से लेकर राजधानी व एनसीआर के चप्पे-चप्पे की सघन तलाशी और सुरक्षा तो चल ही रही है। वहीं पेरड की कॉमेंट्री भी इस बार खास अंदाज में होने जा रही है। बीते वर्षों तक जहां कॉमेंटेटरों की संख्या 4 होती थी। इस बार ओबामा अट्रेक्शन की वजह से उसे बढ़ाकर 6 कर दिया गया है।

विंग क मांडर तिवारी करेंगी शुरूआत
वायुसेना की महिला अधिकारी विंग कमांडर सुजाता तिवारी परेड की कॉमेंट्री की शुरूआत सुबह 9 बजे करेंगी। उन्होंने 23 जनवरी को यहां राजधानी में परेड की फुलड्रेस रिहसल के दौरान हिंदी-अग्रेंजी भाषाआें में अपनी प्रस्तुती का नमूना पेश किया। इस बाबत हरिभूमि से हुई खास बातचीत में तिवारी ने कहा कि मैं 26 जनवरी को अपनी कॉमेंट्री की शुरूआत अंग्रेजी में ‘देयर एवरी टू माइल्स द टेस्ट आॅफ वॉटर चेंजेज एंड एवरी फोर माइल्स द डॉयलेक्ट आॅर द लैंगवेज सच लैंड आॅफ ग्रेट कल्चरल हेरीटेज एंड डॉयवर्सिटी कॉल्ड इंडिया’ वाक्य से करूंगी और बीच में होने वाले फ्लाईपास्ट को हिंदी में करूंगी। यहां बता दें कि विंग कमांडर तिवारी बीते 10 वर्षों से 26 जनवरी की परेड की कॉमेंट्री कर रही हैं। यह उनका 11 वां साल है। हर बार की तरह उनका उत्साह बना हुआ है और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का आगमन उन्हें भी मन ही मन पुलकित कर रहा है, जिसे उन्होंने बातचीत में जाहिर नहीं किया।

ये हैं 6 कॉमेंटेटर और उनका परिचय
इस बार परेड की कॉमेंट्री 6 लोग करेंगे जबकि बीते वर्षों के दौरान केवल 4 ही कॉमेंटेटर होते थे। इस बार हिंदी की कॉमेंट्री मनीषा दुबे (दूरदर्शन नेशनल में फ्रीलांस एंकर), विंग कमांडर सुजाता तिवारी (वायुसेना की अधिकारी), अरूण वोहरा (अकाशवाणी) करेंगे। इसके अलावा अंग्रेजी की कॉमेंट्री कर्नल नायर (सेना में कार्यरत अधिकारी), ओमप्रकाश दास (दूरदर्शन), अर्पिता करेंगी। कॉमेंटेटरों की संख्या में इजाफा करने के पीछे रक्षा मंत्रालय का तर्क है कि इससे एक-दो आवाज से होने वाली ऊब नहीं होगी, श्रोताआें को अलग-अलग आवाजें सुनने को मिलेंगी और गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

जोश में हैं वोहरा-नायर
रक्षा मंत्रालय के जिन सूत्रों ने फुलड्रेस रिर्हसल की कॉमेंट्री सुनी उनका कहना है कि अंग्रेजी के कॉमेंटेटर कर्नल नायर और हिंदी के अरूण वोहरा की आवाज में कॉमेंट्री करते वक्त ज्यादा जोश सुनने को मिला। इस जोश और उत्साह का आनंद बाकी देशवासी 26 जनवरी को उठा सकेंगे।

संकटग्रस्त इलाकों में बाघों को बचाने की चुनौती बरकरार!

कविता जोशी.नई दिल्ली

केंद्रीय पर्यावरण-वन मंत्रालय की बाघों की गणना पर हालिया जारी रिर्पोट के अनुसार देश में बाघों की संख्या में बीते तीन वर्षों में 30 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 2 हजार 226 पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा मंत्रालय के राष्टÑीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा हर तीन साल में जारी किया जाता है। लेकिन इस ताजे आंकड़ें का विश्लेषण करने पर पता चला कि बाघों की कई अहम प्रवास स्थलियों में उनकी संख्या मेंं बीते वर्षों की तुलना में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। कई जगहों पर पहले की गई दो गणनाओं मेंं बाघों की संख्या का आकलन नहीं किया जा सका या बाघों की मौजूदगी नकारात्मक थी। ऐसे में बाघों की संख्या बढ़ाने के अलावा उनके संरक्षण की चुनौती का यथावत बनी हुई है कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।

शिवालिक-गंगा प्लेन लैंडस्केप कॉमप्लेक्स
बाघों की संख्या की गणना उनकी 6 अहम प्रवास स्थलियों के आधार पर की जाती है। शिवालिक-गंगा प्लेन लैंडस्केप कॉमप्लेक्स में 485 है। इस क्षेत्र में उत्तराखंड, बिहार और यूपी राज्य आते हैं, जिसमें बिहार की हालत बाघों के मामलों में खराब नजर आती है। यहां बीते 8 सालों में मात्र 10 बाघ ही बढ़े हैं। साल 2006 की गणना में बिहार में बाघों की संख्या 10 थी और साल 2010 में ये 8 थी जो कि नकारात्मक ट्रेंड था और अब हालिया आई गणना में यहां बाघों की संख्यां 10 है यानि केवल 2 बाघ ही ज्यादा हैं। कुल आंकड़ा 28 पर पहुंच गया है। इशारा साफ है कि बिहार में बाघों की संख्या को बढ़ाने से लेकर उनके लिए महफूज संरक्षणी स्थलों को बनाए रखने की चुनौती बरकरार है।

सेंट्रल इंडियन लैंडस्केप एंड ईस्टर्न घाट लैंडस्केप कॉमप्लेक्स
इस लैंडस्केप में तीन गणनाआें में बाघों की कुल संख्या 688 है। इस लैंडस्केप में छग, मप्र, आंध-प्रदेश, महाराष्टÑ, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड जैसे राज्य आते हैं। इनमें छग में बीते वर्षों की तुलना में केवल 20 बाघ ही बढ़े हैं। मप्र में केवल 11 बाघ बढ़े हैं और ओड़िशा में बीती गणना की तुलना में 4 बाघ कम हुए हैं और आंकड़ा 28 पर पहुंच गया है। इसके अलावा झारखंड में बीती गणना की तुलना में 7 बाघ कम हुए हैं और उनकी संख्या 3 हो गई है, पहले यह 10 थी।

वेस्टर्न घाट लैंडस्केप कॉमप्लेक्स
इस कॉमप्लेक्स में बाघों की कुल संख्या 776 है, जिनमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गोवा जैसे राज्य आते हैं। यहां गोवा का प्रदर्शन सबसे निराशाजनक रहा है। पहले दो बार (2006 और 2010) यहां जनगणना ही नहीं हो पाई और इस बार की गणना में भी बाघों की संख्या 5 ही मिली है। यहां भी बाघों के संरक्षण की चुनौती बरकरार है।

नार्थ ईस्टर्न हिल्स और ब्रह्मपुत्र फ्लड प्लेंस
इस कॉमप्लेक्स में असम, अरूणाचल, मिजोरम, नार्थ-वेस्ट बंगाल, नार्थ ईस्ट हिल्स एंड ब्रह्मपुत्र और सुंदरबन शामिल है। अरूणाचल में 2010 में गणना नहीं हुई और इस बार बाघों की संख्या 28 बताई गई है। मिजोरम में बाघों की संख्या घटी है और 5 के मुकाबले 3 पर पहुंच गई है। नार्थ वेस्ट बंगाल में दूसरी बार गणना नहीं हुई और इस बार बाघों की संख्या मात्र 3 है, जबकि यह देश-दुनिया में बाघों की पंसदीदा प्रवास स्थलियों में से एक माना जाता है। सुंदरबन में 76 बाघ बताए जा रहे हैं। वर्ष 2006 में यहां गणना नहीं हो सकी थी। दूसरी गणना (2010) में 70 बाघ थे यानि इस बार केवल तीन साल में सुंदरबन में केवल 6 बाघ ही बढ़े हैं, यहां भी चुनौती बरकरार है।  

1965 के युद्ध की पुरातन स्मृतियां समेटे निकलेगी वायुसेना की झांकी

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

यूं तो पाकिस्तान के साथ भारत ने आजादी के बाद करीब 4 लड़ाईयां लड़ी हैं। इनमें 1999 में हुई करगिल की लड़ाई हमारे जहन में मौजूद ताजातरीन याद के रूप है। लेकिन वायुसेना ने इस बार गणतंत्र दिवस परेड में भारत-पाक के बीच 1965 के युद्ध की धुंधली पड़ चुकी स्मृतियों को झांकी के रूप में पुन: जीवंत करने करने की कोशिश की है। इसकी झलक 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में देखने को मिलेगी। यहां बता दें कि वर्ष 1965 की लड़ाई को दूसरे कश्मीर युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पहले कश्मीर युद्ध के रूप में 1947 की लड़ाई को याद किया जाता है।

थीम:1965 के युद्ध के पचास वर्ष
यहां राजधानी में मौजूद वायुसेना के सूत्रों ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि इस बार गणतंत्र दिवस परेड में वायुसेना की झांकी की थीम ह्य1965 की लड़ाई के पचास वर्षह्ण होगी। इसमें हमने 1965 की लड़ाई में दुश्मन के दांत खट्टे कर चुके वायुसेना के पांच प्राचीन लड़ाकू-परिवहन विमानों को मॉडल के जरिए लोगों को दिखाया जाएगा। इनमें जीनेट, वैंपायर (लड़ाकू विमान), कैनबरा (बमवर्षक विमान), पैकेट (परिवहन विमान) और मी-4 हेलिकॉप्टर शामिल है। झांकी के एक हिस्से में 1965 की लड़ाई के बाद महावीर चक्र से सम्मानित पांच अधिकारियों के फोटो भी लगे होंगे।

मिग-29 विमान का अपग्रेडड वर्जन शामिल
वायुसेना ने μलाईपास्ट में अपने कुल 27 विमानों को शामिल किया है, जिनमें सुखोई-30एमकेआई, जेगुआर, मिग-29, सी-130जे, सी-17 ग्लोबमास्टर, 3 मी-35, 4 मी-17 हेलिकॉप्टर शामिल हैं। इसके अलावा सेना की एवीऐशन कोर से 3 हेलिकॉप्टर (धु्रव) और 3 विमान नौसेना से शामिल होंगे। इनमें वायुसेना का सबसे आकर्षक बिंदु फ्लाईपास्ट और परेड के बीच में आसमान से गुजरने वाली मिग-29 लड़ाकू विमानों की एरोहेड आकार की फॉरमेशन होगी। इस फॉरमेशन में शामिल 5 विमानों में अगुवाई करने वाला मिग-29 विमान वायुसेना का उन्नत श्रेणी का विमान होगा बाकी 4 पुराने विमान होंगे।

बर्ड-हिट को लेकर एडवाइजरी जारी
परेड से पहले राजपथ पर इन दिनों अभ्यास के दौरान उड़ान भर रहे लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों को लेकर वायुसेना की ओर एडवाइजरी जारी कर दी गई है। इसमें दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों को एहतियात बरतने को कहा गया है। एडवाइजरी में इन जगहों पर रहने वाले लोगों से सहयोग करने की अपील की गई है कि वो विमानों के उड़ान भरने की जगहों के आसपास खाने-पीने की चीजें ना फेकें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें जिससे विमानों के अभ्यास और परेड के दिन उड़ान के दौरान पक्षी इनकी चपेट में ना आएं।

‘एक पेड़ कटेगा तो तीन पेड़ लगेंगे’ होगा हरियाली का गुरुमंत्र

कविता जोशी.नई दिल्ली

पूर्ववर्ती सरकार बनाम पर्यावरण मंत्रालय की छवि आम जनमानस के बीच रोड ब्लॉकर, विकास योजनाओं को लंबित रखने, परियोजना की लागत बढ़ाने वाले महकमे की रही है। लेकिन नई सरकार का लक्ष्य डेवलपमेंट विदाउट डिसटरबेंस का है। इसे हकीकत में अमलीजामा पहनाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने एक गुरुमंत्र भी दिया है, जिसमें स्पष्ट है कि किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना व विकास से जुड़े अन्य कार्यों के लिए अगर एक पेड़ काटा जाता है तो तीन पेड़ लगाने होंगे।

हरियाली बनाए रखने की पहल
केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हाल में यहां पत्रकारों से हुई औपचारिक बातचीत में कहा कि हरियाली को बनाए रखने के लिए हमारी नीति होगी कि अगर किसी विकास कार्य के लिए एक पेड़ भी काटा जाता है तो उसकी जगह पर तीन पेड़ लगाने होंगे। यही नीति देश में लागू होगी जिसकी निगरानी को हम राज्यों के साथ मिलकर करेंगे। हरियाली बढ़ाने के लिए 24 फीसदी वन भूमि का चयन किया है, जिसमें से 9 फीसदी

घटता हुआ वन क्षेत्र है।
100 करोड़ का हरियाली बजट पर्यावरण मंत्रालय की ओर से फरवरी में पेश किए जाने वाले आम बजट में हरियाली और विकास में संतलुन लाने के लिए 100 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की जाएगी। इसके अलावा मंत्रालय ने अतिरिक्त वनीकरण करने के लिए हाल में 33 हजार करोड़ रुपए का कैंपा (कंपेनसेट्री एफॉरेस्ट्रेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग) फंड भी जारी किया है। इस दिशा में राज्यों को बराबर सहभागिता दिखानी होगी जिससे हमें हरियाली बढ़ाने और सघन वनों की घटती रफ्तार को रोकने में मदद मिलेगी। इस पहल से हमें बड़ा कार्बन सिंक बनाने में आसानी होगी।

20 फीसदी वनों का विकास के लिए इस्तेमाल
विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए सरकार को केवल 20 फीसदी वनों की आवश्यकता है। अभी हमारे पास 70 फीसदी वनीय क्षेत्र घटता हुआ है, जिसमें से हम 20 फीसदी का इस्तेमाल करेंगे और बाकी को स्थानीय निकायों को विकसित करने में मदद पहुंचाएंगे।

जल्द परवान चढ़ सकता है एफजीएफए विमान सौदा!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

भारत और रूस के बीच संयुक्त रूप से बनाए जाने वाले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (एफजीएफए) के निर्माण और उत्पादन को लेकर बीते लगभग चार वर्षों से हो रही देरी का मामला भविष्य में तेजी से आगे बढ़ सकता है, जिसके बाद दोनों देशों जल्द ही विमानों के डिजाइन को लेकर अंतिम सहमति बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। इसके संकेत यहां बुधवार को भारत और रूस के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के बाद मिले। इसकी पुष्टि एनसीसी के एक कार्यक्रम से इतर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पत्रकारों को दिए सवालों के जवाब में की।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि मेरी रूसी रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु के साथ हुई मुलाकात काफी सार्थक रही। इसमें जिन परियोजनाओं में देरी हो रही है के मामले में दोनों पक्ष मिलकर निगरानी करेंगे और उन तमाम बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे जिससे जरूरी निदान निकाला जा सके। यहां बता दे कि दोनों देशों के बीच एफजीएफए परियोजना के अंतिम डिजाइन को लेकर वर्ष 2012 में अंतिम सहमति बननी थी। लेकिन इसके बाद से लेकर अब तक इस मसले पर कोई आमराय नहीं बन पाई है। वर्ष 2010 में इन विमानों के निर्माण को लेकर प्राथमिक डिजाइन के मसौदे पर भारत की एचएएल और रूस की सुखाई डिजाइन ब्यूरो के बीच सहमति बन गई थी। भारत करीब 30 बिलियन डॉलर की राशि खर्च करके इस परियोजना के जरिए करीब 200 लड़ाकू विमानों का निर्माण करना चाहता है।

रक्षा मंत्री ने 26 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन से पहले बड़ी आतंकी वारदात के अंदेशे को स्वीकारते हुए कहा कि ध्यान बांटने के लिए आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। लेकिन हम किसी भी वारदात या हमले से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सीमाएं पूरी तरह से महफूज और सुरक्षित हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था में हम अतिरिक्त एहतियात बरत रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक में भारत की ओर से रूसी कंपनियों को मेक इन इंडिया अभियान के जरिए देश में निवेश करने की अपील की गई। डीआरडीओ प्रमुख के तौर पर किसी युवा वैज्ञानिक की नियुक्ति पर रक्षा मंत्री ने पुन: जोर दिया।

अब कॉलेज-यूनिवर्सिटी का मुखिया बनने से पहले लेना होगा ज्ञान

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश में उच्च-शिक्षा के मामले में घटते सकल नामांकन दर (जीईआर), कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में अच्छे कुलपतियों-शिक्षकों की समस्या को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय चरणबद्ध सुधारों को लागू करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इसी कड़ी में अब मंत्रालय ने एक ऐसी योजना का डिजाइन तैयार किया है, जिसमें किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय का कुलपति या मुखिया बनने से पहले एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करना अनिवार्य होगा। मंत्रालय की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे बदलावों को लेकर तैयार की जा रही राष्टÑीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में भी इसे शामिल किया जा सकता है।

इस बात की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि आगामी 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर देशव्यापी विचार-विमर्श शुरू करने की घोषणा कर सकते हैं। पीएम की पहल पर शुरू हुआ प्रयास विश्वविद्यालयों में कुलपति या प्रमुख के पद पर नियुक्ति जैसी बड़ी जिम्मेदारी संभालने से पहले एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करना अनिवार्य होगा। मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव अमरजीत सिन्हा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेशनल मिशन आॅन टीचर्स अभियान की घोषणा के बाद मंत्रालय इस ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। पीएम बनने के बाद जब प्रधानमंत्री ने पहली बार एचआरडी मंत्रालय का दौरा किया तब भी उन्होंने देश में अच्छे शिक्षकों और कुलपतियों की कमी को लेकर चिंता जाहिर की थी और इस दिशा में कदम उठाने की हिदायत दी थी।

कोर्स के लिए यूजीसी का निर्देंश
मंत्रालय की योजना के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को कॉलेज का प्रिंसिपल या कुलपति नियुक्त करने से पहले एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करना अनिवार्य होगा। इसके लिए यूजीसी को मंत्रालय की ओर से निर्देंश दे दिया गया है। इस कोर्स के जरिए हमारी योजना एक ऐसा व्यक्तित्व खड़ा करने की होगी जो कि हर लिहाज से संस्थान का संचालन करने में सक्षम होगा। गौरतलब है कि राज्यों की ओर से भी अच्छे शिक्षकों और संस्थान प्रमुखों की कमी जैसे मुद्दे उठाए जाते रहे हैं।

एकेडमिक लीडरशिप के खुलेंगे पांच केंद्र
एचआरडी मंत्रालय जल्द ही एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करवाने वाले 5 केंद्र खोलेगा। इनमें कुलपति या प्रिंसिपल बनने से पहले उम्मीदवार को एकेडमिक लीडरशिप का कोर्स करवाया जाएगा। इस कोर्स के जरिए जहां उम्मीदवार को कॉलेज का बेहतर संचालन करने के गुर सीखाए जाएंगे वहीं उसकी कार्यप्रणाली में प्रोफेशनलिजम को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। राष्टÑीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) में भी शैक्षिक सुधारों से जुड़े कुछ मुद्दों को शामिल किया गया है, जिससे हमारा मकसद संस्थानों में पारदर्शिता लाना, प्रोफेशनलिजम को बढ़ावा देना, कार्यप्रणाली का पूर्ण कंप्युटराइजेशन करना है। कंप्युटराइजेशन में बच्चों के एडमिशन, फीस समेत आॅनलाइन शिक्षा और शिकायतों का तुरंत निपटारा करने से जुड़े मुद्दों का प्रावधान शामिल है। कई कॉलेजों में पूरी तरह से कंप्युटराइजेशन पद्धति को अपनाया जा चुका है।

चुनौती है शिक्षा में घटता जीईआर
शिक्षा में सकल नामांकन दर (जीईआर) बेहद कम है। पहली से आठवीं कक्षा तक ठीक है लेकिन उसके बाद लैंगिग स्तर, सामाजिक स्तर पर और क्षेत्रीय स्तर पर जीईआर की हालत ठीक नहीं है। उच्च शिक्षा में जीईआर 21 फीसदी है। इसमें कई तरह के कारक जिम्मेदार हैं जिनमें से एक अहम कारक अच्छे शिक्षकों और कॉलेज का संचालन करने वाले मुखियाओं की कमी का होना भी है।

मौसम ने ली करवट, बादल-बारिश संग लौटी ठंडक

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

मौसम के मिजाज में मंगलवार से बदलाव आना शुरू हो गया है। सुबह घने कोहरे-धुंध का गुबार छाया रहा तो दिन में कुछ देर के लिए ही धूप निकली फिर आसमान में बादलों के साथ ठंडी हवाओं ने फिर से राजधानी समेत देश के अन्य इलाकों में दस्तक दे दी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रवक्ता डॉ.बी.पी.यादव ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि इसे ठंड की फिर से वापसी कह सकते हैं। आगामी तीन से चार दिनों तक ऐसा ही मौसम रहेगा। इस दौरान पहाड़ों में बर्फबारी से लेकर कई राज्यों में बारिश होगी जिससे राजधानी दिल्ली भी कड़कड़ाने वाली ठंडक के प्रकोप से नहीं बच पाएगी।

गौरतलब है कि हरिभूमि ने बीते 16 जनवरी को मौसम के मिजाज और जल्द होने वाले इस बदलाव को लेकर एक खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसमें यह बताया गया था कि मौसम में बदलाव और ठंडक 20 जनवरी के बाद होगा। इस पर मंगलवार को मौसम विभाग ने भी अपनी मुहर लगा दी है।

मौसम विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि आगामी तीन से चार दिनों तक हरियाणा, पंजाब, मध्य-प्रदेश, उत्तर-प्रदेश, गुजरात में बारिश होगी जिसका सीधा असर राजधानी दिल्ली के मौसम पर भी पड़ेगा। राजधानी में भी बारिश होने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और हिमाचल-प्रदेश, उत्तराखंड में बर्फ पड़ेगी और भारी बर्फबारी भी होगी जिससे मैदानी इलाकों में दिन के समय धूप नहीं खिलेगी और आसमान में बादलों और जमीन पर धुंध का पहरा होगा।

मौसम में अचानक आई इस करवट के पीछे मौसम विभाग देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में बनने वाले पश्चिमी-दवाब के क्षेत्र को जिम्मेदार कारक मानता है, जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में वेस्टर्न डिस्टरबेंस (डब्ल्यूडी) के नाम से भी जानते हैं।

राजपथ को फुलप्रूफ सुरक्षा कवच देगा नौसेना का पी8आई विमान

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा का गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर आगमन राजपथ पर कई अनोखी घटनाओं की दस्तक का इतिहास रचने को बेताब नजर आ रहा है। इसमें सशस्त्र सेनाआें के महिला दस्ते की लेμट-राइट और पहली बार राजपथ पर परेड की हवाई निगरानी के लिए प्रयोग किए जाने वाले नौसेना के विशाल हवाई निगरानी विमान पी8आई के जलवे देखने वाले होंगे। पी8आई विमान अमेरिका की बोइंग कंपनी से भारत ने खरीदे हैं।

पी8आई की विशेषता
यहां मंगलवार को परेड में नौसेना के आकर्षणों पर जानकारी देने के उद्देश्श्य से आयोजित एक कार्यक्रम से इतर नौसेना के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि पी8आई नौसेना का लंबी दूरी वाला समुद्री निगरानी विमान है, जिसे पहली बार परेड में राजपथ की हवाई निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है। यह विमान देशी और विदेशी युद्धक सामग्री से लैस है। इसमें स्टेट आॅफ द आर्ट सेंसर्स, एंटी सबमरीन वारफेयर आॅपरेशन के अलावा इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस मिशन जैसे अहम कारक शामिल हैं।

चंड़ीगढ़ से दिल्ली पहुचेंगा विमान
26 जनवरी को पी8आई विमान चंड़ीगढ़ से अपनी उड़ान की शुरूआत करके दिल्ली के राजपथ पहुंचेगा और हवाई निगरानी का काम संभालेगा। अभी इन विमानों की तैनाती तमिलनाडु के आरकोन्नम नौसैन्य हवाईअड्डे पर है। यहां किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कुछ और पी8आई विमानों को स्टैंडबॉय के तौर पर तैयार रखा जाएगा। परेड में नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों को भी पहली बार निगरानी का काम दिया गया है। मिग-29के अंबाला से परेड के दिन सुबह-सुबह उड़ान भरके राजपथ पहुंचेंगे। नौसेना ने मिग-29के बेड़े में शामिल अन्य विमानों को किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए गोवा में स्टैंडबॉय रखा है।

ले.कमांडर जयाकुमार करेगी अगुवाई
नौसेना के महिला दस्ते की कमान 27 वर्षीय ले.कमांडर प्रिया जयाकुमार के हाथों में होगी। कार्यक्रम में मौजूद जयाकुमार ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि यह उनके लिए बेहद खुशी और गर्व महसूस करने का मौका है जब वो दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स और कई विकसित देशों के मुखिया अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सामने राजपथ पर मार्च करेंगी। परेड में नौसेना के महिला दस्ते में कुल 148 महिलाएं होंगी। इसमें 12 रो और 12 कॉलमों में तीन महिला प्लाटून कमांडर और एक दस्ते की अग्रज कमांडर होगी। जयाकुमार अभी नौसेना के विशाखापट्टनम स्थित आईएनएस डेगा अड्डे पर नेवीगेटर के पद पर कार्य कर रही हैं। वो नौसेना का डॉर्नियर विमान उड़ाती हैं।

एचआरडी के ‘नो योर कॉलेज’ को मिले 65 हजार लाइक!

कविता जोशी.नई दिल्ली

आमतौर पर कॉलेज का आकर्षक दिखने वाला प्रोस्पेक्टिव अंदर से बच्चों की इच्छाओं-आकांक्षाओं पर पूरी तरह से खरा नहीं उतरता। लेकिन अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए नो योर कॉलेज पोर्टल के जरिए आॅनलाइन अपने कॉलेज और उससे जुड़ी डिटेल जानकारी ले पाएंगे। मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों ने हरिभूमि को बताया बीते वर्ष 26 मई को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई सरकार के गठन के बाद से लेकर अब तक इस पोर्टल को 65 हजार बच्चों ने लाइक किया है।

पोर्टल की खासियत
नो योर कॉलेज (केवाईसी) पोर्टल की रोज बढ़ रही लोकप्रियता के पीछे इसमें मौजूद देश के तमाम कॉलेजों की विस्तृत जानकारी के अलावा कई आॅनलाइन कोर्सेज के बारे में भी बच्चों को आसानी से जानकारी मिल जाती है। एचआरडी मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा कि हजारों की संख्या में बच्चे रोजाना इस पोर्टल को लाइक कर रहे हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। इंटरनेट पर इसे सर्च करने के लिए (http://www.knowyourcollege-gov.in) पर जाकर देख सकते हैं। देश में 665 से ज्यादा विश्वविद्यालय, 35 हजार 829 से ज्यादा महाविद्यालय तथा 11 हजार 443 एकल (स्टैंड अलोन) संस्थान हैं।

कॉलेज-कार्सेज की आॅनलाइन जानकारी
इस पोर्टल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस पर सर्च करके बच्चों को अपने पसंदीदा कॉलेज के बारे में बिल्डिंग कैंपस, अध्यापक, छात्रावास, पुस्तकालय जैसे विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाती है। छात्रों का भी ऐसा अनुभव रहा है कि एडमिशन के समय जहां कॉलेजों के आकर्षक प्रोसपेक्टिव बाहर से तो चमकीले नजर आते हैं। लेकिन अंदर से वो खोखले होते हैं। अतिरिक्त सचिव का कहना है कि इस पोर्टल पर फिजिक्स, मैनेजमेंट, मैथमेक्टिस, और फोटोग्राफी जैसे कोर्सेज की छात्र आॅनलाइन पढ़ाई भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि इससे ही मैंने कुछ दिनों पहले फोटोग्राफी सीखी है। इन आॅनलाइन कोर्सेज के लिए करीब 20 हजार घंटे की आॅनलाइन सामग्री वेबसाइट पर डाली गई है।

सोशल मीडिया का बढ़ता क्रेज
एचआरडी मंत्रालय के इस पोर्टल को मिल रहे लाइक्स ने यह साबित कर दिया है कि आज के दौर में संचार के सोशल माध्यमों की कितनी उपयोगिता है और लोग इनमें कितनी गंभीरता से रूचि ले रहे हैं।

ओबामा से पहले मंगलवार को दिल्ली पहुंचेंगे रूसी रक्षा मंत्री

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

भारत की अमेरिका से बढ़ रही नजदीकियां अब जगजाहिर हो चुकी हैं। ऐसे में सामरिक मामलों में भारत के दशकों पुराने बेहद भरोसेमंद साझीदार रूस का चिंतित होना स्वभाविक है। यहां हम बात रूस के रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु के मंगलवार से शुरू हो रहे भारत के तीन दिवसीय दौरे की कर रहे हैं। 20 जनवरी को दिल्ली पहुंचने के बाद रूसी रक्षा मंत्री अगले दिन 21 जनवरी को यहां साउथ ब्लॉक स्थित अपने भारतीय समकक्ष यानि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में बैठक कक्ष में रूसी रक्षा मंत्री के साथ आने वाला प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री पर्रिकर के अलावा थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल अरुप राहा, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर.के.धोवन, रक्षा सचिव आर.के.माथुर समेत मंत्रालय के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुखातिब होगा।

ओबामा से पहले दिल्ली पहुंचेंगे रूसी मंत्री
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया को रूसी रक्षा मंत्री सोइगु का ऐसे समय पर भारत दौरे पर आना जब अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा पहले ही 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने जा रहे हैं अचरज जरूर पैदा करता है। हालांकि अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि इसके लिए कार्यक्रम की रूपरेखा शायद पहले से तैयार भी हो सकती है।

प्राथमिक्ता में रहेगा एफजीएफए
रूसी रक्षा मंत्री की भारत यात्रा के एजेंडे में रक्षा मंत्री पर्रिकर से होने वाली बातचीत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (एफजीएफए) के निर्माण का सौदा प्रमुख हो सकता है। इस सौदे को लेकर भारत और रूस के बीच विमानों के डिजाइन और बढ़ी हुई कीमत को लेकर पेंच फंसा हुआ है, जिसपर उम्मीद की जा रही है कि रूसी रक्षा मंत्री की यात्रा के दौरान कोई अंतिम सहमति बन जाए। ब्रह्ममोस परियोजना की सफलता के बाद वर्ष 2007 में भारत और रूस ने संयुक्त रूप से इस परियोजना पर शोध करने और इस श्रेणी के विमानों को विकसित करने के लिए आपसी सहमति जताई थी। अभी इस कार्यक्रम की कीमत लगभग 30 बिलियन डॉलर के करीब आंकी जा रही है। विमानों का उत्पादन रूस की सुखोई कॉरपोरेशन और यहां भारत में एचएएल में किया जाना है। बीते 8 वर्षों के दौरान प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ने को लेकर भारत की चिंता बनी हुई है।

शिथिल पड़ रहे संबंध
रूस के साथ वर्तमान दौर में शिथिल पड़ रहे भारत के सैन्य-सामरिक संबंधों से रूस में मची खलबली की स्पष्ट झलक देखने को मिल रही है। इसकी बानगी बीते वर्ष दिसंबर महीने में रूसी राष्टÑपति ब्लादिमीर पुतिन के भारत-रूस के बीच 15वीं द्विपक्षीय शिखरवार्ता के दौरान तुरंत-फुरंत में की गई वतन वापसी से मिलती है। उससे एक महीने पहले यानि नवंबर 2014 में रूसी रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु ने पाकिस्तान का दौरा भी किया था और उसके साथ भी जरूरी रक्षात्मक उपकरणों की खरीद को लेकर चर्चा की। यह बीते 45 वर्षों में पहला ऐसा मौका था जब किसी रूसी रक्षा मंत्री ने पाकिस्तानका दौरा किया हो। मीडिया में इस तरह की खबरें भी थी कि रूस पाक को एमआई-35 हेलिकॉप्टर बेचने का इच्छुक है और पाक ने इसके लिए रूस से करीब 20 हेलिकॉप्टरों की खरीद की इच्छा जताई है।

पुणे जाएंगे रूसी रक्षा मंत्री?
इस बात की भी संभावना है कि रूसी रक्षा मंत्री या उनके प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारी वायुसेना के पुणे स्थित सुखोई-30 एमकेआई विमानों के बेस रिपेअर डिपो (बीआरडी) का दौरा भी कर सकते हैं। यह वही डिपो है जहां कुछ महीने पहले दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रूस में निर्मित सुखोई-30 विमानों की जांच-पड़ताल का काम चल रहा है। हादसे के बाद भी कई बार रूसी अधिकारियों ने इस जगह का दौरा किया है।

शिक्षा को इंडस्ट्री से जोड़कर युवाओं के लिए खुलेंगे रोजगार के रास्ते

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश में युवाओं की लगभग 60 फीसदी आबादी है, जिसमें से हर साल बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके बच्चे अपने सुनहरे भविष्य के सपने आंखों में लिए निकलते हैं। लेकिन इनमें से चंद ही खुशकिस्मत होते हैं जिन्हें अपनी पंसद की नौकरी या काम करने का सौभाग्य मिलता है। बाकी रह जाते हैं भगवान भरोसे। लेकिन अब चिंता करने की कोई बात नहीं है। क्योंकि केंद्र सरकार शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ने की योजना बना रही है, जिससे पढ़ाई खत्म करने के बाद सीधे रोजगार मिल सकेगा।

कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलाव की बयार 
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित ना रखने के अलावा अब उसे इंडस्ट्री की जरूरतों के साथ जोड़कर देश के नौजवानों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है। बीते दिनों इस बाबत एचआरडी मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव अमरजीत सिन्हा ने एक कार्यक्रम में बताया कि आज के दौर में केवल बीएड-एमऐड, बीएसी-बीकॉम करने से ही अच्छी नौकरी नहीं मिलती। इसलिए मंत्रालय चाइस बेस्ड क्रेडिट फ्रेमवर्क सिस्टम के जरिए कैरियर फोक्सड कोर्सेज को स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में शामिल करने जा रहा है। इससे बच्चे को पढ़ाई खत्म करने के तुरंत बाद रोजगार मिल सकेगा।

इंडस्ट्री की भी थी डिमांड
उद्योग जगत की ओर से भी इसे लेकर मांग की जा रही थी कि उनके यहां चल रही तमाम विधाओं के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता होती है। अगर वो स्कूल-कॉलेज से ही इसकी ट्रेनिंग लेकर निकलेगा तो हमारे लिए सोने पे सुहागा होगा। अतिरिक्त सचिव ने कहा कि इसमें राज्यों के सहयोग की बेहद आवश्यक्ता है। हमने यूजीसी के जरिए राज्यों को बीते दिसंबर महीने में लिखित में सूचना देने के साथ ही जरुरी दिशानिर्देंश भी जारी कर दिए हैं। राज्य अपने यहां विश्वविद्यालयों में इंडस्ट्री की मांगों के हिसाब से कोर्सेज शुरू करके राज्य में युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर विकल्प दे सकते हैं। इन कोर्सेज को शुरू करने के लिए यूजीसी ॅ्न हर कॉलेज को लगभग 8 लाख रुपए की सहायता राशि भी देती है।

पश्चिम के देशों से मिली सीख
इस योजना को लेकर मंत्रालय को दुनिया के उन तमाम विकसित देशों से सबक मिला है जो बहुत पहले से ही उद्योग जगत की मांग के आधार पर अपने विश्वविद्यालयों, कॉलेज और स्कूलों में स्पेशल कोर्सेज को लेकर पाठ्यक्रम चला रहे हैं। इसमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, द.कोरिया, स्वीडन जैसे देश शामिल हैं। मंत्रालय के स्तर पर उदाहरण के लिए अमेरिका में साइंस स्ट्रीम से पढ़ने वाला बच्चा फिजिक्स-मैथ्स का पेपर देने के साथ ही अगर बच्चा चाहता है कि वो एक पेपर इलेक्ट्रॉनिक मैनेजमेंट और दूसरा आर्ट का दे तो वो दे सकता है। हम देश में ऐसी व्यवस्था करने जा रहे हैं कि अगर कोई बच्चा अपने कॉलेज से बाहर डेटा मैनेजमेंट करना चाहता है तो उसे चाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के जरिए सुविधा दी जाएगी। इससे हम इंडस्ट्री को सीधे एम्प्लॉयबल छात्र सीधे दे पाएंगे।

भारत में धीमाी है रफ्तार
भारत में उद्योगों से जोड़कर विशेष कोर्सेज चलाने की रμतार धीमी है, जिसके अगर अगले शैक्षणिक सत्र तक देश के लगभग 5 हजार कॉलेजों में केंद्र-राज्यों की मदद से लागू कर दिया गया तो इंडस्ट्री की शिकायतें काफी हद तक दूर हो जाएगी। यहां बता दें कि भारत में बम्बई, तमिलनाडु, गुजरात में इसे लेकर काफी काम हुआ है। असम की डिब्रूगढ़ यूनीवर्सिटी के बाहर पेट्रोलियम इंडस्ट्री है। यूनिवर्सिटी अपने कैंपस में कई पेट्रोलियम संबंधी कोर्सेज चलाती है, जिससे बच्चों को पास होने के बाद तुरंत रोजगार मिल जाता है। लेकिन राज्यों में शिक्षा मंत्रियों से लेकर राज्य प्रशासन को इसे व्यापक पैमाने पर लागू किए जाने की जरुरत है।

रविवार, 18 जनवरी 2015

अभी ‘तेजस’ का असली लड़ाकू चेहरा देखने में लगेगा वक्त!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
बीते शनिवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा वायुसेना को सौंपे गए पहले तेजस विमान को अपने असली लड़ाकू चेहरे यानि युद्धक-मारक क्षमता के साथ परिपूर्ण रूप में दुनिया के सामने आने में वक्त लगेगा। क्योंकि इसे केवल रक्षा मंत्री की वायुसेना को जहाज की सांकेतिक भेंट ही कहा जा सकता है।

फॉइनल आॅपरेशनल क्लेरेंस में वक्त लगेगा
वायुसेना के सूत्रों ने हरिभूमि से बातचीत में इसकी पुष्टि की है कि अभी यह वायुसेना को विमान की केवल सांकेतिक भेंट ही है। इसके बाद अब लगभग इस साल के अंत तक या फिर अगले वर्ष तक ही विमान को अंतिम आॅपरेशनल क्लेरेंस (एफओसी) मिलेगा। यहां बता दें कि एफओसी मिलने के बाद ही किसी विमान को शत-प्रतिशत लड़ाकू विमान समझा जाता है। इस प्रक्रिया में विमान को उसके असली लड़ाकू चेहरे यानि युद्धक क्षमता से परिपूर्ण बनाने के लिए लंबी दूरी तक दुश्मन को मार करने वाली मिसाइलें फिट की जाएंगी, हवा में र्इंधन भरने की क्षमता का विकास किया जाएगा। इसके अलावा अन्य जरूरी युद्धक सामग्री लगाई जाएगी।

वायुसेना के अधिकृत पॉयलट उड़ाएंगे विमान 
एक बार रक्षा मंत्री द्वारा वायुसेना को विमान दिए जाने के बाद इसका यह लाभ होगा कि हमारे जो अधिकृत लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पॉयलटों को इसे उड़ाने का मौका मिलेगा। यह उनके लिए विमान से रू-ब-रू होने से लेकर उसपर अभ्यास करने का एक बेहतरीन मौका होगा। गौरतलब है कि इससे पहले तेजस विमान को वायुसेना के प्रशिक्षु पॉयलेट ही उड़ा रहे थे।

20 विमानों से बनेगी एक स्क्वॉड्रन
अभी वायुसेना को एचएएल ने एक तेजस विमान सौंपा है। लेकिन उसे करीब अपनी एक युद्धक स्क्वाड्रन बनाने के लिए करीब 20 तेजस विमानों की आवश्यक्ता है जो अब धीरे-धीरे आते रहेंगे।

तो इस बार हाउसफुल होगा 26 जनवरी का ‘ओबामा शो’!

कविता जोशी.नई दिल्ली
सुना है इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड समारोह में भारत के खास मेहमान होंगे। चलो फिर इस बार खुद ही जाकर परेड देख ही लेते हैं। हम भी तो देखें कैसा है ‘ओबामा’ और कैसे होंगे उसके ‘ठाठ-बाट’। जी हां कुछ इसी तरह की उत्सुक्ता और चर्चाएं इस बार 26 जनवरी को लेकर हर खासो-आम में देखने को मिल रही है, जिसे रक्षा मंत्रालय ने भी भांप लिया है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बार लगता है जितनी टिकटें आम पब्लिक को परेड देखने के लिए बिकेंगी उतनी पब्लिक तो परेड देखने के लिए पक्का आएगी। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि इस बार की गणतंत्र दिवस परेड को होने वाला ओबामा शो हाउसफुल होने जा रहा है।

अतिरिक्त टिकट बिक्री को ज्यादा तव्वजो नहीं
मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि परेड समारोह में दर्शक-दीर्घा में बैठने की कुल क्षमता 2 हजार 500 सीटों की है। हर साल इसे लेकर की जाने वाली पासों को बिक्री में करीब 30 फीसदी का इजाफा कर देते हैं, जिससे यह आंकड़ा करीब 3 हजार 250 तक पहुंच जाता है। इसके पीछे एक वजह यह होती है कि कई बार लोग परेड देखने के लिए सुबह-सुबह उठने की मशक्कत से बचने या अन्य कारणों की वजह से टिकट खरीदने के बाद भी नहीं आते और टेलिविजन पर ही सारा प्रसारण लाइव देख लेते हैं।

ओबामा की एक झलक को हाउसफुल
इस बार दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स माने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पेरड का सबसे बड़ा आकर्षण हैं और उन्हें लेकर लोगों में भी अच्छा-खासा क्रेज भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में मंत्रालय के अधिकारियों को लगता है कि पूरी की पूरी 2 हजार 500 सीटें खचाखच भर सकती हैं, जिसके चलते मंत्रालय ने कुल पासों के ऊपर केवल 15 फीसदी अतिरिक्त टिकटों की बिक्री का मन बनाया है। इस 15 फीसदी बढ़ोतरी के साथ यह आंकडा करीब 2 हजार 875 तक पहुंच गया है।

हाउसफुल ओबामा शो नहीं तो टीवी जिंदाबाद
मंत्रालय का अनुमान है कि अगर टिकटों की बिक्री के हिसाब से ओबामा शो हाउसफुल साबित हुआ तो ठीक नहीं तो लोगों के पास टेलिविजन का सर्वसुलभ साधन तो है ही। ऐसे में जो सबसे पहले 26 जनवरी को जल्दी-जल्दी उठकर परेड ग्राउंड तक पहुंचकर अपनी सीट ले लेगा वो ही असली सिकंदर कहलाएगा।

अविनाश चंदर की जगह कौन होगा डीआरडीओ का नया प्रमुख?

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

कुछ दिन पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख के पद से डॉ.अविनाश चंदर का अनुबंध खत्म किए जाने की सरकार के फैसले के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि अब इस पद पर किसकी नियुक्ति की जाएगी? रक्षा मंत्री और सरकार की ओर यह साफ संकेत दे दिए गए हैं कि अब पूववर्ती सरकार की तरह डीआरडीओ और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार सचिव (आर एंड डी) के तौर पर किसी एक व्यक्ति के हाथों में कमान नहीं सौंपी जाएगी।

डीआरडीओ में वरिष्ठों की स्थिति
हरिभूमि की पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक डीआरडीओ में वरिष्ठता के क्रम में डॉ.अविनाश चंद्र के बाद दो वैज्ञानिक आते हैं, जिसमें डॉ.तमिनमन्नी (महानिदेशक, एरोनॉटिकल सिस्टम्स) और डॉ.शेखरन (महानिदेशक, मिसाइल एंड स्ट्रेटजिक सिस्टम्स) शामिल हैं। लेकिन यह दोनों वैज्ञानिक संगठन की सेवानिवृति की आयु यानि 62 वर्ष को पार कर चुके हैं और इस वक्त अपने अतिरिक्त कार्यकाल के साथ डीआरडीओ में काम कर रहे हैं।

अनुबंध वाले व्यक्ति को कमान नहीं
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने हालिया दिए गए बयान में स्पष्ट कहा है कि इन दोनों पदों पर अनुबंध वाले किसी व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जाएगी। इस बात की संभावना है कि किसी युवा वैज्ञानिक को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसे में डॉ.तमिलमन्नी और डॉ.शेखरन जैसे दोनों वरिष्ठ वैज्ञानिकों को यह जिम्मेदारी मिलना फिलहाल दूर की कौड़ी बनता हुआ नजर आ रहा है।

डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिक
इन सबसे इतर डीआरडीओ में कुछ युवा वैज्ञानिक भी हैं जो 60 वर्ष से कम आयु के हैं। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इनमें से किसी को संगठन के नए मुखिया और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसमें डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉ.सतीश रेड्डी (डॉयरेक्टर, रिसर्च सेंटर इमारत), डॉ.एस.क्रिस्टोफर (डॉयरेक्टर, सेंटर फॉर एयरबोन्स सिस्टम्स) के अलावा ब्रह्ममोस के प्रमुख आर.के.शर्मा शामिल है

जलवायु परिवर्तन पर पुर्नगठित पीएम परिषद की पहली बैठक जल्द

कविता जोशी.नई दिल्ली
जलवायु परिवर्तन पर पुर्नगठित प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली अंतर-सरकारी परिषद की पहली बैठक आगामी सप्ताह की शुरूआत में सोमवार को होगी। इस बैठक में भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर किस दिशा में आगे बढ़ेगा और कौन सी चुनौतियां उसके समक्ष होंगी को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

पीएम करेंगे बैठक की अध्यक्षता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समुह की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। 19 जनवरी को यह पहला मौका होगा जब नई सरकार बनने के बाद इस समुह की पहली बैठक होने जा रही है। बैठक में पीएम के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, जल संसाधन-नदी विकास और गंगा पुनरूद्धार मंत्री उमा भारती, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, विज्ञान-प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ.हर्षवर्धन, ऊर्जा, कोयला और अक्षय ऊर्जा राज्य मंत्री धमेंद्र प्रधान शामिल होंगे। इसके अलावा कैबिनेट सचिव, विदेश सचिव, पर्यावरण एवं वन सचिव, पर्यावरणविद डॉ.आर.के.पचौरी, डॉ.नितिन देसाई, चंद्रशेखरदास गुप्ता और अजय माथुर के नाम शामिल हैं।

परिषद का कार्य
यह परिषद जलवायु परिवर्तन के आकलन, परिवर्तित जलवायु के अनुकूल ढांचा तैयार करने और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए कार्य-योजना तैयार करने के काम पर निगरानी करेगी। इस समुह में शामिल मंत्रियों का काम जलवायु परिवर्तन के बारे में राष्ट्रीय स्तरीय पहलों में समन्वय स्थापित करना होगा। इसके अलावा परिषद राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर कारगर ढंग से निपटने के उपायों पर भी ध्यान देगी।

5 नवंबर 2014 को हुआ समिति का पुर्नगठन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुर्नगठित समिति को बीते वर्ष 5 नवंबर 2014 को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। इसमें कई सदस्यों को हटाया भी गया था। जिनमें आर.चिदंबरम, वी.कृष्णामूर्ति, सी.रंगराजन, प्रदीप्तो घोष और पत्रकारों में राज चेंगप्पा और आर.रामचंद्रन शामिल थे। चिंदबरम, कृष्णामूर्ति और रंगराजन तत्कालीन मनमोहन सरकार में प्रतिनिधि के रूप में शामिल थे। प्रदीप्तो घोष और दो अन्य पत्रकारों को समुह में गैर-सरकारी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।

सेनादिवस पर 14 रणबांकुरों को सेना मैडल का सम्मान

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

सेना दिवस पर यहां राजधानी के दिल्ली केंट परेड ग्राउंड में गुरुवार सुबह सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने 14 जवानों को सेना मैडल से सम्मानित किया। 1 युवा कैप्टन को बॉर टू सेना मैडल का सम्मान दिया गया है। इसके अलावा सेना की 14 यूनिटों को चीफ आॅफआर्मी स्टाफ (सीओएएस) की तरफ से साइटेशन द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में सेनाप्रमुख जनरल सुहाग ने कैप्टन मोहित जतैन को बॉर टू सेना मैडल से सम्मानित किया। इसके अलावा जिन 14 जांबाजों को सेना मैडल से सम्मानित किया गया है, जिनमें ले.कर्नल मल्कैत सिंह, मेजर संजय कुमार, मेजर विजय कुमार सिंह, कैप्टन कौशिक बिश्वास, ले.करन सिंह, सुबेदार अरूण कुमार (मरणोपरांत), सुबेदार सतनाम सिंह, नायक सूबेदार बच्चन सिंह (मरणोपरांत), लांस हवलदार बिसल गुरुंग, लांस नायक वी.एंथनी निर्मल विजी (मरणोपरांत), लांस नायक मोहम्मद फिरोज (मरणोपरांत), सिपाही जगदीप कुमार, सिपाही सुखविंदर और सिपाही पंकज कुमार सिंह शामिल हैं।

बादल-बारिश से दूर अगले चार दिनों तक खुशगवार रहेगा मौसम

कविता जोशी.नई दिल्ली

बीते दिनों हुई बारिश और उसके बाद पड़ी कड़ाके की ठंड से देशवासियों को आगामी चार दिनों तक कुछ राहत मिल सकती है। इस दौरान आसमान में बादल-बारिश नहीं होगी, सुबह के समय धुंध होगी लेकिन दोपहर में धूप खिली रहेगी।

चार दिनों तक खुशगवार रहेगा मौसम आने वाले दिनों में रहने वाले मौसम के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) में मीडिया विभाग के प्रवक्ता डॉ.बी.पी.यादव ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि देश में आगामी चार दिनों तक मौसम का मिजाज ठीक रहेगा। आसमान में बादल-बारिश नहीं होंगे। सुबह के वक्त धुंध रहेगी। लेकिन दोपहर में धूप खिलेगी जिससे आम-जनता को हाड़ कपाने वाली ठंड से थोड़ी राहत जरूरी मिलेगी।

19 जनवरी के बाद करवट बदलेगा मौसम
डॉ.यादव ने कहा कि मौसम 19 जनवरी के बाद करवट लेगा। इसके बाद आसमान में बादलों का पहरा होगा और बारिश होने की भी संभावना है। यानि करीब 20 जनवरी से लेकर 24 जनवरी तक फिर से ठंड देशवासियों को कपकपाएगी। इस दौरान बदलने वाले मौसम के मिजाज के पीछे भारत के उत्तर- पश्चिमी इलाके में बनने वाला पश्चिमी-दवाब का क्षेत्र है, जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में वेस्टर्न डिसटरबेंस (डब्ल्यूडी) के नाम से जानते हैं।

किन राज्यों पर पड़ेगा डब्ल्यूडी का असर
डब्ल्यूडी की वजह से केंद्रीय भारत में महाराष्ट्र, मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़ से लेकर उत्तर-पश्चिमी भारत के हरियाणा, पंजाब, उत्तर-प्रदेश जैसे राज्यों में बारिश होगी। पहाड़ी इलाकों जैसे उत्तराखंड, हिमाचल-प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी होगी। इससे मैदानी इलाकों में ठंड की दोबारा दस्तक होगी। अभी यह पश्चिमी-दवाब का क्षेत्र ईरान से कुछ दूरी पर बना हुआ है। लेकिन 20 जनवरी तक इसके भारत तक पहुंचने की उम्मीद है।

मौसम का फसलों पर कैसा रहेगा प्रभाव
केंद्रीय विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पृथ्वी विज्ञान विभाग में एग्रोमेट विभाग के प्रमुख डॉ.के.के.सिंह ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि यह मौसम गेंहू, सरसों, मक्का (इस सीजन में बिहार में होता है) और दलहन के लिए अच्छा है। लेकिन अगर पहाड़ी में बर्फबारी हुई और मैदानी इलाकों में बारिश हुई तो ठंड के साथ पाला पडेगा जिससे आलू की फसल को नुकसान हो सकता है।

ओबामा के आगमन से पहले बदली राजपथ की फिजा

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने में अभी 10 दिन बचे हैं। लेकिन इससे पहले ही इंडिया गेट से लेकर राजपथ की फिजा बदलने लगी है। इलाके की डेटिंग-पेटिंग से लेकर फूलों की खुशबू और हरियाली को बनाए रखने की कवायदें शुरू हो चुकी हैं। यूं तो यह हर साल 26 जनवरी को यह सब किया जाता है। लेकिन इस बार ‘ओबामा आकर्षण’ का जादू यहां काम में लगे लोगों से पेरामिलिट्री फोर्सेज के जवानों में देखने को मिल रहा है। इस बीच यह कहना कि ओबामा के छोटे से दीदार पाने को इंडिया गेट से लेकर राजपथ पलक पावड़े बिछाए बैठा है में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति 25-26 जनवरी यानि दो दिन भारत में रहेंगे।

अर्द्धसैनिक बल के जवानों की मुस्तैद गश्त
इंडिया गेट से लेकर राजपथ तक अर्द्धसैनिक-बल के जवान दिन-रात इलाके की मुस्तैदी से निगरानी करने में लगे हुए हंै। इसमें सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, एसएसबी समेत दिल्ली-पुलिस ने पूरे इलाके में एक चाक-चौबंद सुरक्षा घेरा बना लिया है, जिससे कोई परिंदा भी पर ना मार सके। अर्द्धसैनिकों बलों के कुछ जवानों ने हरिभूमि को नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि करीब एक महीना पहले ही हमने राजधानी दिल्ली के आस-पास के संवेदनशील इलाकों की घेराबंदी शुरू दी थी। हर बल के जवानों की टुकड़ियों-कंपनियों और प्लाटून्स को अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा संभालने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसे हम मुस्तैदी से निभा रहे हैं। परेड के दौरान सुरक्षा कारणों की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति के हर 20 मिनट में जगह बदलने पर भी विचार चल रहा है।

राजपथ पर चल रही खास तैयारियां
इन दिनों इंडिया गेट से राजपथ की ओर जाने वाली सीधी सड़क पर लगी ग्रिलों पर पेंट किया जा रहा है। स्ट्रीट लाइटें चमकाने का काम चल रहा है। कई जगहों पर फुटपाथ दुरूस्त किए जा रहे हैं। इसके अलावा संसद भवन से रक्षा मंत्रालय की ओर जाने वाले सामान्य आवाजाही मार्ग को बंद कर दिया गया है। बीते वर्षों में इस रास्ते को 26 जनवरी के बाद बंद किया जाता था। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने संसद भवन के मुख्य प्रवेश द्वार के बाद से लेकर विजय चौक चौराहे से ऊपर राष्ट्रपति भवन की ओर जाने वाले मार्ग के बीच सड़क में बेरिकेड लगा दिए हैं, जिनसे हर खासो-आम की जांच के बाद रवानगी की जा रही है। राष्ट्रपति भवन से लेकर पूरे राजपथ के आसपास 28 जनवरी को होने वाले ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह के लिए लाइटें लगाने का काम भी जोरों से चल रहा है। इसमें लड़ियों में छोटे बल्बों की श्रंखला लगा दी गई है, जिसमें राष्ट्रपति भवन से लेकर साउथ-ब्लॉक, पीएमओ, विदेश- मंत्रालय से लेकर नार्थ- ब्लॉक में गृह-मंत्रालय और वित्त-मंत्रालय शामिल है। लाइटों की लड़ियों के बीच-बीच में रोशनी में चार चांद लगाने के लिए बड़े आकार की हेलोजन लाइटें भी लगाई गई हैं।

सुरक्षा में चूक नहीं चाहती सरकार
इस बार गणतंत्र दिवस के मुख्य आकर्षण अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा है। इसलिए सरकार नहीं चाहती कि उनकी सुरक्षा से लेकर समारोह में किसी तरह का कोई विध्न पड़े। करीब एक महीना पहले से पेरामिलिट्री फोर्सेंज के जवानों ने दिल्ली के हर छोटे-बड़े इलाके में गश्त करना शुरू दिया है, जिसमें राष्ट्रपति-भवन, संसद-भवन से लेकर भीड़भाड़ वाले तमाम बाजारों, रेलवे स्टेशनों, अस्पतालों, बस-स्टैंड्स, रक्षा-सुरक्षा से जुड़ी तमाम संवेदनशील इमारतें, सरकारी कामकाज के दμतर शामिल हैं। यहां बता दें कि ओबामा के आगमन से पहले पाक में पेशावर के सैन्य स्कूल में हुए हमले के बाद से भारत सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्कता और सख्ती बरत रहा है।

मेक इन इंडिया में अरूचि तो नहीं ले डूबी डीआरडीओ प्रमुख की कुर्सी?

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के प्रमुख के तौर पर डॉ.अविनाश चंदर के कॉंट्रेक्ट पर बढ़े हुए 18 महीने के कार्यकाल को नई सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया है। यह बढ़ा हुआ कार्यकाल अगले वर्ष 31 मई 2016 को समाप्त होता। सरकार के पर्सनल और ट्रेनिंग विभाग (डीओपीटी) की ओर से इस बाबत मंगलवार देर शाम एक आॅर्डर (आदेश) भी जारी कर दिया गया था। इसकी एक प्रति हरिभूमि के पास भी मौजूद है।

उधर यहां इस मामले में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार को नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस मसले पर चर्चा करने के बाद पत्रकारों को दिए अपने एक बयान में कहा कि डॉ.अविनाश चंद्र को डीआरडीओ प्रमुख के इस पद से हटाने के पीछे कोई विवाद नहीं है। जबकि रक्षा मंत्रालय के गलियारों में दिन-भर इस बात को लेकर चर्चा पर जोरों पर थी कि डॉ. चंदर की कुर्सी मेक इन इंडिया अभियान में खास दिलचस्पी ना लेने की वजह से गई है। पर्रिकर ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में इस ओर इशारा करते हुए कहा कि इस पद पर किसी सुयोग्य पात्र की नियुक्ति की जाएगी जिसके पास विकास के लिए मजबूत इच्छा हो। अचानक डॉ.चंदर को हटा दिए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि मुझे भी इसकी जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिली कि मंगलवार रात प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 31 जनवरी से अविनाश चंदर के अनुबंध को खत्म करने की स्वीकृति दे दी है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि डॉ.चंदर की ओर से ही इस बात की सिफारिश की गई थी कि इस पद पर किसी नौजवान पीढ़ी के शख्स को होना चाहिए ना कि किसी अनुबंध वाले व्यक्ति को। डॉ.अविनाश चंद्र बीते वर्ष 30 नवंबर 2014 में डीआरडीओ प्रमुख के पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। लेकिन उन्हें 18 महीने का जो अतिरिक्त कार्यकाल मिला था उसका फैसला पिछली यूपीए सरकार में लिया गया था जिसे वर्तमान सरकार ने रद्द कर दिया है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि इन वरिष्ठ पदों पर किसी अनुबंधित व्यक्ति को नहीं होना चाहिए। बहुत सारे योग्य लोग हैं, जिनमें से किसी को लाया जाना चाहिए। हमें वैज्ञानिक जगत में किसी नौजवान पीढ़ी को पेश करना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि फिलहाल इस पद की जिम्मेदारी अस्थायी तौर पर डीआरडीओ में मौजूद सबसे वरिष्ठ सदस्य संभालेगा। उस व्यक्ति के नाम का खुलासा रक्षा मंत्री ने नहीं किया।

34 दिन दूर एरो इंडिया में झलकेगा ब्रांड ‘मेक इन इंडिया’

कविता जोशी.नई दिल्ली

अंतरराष्ट्रीय वैमानिकी क्षेत्र में सबसे बड़े आयोजन माने वाले एरो इंडिया शो 2015 का नजारा इस बार बाकी सालों के मुकाबले कुछ अलग नजर आने वाला है। इसकी खास बात होगी कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैंगलुरु जाकर इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ पर आयोजित कार्यशाला में दुनिया भर से आने वाले रक्षा संबंधी प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारियों के सामने भारत के विजन को विस्तार से रखेंगे।

हरिभूमि की पड़ताल में जानकारी के मुताबिक यह पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री इस आयोजन में शिरकत करके मेक इन इंडिया जैसे विजन अभियान पर कार्यशाला में सीधे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लोगों से मुखातिब होंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, डीआरडीओ प्रमुख, रक्षा-अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता, थिंकर्स भी शामिल होंगे। पीएम अपने विदेश दौरों से लेकर वाइब्रेंट गुजरात समिट के बाद तीसरी बार मेक इन अभियान का डंका दुनिया के सामने बजाने जा रहे हैं।

मोदी के फोकस में मेक इन इंडिया
प्रधानमंत्री ने बीते वर्ष 26 मई को सत्ता संभालने के बाद लालकिले की प्राचीर से दिए अपने पहले भाषण में ही अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया का आगाज दुनिया के सामने कर दिया था। इसमें उन्होंने सशस्त्र सेनाआें के आधुनिकीकरण से लेकर उन्हें समयबद्ध ढंग से जरूरी साजो-सामान मुहैया कराने के लिए दुनिया के तमाम रक्षा उपकरण व हथियार बनाने वाले देशों को भारत में आकर कार्य करने की अपील की थी। इसके बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 10 नवंबर को रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद दिए अपने शुरूआती उद्बबोधन में भी पीएम के मेक इन इंडिया ड्राइव को आगे बढ़ाने की बात कही थी।

वायुसेना ने संभाली जिम्मेदारी
एरो इंडिया शो का आयोजन हर दो साल बाद बैंगलुरु के येहलंका एयरफोर्स स्टेशन पर किया जाता है। इससे पहले 2013 में इसका आयोजन किया गया था। वायुसेना की ओर से बैंगलुरु में एयरफोर्स स्टेशन के आसपास के इलाके का जरूरी मानकों (एसओपी) के हिसाब से सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। सर्वे में इलाके के आसपास के हैलिपैड्स के अलावा अस्पतालों का सर्वे शामिल है। आयोजन में अमेरिका सहित फ्रांस, ब्रिट्रेन, रूस, जर्मन, इटली समेत तमाम देशों की प्रमुख रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियों के अलावा भारत की एचएएल, डीआरडीओ, निमहांस, ओएफबी भी अपनी प्रदर्शनी लगाएंगी।

रक्षा मंत्री बनाएंगे 35 अधिकारियों की टीम
इस कार्यक्रम को ज्यादा सफल बनाने को लेकर जल्द ही रक्षा मंत्री करीब 35 अधिकारियों की एक टीम बनाने वाले हैं, जो इस आयोजन से जुड़े साधनों से लेकर जरूरी तैयारियों पर नजर रखेगी। अलग-अलग समितियां बनाकर रक्षा मंत्री इस कार्य का विभाजन करेंगे। इन समितियों में पीएम मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी एक विशेष समिति को सौंपी जाएगी। आयोजन से पहले ही एक 24 घंटे चलने वाली एक हेल्पलाइन भी शुरू की गई है जो प्रदर्शनी में शामिल होने वाले आयोजकों को यहां आने से पहले उनके तमाम सवालों का निदान करने में मदद कर रही है।

चौबीसों घंटे काम में जुटे मोदी कैबिनेट के सिपहसालार

कविता जोशी.नई दिल्ली
यूं तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जबरदस्त कार्यक्षमता की वजह से लोगों के बीच में बेहद चर्चित हैं। रोजाना सुबह उठकर काम की शुरूआत करने के बाद उनके देररात तक काम में जुटे रहने की खबरें आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहती है। प्रशासनिक कामकाज को लेकर कुछ ऐसा ही गुरु मंत्र पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल तमाम सिपहसालारों यानि मंत्रियों को भी दिया है। उनका दो-टूक कहना है कि जो मंत्री काम कर परफॉर्म करेगा वो ही चलेगा दूसरा कोई नहीं।

मोदी गुरुमंत्र की राह पर कैबिनेट मंत्री
प्रधानमंत्री के काम के प्रति इस समपर्ण को लेकर भाजपा सरकार के मंत्री बेहद संजीदा हैं। कुछ तो सुबह-सुबह ही अपने कार्यालय पहुंचकर जरूरी कामकाज संभाल लेते हैं तो कुछ विदेशों मेंं भी चौबीसों घंटे काम मेंं जुटे रहने के इस गुरुमंत्र को याद रखना नहीं भूलते। जी हां यहां हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार की केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की। इनके बारे में शास्त्री भवन स्थित मंत्रालय के गलियारों में चर्चा है कि मंत्री जी तो सुबह साढ़े आठ बजे ही दफ्तर आ जाती हैं और कामकाज शुरू कर देती हैं और रात में करीब साढ़े दस बजे तक आॅफिस छोड़ती हैं। उनकी वजह से मंत्रालय के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को भी सुबह-सुबह ही दफ्तर भागना पड़ रहा है। भला यह कैसे संभव है कि मंत्री करे काम और बाबू करे आराम।

कुछ इसी तर्ज पर मोदी कैबिनेट के एक और मंत्री भी चौबीसों घंटे काम में जुटे हुए हैं और वो हैं कें द्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर। उनका क्या कहना वो तो देश ही नहीं विदेशी धरती पर भी समर्पित भाव से काम करने के मोदी गुरुमंत्र को सार्थक करने में जुटे हुए दिखाई दिए। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी सुबह-सुबह साढ़े आठ बजे साउथ ब्लॉक स्थित रक्षा मंत्रालय के अपने कार्यालय में पहुंचकर कामकाज शुरू कर देते हैं। इसकी वजह से सशस्त्र सेनाआें के तीनों प्रमुखों (जनरल दलबीर सिंह सुहाग, एयरचीफ मार्शल अरुप राहा, एडमिरल आर.के.धोवन) सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी करीब 9 बजे कार्यालय तक पहुंच जाते हैं।

पर्यावरण मंत्री के कामकाज का विवरण
बीते दिनों राजधानी में महिला पत्रकारों से मुखातिब हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन पर लीमा में हुए हालिया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में बताते हुए कहा कि मैं वहां कैंप साइट पर बने इंडिया दμतर में सारा समय कामकाज निपटाने में जुटा रहता था। मैंने कोई साइट सीन भी नहीं किया। कई बार तो मेरे अधिकारी मुझसे कहते भी थे कि आप तो यहां से बाहर ही नहीं निकलते हैं, बाकी देशों के मंत्री तो दिन में दो-तीन बार यहां आते-जाते रहते हैं। इसके जवाब मैं अधिकारियों से कहता कि मैं तो यहां पर पूरे दिनों शिविर करूंगा और आपको भी कही जाने नहीं दूंगा। अपनी कतर्व्यनिष्ठा को प्राथमिक्ता देते हुए जावड़ेकर बताते हैं कि मैं लीमा में सुबह 9 बजे से कामकाज शुरू कर देता था और रात में कभी 12 तो कभी 2 बजे तक भी काम निपटाता रहा।

जलवायु परिवर्तन पर सार्क से जुड़ा भारत
काम के प्रति इसी समर्पण की वजह से अपने शिविर में मैंने 40 द्विपक्षीय बैठकें की, 5 बैठकें सार्क देशों के साथ और 5 एलएमडीसी देशों के साथ हुई। इस तरह से भारत को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दुनिया के सभी देशों के साथ मिलने और उनके विचार जानने का मौका मिला। इससे भविष्य में हम कई मसलों पर वैश्विक आमराय बनाने में कामयाब हो सकते हैं।

लीमा सम्मेलन में अतिसक्रिय भारत
लीमा सम्मेलन में भारत अतिसक्रिय नजर आया। वहां भारत की ओर से सकारात्मक्ता के साथ अपनी बातें दुनिया के विकसित और विकासशील देशों के सामने रखी गई। सम्मेलन की शुरूआत में ही भारत ने यह साफ कर दिया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन में विकसित देशों का सबसे ज्यादा योगदान है इसलिए इसमेंं कमी लाने के लिए उन्हें ही सवार्धिक योगदान करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन पर गठित प्राचीन और ऐतिहासिक क्योटो संधि की समयसीमा समाप्त हो चुकी है। लेकिन उसके और यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन आॅन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर ही सभी देशों को आगे बढ़ने की सलाह भारत ने दी। 

संयुक्त राष्ट्र तक गूंजा पर्यावरण भवन की ग्रीन बिल्डिंग का डंका

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

देश में पर्यावरण भवन की नई बिल्डिंग को उसके उद्घघाटन से लेकर अब तक कई बार आपने खबरों में पढ़ा और सुना होगा। लेकिन पहली बार इस नवनिर्मित भवन का डंका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंूज उठा है वो भी संयुक्त राष्ट्रीय महासचिव बान की मून के समक्ष। जी हां यहां मंगलवार को जब संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिलने पर्यावरण भवन पहुंचे तो मंत्री जी सबसे पहले उन्हें इस बिल्डिंग का भ्रमण कराया और विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी। मून ने पर्यावरण मंत्री के साथ मिलकर इसकी स्मृति में एक छोटा पौधा भी भवन की बिल्डिंग में लगाया है।

इस बाबत पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट पर पर्यावरण मंत्री और संयुक्त राष्‍ट्र महासचिव बान की मून की मुलाकात हुई। मून को जावड़ेकर ने पूरी बिल्डिंग दिखाई और इससे जुड़े हर बारीक पहलू से अवगत कराया। बिल्डिंग के निर्माण से लेकर जरूरी साइट के चयन और इसे बनाने के दौरान भारत द्वारा ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण से लेकर सौर ऊर्जा के संरक्षण को ध्यान में रखी हर बात का उन्होंने जिक्र किया। इसके अलावा ऊर्जा संरक्षण की दिशा में भारत द्वारा इसे एक बेहद जरूरी पहल भी बताया।

जावड़ेकर ने कहा कि इस भवन के जरिए हमने मौजूदा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया है, जिसमें ऊर्जा, पानी मुख्य हैं। यहां मानव क्रियाक्लापों का पर्यावरण पर किसी तरह से कोई नुकसान नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि इससे पहले पर्यावरण भवन का दμतर सीजीओ कॉंप्लेक्स में होता था। लेकिन हाल ही में इसे राजधानी के जोरबाग स्थित नवनिर्मित पर्यावरण भवन में स्थानांतरित कर दिया गया है। अब पर्यावरण मंत्री समेत मंत्रालय के तमाम अधिकारियों इसी भवन से देश के पर्यावरण ओर वनों के संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले करते हैं।

सेना ने किए जवानों को फ्रास्ट बाइट से बचाने के उपाय!

कविता जोशी.नई दिल्ली

सेना के जवान जम्मू-कश्मीर से लेकर ऊंचे ठंडे पहाड़ी इलाकों में आतंकवादियों से मुकाबला करते वक्त लगातार फ्रॉस्ट बाइट (अत्यधिक ठंड में शरीर का सुन हो जाना) का शिकार हो रहे हैं। लेकिन अब सेना ने इस मुद्दे को प्रमुखता से लेते अपने जवानों की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सहित कई अन्य इलाकों का चयन किया है जहां इससे बचने के लिए जरूरी सुरक्षात्मक साजो-सामान उन्हें जल्द ही दे दिया जाएगा।

सेनाप्रमुख ने लगाई मुहर
यहां मंगलवार को राजधानी के मानेकशॉ केंद्र में सेनादिवस से पूर्व में आयोजित वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने हरिभूमि द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि जवानों में फ्रास्ट बाइट की समस्या लंबे समय तक ठंड में मौजूदगी के कारण देखने को मिल रही हैं। हमने जम्मू-कश्मीर में कुछ खास इलाकों का चयन किया है, जहां जवानों को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे संबंधित प्रस्ताव को लेकर हमने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से भी चर्चा कर ली है। हम जल्द ही जवानों को जरूरी रक्षात्मक सामग्री मुहैया कराएंगे। इसके अलावा हमने कई और जगहों को भी चुना है जहां जवानों को इस तरह की समस्या से निजात पाने के लिए रक्षात्मक चीजें दी जाएंगी।

उरी की घटना के पीछे तथ्य
सेनाप्रमुख ने उरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यहां आतंकी घुसपैठ का मुकाबला करते वक्त जवान इस समस्या का शिकार हुए थे। वो उनके काफी देर तक ठंड के प्रभाव में रहने की वजह से हुआ था। जहां यह घटना हुई उसे बोधबंगस के नाम से जाना जाता है। यह इलाका सेना की सामान्य तैनाती स्थलों से काफी दूरी पर स्थित है। मैंने भी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में करीब 5 बार तैनाती का अनुभव लिया है। मैं यहां वर्ष 1976 से 78 के दौरान तैनात रहा हूं।

मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर आपको बताता हूं कि जब जवान काफी देर तक ठंड में रहते हैं तो यह दिक्कत होती है। जवानों द्वारा बूट आरआई (खास किस्म का जूता) का इस्तमेला किया जाता है। यह बूट करीब 4 घंटे में इतना गर्म हो जाता है कि पैर में पसीना आने लगता है और आपको जुराब बदलने की जरूरत पड़ती है। बाकी मदद पहुंचाने में लग रहा था समय जब यह आॅपरेशन चल रहा था तब बाकी फौज को वहां तक मदद पहुंचाने में करीब 3 घंटे का समय लग रहा था। आॅपरेशन स्थल और मदद के बीच काफी दूरी थी। लेकिन बावजूद जवानों ने घुसपैठ की कोशिश कर रहे सभी 6 आतंकियों को मार गिराया और यह आॅपरेशन सफल रहा।

युद्ध स्मारक के प्रस्ताव को पीएम की मंजूरी, बनेगा इंडिया-गेट के पास

कविता जोशी .नई दिल्ली
देश में लंबे समय से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय बनाने के प्रस्ताव को लेकर रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई को सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही इससे जुड़े प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है, जिसकी पुष्टि यहां मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में पत्रकारों से सीधे मुखातिब हुए सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने की। इस प्रस्ताव के लिए शुरूआती फंड जारी हो चुके है और अब केवल स्मारक और संग्रहालय के डिजाइन पर काम चल रहा है। एक बार डिजाइन का काम पूरा हो जाए तो इनके निर्माण कार्य की शुरूआत हो जाएगी।

प्रस्ताव को पीएम की मंजूरी
15 जनवरी को मनाए जाने वाले सेनादिवस से पूर्व में आयोजित इस वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने हरिभूमि द्वारा इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि आजाद भारत की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले जवानों की याद में बनाए जाने वाले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी स्वीकृति दे दी है। यहां बता कि 26 मई को नई सरकार के गठन के बाद रक्षा मंत्री बने अरुण जेटलीने जब पहली बार अमर जवान ज्योति पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भी कहा था कि हम इस प्रस्ताव को हकीकत में तब्दील करने को तैयार हैं। भाजपा ने इस मुद्दे का जिक्र लोकसभा चुनावों के दौरान जारी किए गए अपने चुनावी घोषणापत्र में भी किया था। अब सत्ता में आने के बाद इस कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

इंडिया गेट से बेहतर कोई जगह नहीं
सेनाप्रमुख ने कहा कि युद्ध स्मारक और संग्रहालय को बनाने के लिए इंडिया के आसपास के अलावा और कोई बेहतर जगह हो ही नहीं सकती। क्योंकि यह राजधानी ही नहीं देश के केंद्र में स्थित है। मैं बताना चाहता हूं कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को इंडिया के नजदीक बनी छतरी के ईदगिर्द बनाया जाएगा और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय को प्रिंसेस पार्क के नजदीक बनाया जाना है। रक्षा मंत्रालय ने इस कार्य के लिए सेना को नोडल एजेंसी बनाया है।

यह अपनी तरह का पहला स्मारक होगा
अभी इंडिया गेट पर प्रथम और दूसरे विश्वयुद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम तो अंकित हैं। लेकिन वर्ष 1947 के बाद आजाद भारत के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। इसे ध्यान में रखकर ही इसके निर्माण की मांग लंबे समय से उठ रही है। 60 वर्षों से उठ रही है मांग राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाए जाने की मांग बीते करीब 60 वर्षों से उठ रही है, जिसमें यह लगातार कहा जा रहा है कि देश के जांबाज शहीदों की निशानी के तौर पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। लेकिन वर्ष 2001 में बनी संसदीय समिति की सिफारिश के बाद रक्षा मंत्रालय ने इसके निर्माण के प्रस्ताव का
प्रस्ताव आगे बढ़ाया है।

बच्चों में नैतिक शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण जरूरी: प्रो.देशपांडे

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जल्द ही देश के सामने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का खाका पेश किया जाने वाला है। सरकार चाहती है कि इससे पहले वो बदलावों को लेकर जरूरी कवायद पूरी कर लें। इसी संदर्भ में यहां सोमवार को राजधानी के फिक्की सभागार में भारत के युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद के शिक्षा सिद्धांतों पर ‘स्वामी विवेकानंद एंड एजूकेशन-एम्पावरिंग टीचर्स एजूकेशन’ नामक एक मॉड्यूल जारी किया गया। इसमें स्वामी विवेकानंद के स्कूली शिक्षा में बच्चों को नैतिक शिक्षा के साथ उनके चरित्र निर्माण पर जोर देने के कथन को वर्तमान में स्कूली शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया गया। एचआरडी मंत्रालय ने इस मॉड्यूल के जरिए स्वामी विवेकानंद के शिक्षा संबंधी सिद्धांतों को अपनाने की स्वीकृति भी कार्यक्रम में दी। स्वामी विवेकानंद के बाद रवींद्रनाथ टैगोर, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, संत कबीर, पंडित मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी पर भी इस तरह के मॉड्यूल्स जारी किए जाएंगे।

स्कूली शिक्षा संग चरित्र निर्माण जरूरी
इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद स्वामी विवेकानंद सार्धसत्ती समारोह समिति के राष्टÑीय सचिव प्रो.अनिरूद्ध देशपांडे ने कहा कि आज स्कूली शिक्षा में सबसे जरूरी चीज जो शामिल की जानी चाहिए वो नैतिक मूल्यों की शिक्षा के साथ बच्चों का चरित्र निर्माण करना है। हमारा उद्देश्य शिक्षा को व्यावसायिक उपयोगिता से हटाकर बच्चों में ऐसी क्षमता विकसित करना है, जिससे वो ये जान सके कि उनकी क्या पसंद है और वो वास्तव में करना क्या चाहते हैं। तकनीक के साथ चरित्र निर्माण के सिद्धांतों पर भी हमारा जोर होना चाहिए।

प्रो.देशपांडे ने स्वामी विवेकानंद के एक प्राचीन कथन का जिक्र किया जिसमें स्वामी जी कहते थे कि महिला सशक्तिकरण की कोई आवश्यकता नहीं है। महिला पहले से ही सक्षम, सामर्थवान होती है। बस जरूरत इस बात की है कि उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दिया जाए और ऐसे तमाम उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं जहां महिलाआें को मौका मिलने पर उन्होंने कितनी ऊंची उड़ान भरी है। अपने संबोधन में उन्होंने भगवतगीता से लेकर संस्कृत, गणित के जनक भारतवर्ष का कई बार जिक्र करते हुए इन्हें बच्चों के लिए जरूरी बताया।

छह भागों में होगा विवेकानंद मॉड्यूल
राष्‍ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अध्यक्ष प्रो.संतोष पांडा ने कहा कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की 152 वीं जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर इस मॉड्यूल को जारी करने से अच्छा कोई और अवसर हो ही नहीं सकता। विवेकानंद पर हमने 6 मॉड्यूल्स तैयार किए हैं। हर भाग में उनके शिक्षा संबंधी सिद्धांतों को विस्तार से युवा पीढ़ी और शिक्षकों के लिए उपयोगी रूप में तैयार किया है। जल्द ही एनसीटीई टीचर एजूकेशन पर नए पाठ्यक्रम के लिए भी कार्यशालाएं आयोजित करेगी।

टीचर्स एजूकेशन पाठ्यक्र में बदलाव
एचआरडी मंत्रालय में नवनियुक्त स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव वृंदा स्वरूप ने कहा कि मंत्रालय टीचर्स एजूकेशन से संबंधित पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहा है, जिससे हमें अच्छे अध्यापक मिल सकेंगे। उन्होंने कहा शिक्षा सूचना तक पहुंच का जरिया न बनकर रह जाए बल्कि इससे हमारी कोशिश है कि हम बच्चों के पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करें। उन्होंने कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के वायरल संक्रमण की वजह से उपस्थित न होने पर खेद भी व्यक्त किया।

युवा शिक्षकों को शिक्षित करेगा मॉड्यूल
प्रो.के.पी.पांडे ने कहा कि इस मॉड्यूल को तैयार करने की जिम्मेदारी हमें एनसीटीई ने सौंपी थी। जिसमें हमने स्वामी जी के शिक्षा से जुड़े विचारों की खासकर युवा शिक्षकों के लिए वर्तमान परिस्थितियों में प्रासांगिक्ता को ध्यान में रखकर तैयार किया है। इसमें हमने कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद केंद्र की काफी मदद ली है।

कार्यक्रम राजधानी दिल्ली के कई स्कूलों के छात्र-छात्राएं, शिक्षक, शिक्षाविदें, थिंकर्स समेत एचआरडी मंत्रालय के संयुक्त सचिव (स्कूली शिक्षा और साक्षरता) जॉहने आलम, एनसीटीई के सदस्य सचिव जुगलाल सिंह और एनसीटीई-एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों ने शिरकत की।

तो आजादी के दो साल बाद 1949 में आजाद हुई सेना...

कविता जोशी.नई दिल्ली

अग्रेंजी हुकूमत के भारत पर करीब 89 वर्षों तक (1858 से 1947 तक) राज करने के बाद हमें 15 अगस्त 1947 को खुली हवा में सांस लेने का मौका मिला। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश को ब्रितानी शासन से मुक्ति मिलने के करीब दो साल बाद तक हमारी भारतीय सेना अग्रेंजी हुकूमत की बेड़ियों में ही जकड़ी हुई थी और इसके कमांडर-इन-चीफ एक ब्रिटिश मूल के अधिकारी फ्रांसिस बूचर थे। इसके पीछे एक वजह तत्कालीन सरकार द्वारा 1947 में आजादी के बाद के दो सालों में भारतीय सेना के लिए एक प्रथक संघीय ढांचा तैयार करना था जो केवल भारतीय सीमाआें की रक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित और प्रतिबद्ध हो।

इस साल भी गुरुवार यानि 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाएगा और उससे पहले मंगलवार 13 जनवरी को सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से रूबरू होंगे।

15 जनवरी 1949 को मिली आजादी
अंग्रेजी हुकूमत से भारतीय सेना को 15 जनवरी 1949 को पूरी तरह से आजादी मिली। इसी दिन की याद में भारत में प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को सेना की आजादी के जश्न के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जनरल के.एम.करियप्पा को भारतीय सेना का कमांडर-इन-चीफ बनाया गया था। इस तरह से जनरल करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेनाप्रमुख बने थे। इसके पहले यह अधिकार ब्रिटिश मूल के अधिकारी फ्रांसिस बूचर के पास था और वो इस पद पर थे।

1948 में केवल 2 लाख थी सेना
देश की आजादी के एक साल बाद यानि 1948 तक भारतीय सेना में केवल 2 लाख सैनिक ही थे। लेकिन अब करीब 11 लाख 30 हजार सैनिक-असैनिक(अधिकारी) थलसेना में अलग-अलग पदों पर आसीन हैंं। सेना के प्रशासनिक एवं सामरिक कार्य संचालन का अधिकार सेनाप्रमुख के पास होता है। रक्षा पंक्ति में भी थलसेना को प्रथम यानि प्रधान स्थान दिया गया है।

शहीदों को दी जाती है श्रंद्धाजलि सेना दिवस के दिन राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इसी दिन सेनाप्रमुख दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले जवानों और लड़ाई के दौरान देश के लिए बलिदान करने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना मैडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं। सेना दिवस के दिन दिल्ली में आयोजित परेड के दौरान अन्य देशों के सैन्य अतिथियों और सैनिकों के परिवारों को बुलाया जाता है।

सेना इस दौरान जंग का एक नमूना भी पेश करती है और अपने प्रतिक्रिया कौशल और रणनीति के बारे में भी बताती है। परेड का उद्देश्श्य इस परेड और हथियारों के प्रदर्शन का उद्देश्य दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराना है। साथ ही देश के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना भी है। थलसेना दिवस पर शाम को सेनाप्रमुख चाय पार्टी का आयोजन करते हैं, जिसमें तीनों सेनाआें के सर्वोच्च कमांडर यानि राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, वायुसेना और नौसेनाप्रमुखों सहित कई गणमान्य अतिथि भी शामिल होते हैं।

पारदर्शी होगी पर्यावरण-वन मंजूरी की प्रक्रिया, आॅनलाइन जांचे अपनी फाइल का मूवमेंट

कविता जोशी.नई दिल्ली
बीते वर्ष 26 मई को देश की सत्ता पर काबिज हुई नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के चर्चित मंत्रालय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कामकाज की प्रक्रिया पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। यहां एक कार्यक्रम में महिला पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की ओर से संस्थागत ढांचे से जुड़ी विभिन्न निर्माण परियोजनाओं के लिए वनीय और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को हम आॅनलाइन करने जा रहे हैं। अभी तक इस प्रक्रिया के तहत करीब 900 से ज्यादा प्रोजेक्टस आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।

आॅनलाइन जांचे अपनी फाइल का मूवमेंट
किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले आवेदक आॅनलाइन पर्यावरणीय और वनीय मंजूरी के लिए अप्लाई करेगा। एक बार आॅनलाइन आवेदन हो जाने से वो अपनी फाइल की मूवमेंट भी आॅनलाइन जांच परख सकेगा कि वो किस स्थिति में है।
आफिसों के चक्कर नहीं काटेंगी फाइलें पिछले सालों में रही यूपीए की सरकार के समय में पर्यावरण मंत्रालय को एक गतिरोधक यानि अचड़न पैदा करने वाले मंत्रालय,परियोजनाआें को लंबे समय तक लटकाने वाले के रूप में देखा जाता था। लेकिन हम स्थिति को बदलने जा रहे हैं। पिछली सरकार में फाइल एक आॅफिस से दूसरे आफिस में चक्कर काटती रहती थीं। लेकिन अब सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और अपना काम पूरा करना होगा। सबकी जिम्मेदारी होगी।

राज्यों की भी तय हो जिम्मेदारी
हमारा मंत्रालय चाहता है कि परियोजनाओं के मसले में राज्यों की भी जिम्मेदारी तय हो। सरकार मूलभूत ढांचे से जुड़ी योजनाआें जिनमें सड़क, रेल, पानी, ड्रिकिंग कैनाल्स वाले प्रोजेक्ट्स शामिल हैं और जो कि खासकर वनों से होकर निकलते हैं। कभी राज्य तो कभी जिलों की सीमा से यह गुजरते हैं। हम स्टेट्स को कप्लाइंस प्रोसेस में ज्यादा कारगर सहयोगी के रूप में शामिल करने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा राज्यों के लिए स्टैंडर्ड कंप्लायंस तैयार किया जा रहा है। हमारा कहना है कि अगर एक पेंड काटे तो तीन पेंड लगाएं। इसकी निगरानी भी की जाएगी। जिसमें हम चाहते हैं कि राज्यों की भी जिम्मेदारी तय हो। इससे जनरल अप्रूवल योजना का खाका भी तैयार होगा और कामकाज का तरीका बनेगा। रेल-सड़क जो भी पब्लिक प्रोजेक्ट्स हैं।

शनिवार, 10 जनवरी 2015

एचआरडी मंत्रालय का नैतिक शिक्षा पर जोर, जारी होगा मॉड्यूल

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश में बच्चों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसे लेकर आगामी सोमवार 12 जनवरी को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ‘स्वामी विवेकानंद एंड एजूकेशन’ नामक एक मॉड्यूल जारी करेंगी। मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इसके बाद संत कबीर पर भी एक मॉड्यूल जारी किया जाएगा। इन मॉड्यूल्स के जरिए मंत्रालय की योजना स्वामी विवेकानंद और इस तरह अन्य विख्यात विभूतियों की युवाओं को दी गई नैतिक शिक्षा को स्कूल-कॉलेज के बच्चों में प्रचारित-प्रसारित करना है। इस कार्यक्रम का आयोजन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) की ओर से किया गया है। इसमें स्वामी विवेकानंद सार्धसत्ती समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव अनिरूद्ध देशपांड़ें मुख्य वक्ता होंगे। एचआरडी मंत्रालय में स्कूली-शिक्षा और साक्षरता सचिव डॉ.आर.भट्टाचार्या कार्यक्रम का समापन करेंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में मंत्रालय और एनसीटीई के अधिकारी, शिक्षक, शिक्षाविद्, धार्मिक गुरू और थिंकर्स शिरकत करेंगे।

पांच साल में साफ हो जाएगी गंगा, बनेगी नजीर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां शनिवार को महिला प्रेस क्लब में महिला पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गंगा नदी को सरकार 5 साल के अंदर प्रदूषण मुक्त कर स्वच्छ कर देगी। एक बार गंगा नदी साफ हो जाए तो उसे अन्य नदियों के लिए नजीर के रूप में पेश किया जाएगा। इससे उन्हें भी स्वच्छ करने की दिशा में हम आगे बढ़ पाएंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नदी में प्रदूषणरहित करने के लिए हमने करीब 64 उद्योगों को बंद किया है। 56 उद्योगों को प्रदूषण की रफ्तार कम करने और उसके लिए जरूरी संस्थागत ढांचे का तीन महीने में निर्माण करने को कहा है। इसके अलावा क रीब 3 हजार 260 उद्योगों को 24 घंटे प्रदूषण संबंधी निगरानी करने वाले उपकरणों को लगाने के निर्देंश दिया है।

एक बार अगर हम गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त कर देंगे तो यह बाकी नदियों के लिए भी मिसाल बनेगी। जलवायु परिवर्तन पर हालिया हुए लीमा सम्मेलन का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि वहां विकसित देश पर्यावरण के लिए खतरनाक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन(जीएचजी) को कम करने को लेकर अपनी पुरानी जिम्मेदारियों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुए जबकि भारत का यह मानना है कि उन्हें ज्यादा सहयोग करना चाहिए। पर्यावरण के लिए हानिकारक जीएचजी गैसों के उत्सर्जन को कम करने की दिशा में विकसित देशों को भारत जैसे विकासशील देशों को ज्यादा मदद देनी चाहिए।

हमने सम्मेलन में यह बात भारत की ओर से रखी कि वो हमें स्वच्छ ऊर्जा तकनीक को मुफ्त में दे न कि आईपीआर की तर्ज पर। कार्बन उत्सर्जन को वैश्विक आधार पर कम करने की दिशा में भारत कई कार्यों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसमें हमने एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन लक्ष्य बनाया है, जिससे भारत करीब 145 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन की प्रतिवर्ष बचत करेगा। हरियाली को बचाने के लिए 6 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त कैंपा फंड भी इसमें अहम भूमिका निभाएगा।

पर्यावरण की हरिझंडी से रफ्तार पकड़ेगा एलएसी के करीब सड़क निर्माण कार्य!

कविता जोशी.नई दिल्ली

पूर्वोत्तर में अरूणाचल-प्रदेश में सरकार चीन से लगने वाले इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का लक्ष्य बनाए हुए है। इसमें अरूणाचल में भारत की चीन संग लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास और दूर करीब 2 हजार किमी. लंबी सड़कों का जाल बिछाया जाना है। इनमें 22 सामरिक सड़कें होंगी जो देश की रक्षात्मक और सामरिक जरूरतों को पूरा करेंगी।

यहां शनिवार को राजधानी के महिला प्रेस क्लब में महिला पत्रकारों से मुखातिब हुए केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमारी पूर्ववर्ती सरकार को परियोजनाआें को वन-पर्यावरण संबंधी मंजूरी के नाम पर अटकाने, लागत में बढ़ोतरी करने और उनमें देरी के लिए जाना जाता था। लेकिन बीते वर्ष 26 मई को बनी नई सरकार के बाद हमारी प्राथमिक्ताआें में सीमा पर संस्थागत ढांचे को तेजी से विकसित करने को लक्ष्य बनाया गया है।

100 किमी. के दायरे में परियोजनाएं मंजूर
पूर्वोत्तर में एलएसी के करीब 100 परियोजनाएं लंबित पड़ी थीं। हमने नीतिगत फैसला लिया कि देश की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा दोनों बेहद जरूरी है। इसके आधार पर मंत्रालय ने एलएसी के करीब 100 किमी. के दायरे में पड़ने वाली तमाम परियोजनाआें को पर्यावरण और वन संबंधी मंजूरी दे दी है। इसके बाद निर्माण कार्य को लेकर पर्यावरणीय-वनीय मंजूरी से जुड़ी कोई चुनौती नहीं रह गई है।

चीन का विरोध
हरिभूमि ने एलएसी के करीब होने वाले निर्माण पर जब चीनी आपत्ति को लेकर सवाल किया तो पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। यहां बता दें कि बीते 30 दिसंबर को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी रक्षा संवाददाताआें से हुई बातचीत में हरिभूमि के प्रश्न के जवाब में कहा था कि अरूणाचल-प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। हम अपनी जमीन पर कुछ भी निर्माण कार्य कर सकते हैं, उसमें किसी और को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन चीन अरूणाचल को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा कहकर उसे चीन का हिस्सा बताकर विवादित इलाका मानता है और भारत द्वारा वहां की जाने वाली किसी भी गतिविधि का विरोध करता है।

एलएसी के करीब बनने वाली सड़कें
भारत यहां 22 सामरिक सड़कों का निर्माण करने जा रहा है। इसमें अरूणाचल की 8 घाटियां (अपर सुबानसीरी, लोअर सुबानसीरी, दवांग, दीचू, मैंचुका) बेहद अहम हैं, जिनसे होकर करीब 7 सड़कें सीधे एलएसी के करीब तक बनाई जाएंगी। इनमें प.बंगाल के सुकना-कैलिंगपॉंग से नाथुला बॉर्डर (सिक्किम) तक बननी है। एक सड़क असम में मीसामारी से भालुंगपॉंग से टैंगा होकर तवांग तक बनाई जाएगी। असम प्लेंस से एक सड़क अरूणाचल के दीचू तक बनाई जानी है। दीचू से एलएलसी के पिन प्वाइंट फिशटेल तक आवाजाही बढ़ेगी। अरूणाचल के तेजू से मैंचुका होकर मनीगाँग तक एक सड़क बनेगी।

विस चुनाव में भाजपा को मिलेगी ऐतिहासिक जीत: जावड़ेकर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली में शनिवार का दिन राजनीतिक गलियारों में एक अलग दिन के रूप में देखा जा सकता है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलीला मैदान से विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक रहे थे तो दूसरी केंद्र सरकार के पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर महिला प्रेस क्लब में महिला पत्रकारों के सामने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिलने की घोषणा कर रहे थे।

केंद्रीय पर्यावरण-वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने महिला पत्रकारों से आॅन-रिकॉर्ड बातचीत के अपने संबोधन में कहा कि बीजेपी को दिल्ली के विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत मिलेगी और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी 20 राज्यों में शासन करेगी यानि उसकी वहां सरकारें होंगी। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में पार्टी की जीत को लेकर किसी को कोई गलतफहमी है तो यह हमारे लिए एक चुनौती होगा कि हम उसे गलत साबित करें।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम जनता के बीच लोकतंत्र में भागीदारी को लेकर एक समझ पैदा की है। जावड़ेकर ने पत्रकारों से पुणे में हुए एक हालिया कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि वहां राजनीति से जुड़े लोग, शिक्षक, स्कूल-कॉलेज के बच्चे बड़ी संख्या में आए हुए थे। मैं नेताआें से मिलने से पहले बच्चों के बीच गया और करीब 15 मिनट तक एक शिक्षक के तौर पर उनसे बात की। बच्चों ने कहा कि हमें स्वच्छ, हरा-भरा,ईमानदार, भ्रष्टाचार मुक्त और कौशल से परिपूर्ण भारत चाहिए। जिसमें हम कड़ी मेहनत के जरिए एक अच्छा जीवन बिता सके। बच्चों की इन इच्छाओं-आकांक्षाआें को देखकर मैं राजनेताआें को कहना चाहूंगा कि राजनेताआें समझ लो कि नई पीढ़ी की मांग और आकांक्षाएं ये हैं। जो इन्हें समझेगा लोग उसी को वोट देंगे बाकी को नहीं। अपने इस कथन के अंत में उन्होंने कहा कि इससे यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल 2014 से 2019 तक ही नहीं बल्कि चौबीस घंटे के लिए बुक हो गए हैं। दूसरे अर्थों इसे यह भी कहा जा सकता है कि मोदी सरकार को दूर-दूर तक कोई हिला नहीं सकता।

तकनीक से बदलेगी 136 गांवों की तस्वीर, काम शुरू

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास के उन्नत भारत अभियान के जरिए अब देश के 136 गांवों का तकनीक के सहारे कायाकल्प किया जाएगा। इसके तहत मंत्रालय की योजना है तकनीक के मामले में सवार्धिक समृद्ध देश के तमाम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) को एक-एक गांव में तकनीक के सहारे उसका कायाकल्प किया जाए।

एचआरडी मंत्रालय में तकनीकी शिक्षा से जुड़े मामलों को देख रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने हरिभूमि को बताया कि इसके लिए अभी आईआईटी और एनआईटी की ओर से देश के कुल 136 गांवों में काम शुरू कर दिया है। जल्द ही यह संस्थान अपनी बेहतर तकनीक का इस्तेमाल इन गांवों में करके गांववालों के जीवन को बेहतर करने के सपने को साकार कर दिखाएंगे। बीते दिनों राजधानी में हुए शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भी केंद्र की ओर इस कार्य के लिए राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को भी सहयोग करने को कहा गया। मंत्रालय का कहना है कि इससे इस कार्य में तेजी आएगी और जल्द से जल्द देश के बाकी गांवों का भी तकनीक के सहारे कायाकल्प करने में मदद मिलेगी।

ओबामा के आगमन से पहले चिनुक-अपॉचे को सीसीएस की मंजूरी!

कविता जोशी.नई दिल्ली

26 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने से पहले यहां भारत में अमेरिका के साथ जारी रक्षा सौदों की खरीद प्रक्रिया में अचानक तेजी देखने को मिल रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे जाने वाले 22 अपॉचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों और 15 हेवीलिμट चिनुक हेलिकॉप्टरों की खरीद का सौदा भी शामिल है। सरकार के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक इस सौदे को ओबामा के भारत आने से पहले सीसीएस अपनी अंतिम मंजूरी दे सकती है। ओबामा भारत के दो दिवसीय (25-26 जनवरी) दौरे पर आ रहे हैं।

सौदे पर जल्द सीसीएस की मुहर
22 अपॉचे और 15 चिनुक हेलिकॉप्टर अमेरिका की बोर्इंग कंपनी से खरीदे जाने है। इस सौदे की कुल अनुमानित कीमत करीब 9 हजार करोड़ रुपए है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि अभी इस सौदे के प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा है। इस बात की पूरी संभावना है कि वित्त मंत्रालय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे से पहले इसे अपनी स्वीकृति दे देगा। इसके बाद फिर फाइल रक्षा मंत्रालय आएगी और मंत्रालय उसे तुरंत केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति (सीसीएस) की अंतिम मंजूरी के लिए भेजेगा। यहां से उसे जल्द अंतिम मंजूरी मिल जाएगी।

अमेरिका के साथ चल रहे खरीद सौदे
भारत ने अमेरिका से 10 सी-17 ग्लोबमास्टर-3 बड़े मालवाहक विमानों की खरीद का सौदा किया है। इसमें से 6 विमान भारत आ चुके हैं और बाकी 4 विमान इस साल के अंत तक आने की उम्मीद है। इसके अलावा 12 विशेष सामरिक अभियानों में प्रयोग होने वाले सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमानों की खरीद भी की जा रही है। इसमें से 6 विमान भारत आ चुके हैं। इनमें से 1 सी-130जे विमान हादसे का शिकार हो चुका है और अब इनकी संख्या 5 रह गई है। बाकी 6 विमान वर्ष 2016 तक भारत को मिल जाएंगे।

सी-130जे की पानागढ़ में होगी तैनाती
वर्ष 2016 में जब भारत को सभी 12 सी-130जे विशेष सामरिक अभियानों में प्रयुक्त विमानों के बेड़े को पश्चिम-बंगाल के पानागढ़ में तैनात किया जाना है। पानागढ़ का इलाका चीन से लगी पूर्वोत्तर सीमा के बेहद करीब है। इनकी तैनाती से यहां किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाने में बहुत मदद मिलेगी।

बीते वर्ष से बन रही है भूमिका
बीते वर्ष 2014 के अगस्त महीने से ही चिनुक-अपॉचे हेलिकॉप्टरों की खरीद के सौदे को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। अगस्त के शुरूआती सप्ताह में अमेरिका के रक्षा सचिव चक हेगल ने जब भारत की यात्रा की तो उसमें भी इस सौदे को लेकर बातचीत हुई थी। इसके बाद से ही यह सौदा चर्चाआें बना हुआ है। 

एचआरडी मंत्रालय जल्द जारी करेगा अपनी ई-बुक

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाघन विकास मंत्रालय जल्द ही अपनी ई-बुक जारी करने वाला है। इसमें 26 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी नई सरकार के गठन के बाद की अब तक की उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख किया जाएगा। इसके अलावा मंत्रालय द्वारा हालिया घोषित किए गए नई योजनाआें, कदमों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

एचआरडी मंत्रालय के सूत्र ने हरिभूमि को बताया कि इस तरह की ई-बुक जारी करने का आदेश सरकार की ओर से सभी मंत्रालयों को दिया गया है। अब तक करीब 11 मंत्रालयों ने पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की बेवसाइट पर इसे अपलोड कर दिया है। हमारा मानव संसाधन मंत्रालय भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। जल्द ही हम अपनी ई-बुक को जारी कर देंगे। मंत्रालय की ई-बुक में सीबीएसई की उड़ान, सारांक्ष, प्रगति जैसे योजनाआें से लेकर उन्नत भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान, उच्च शिक्षा से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण योजनाआें को शामिल किया जा सकता है। जिन मंत्रालयों ने पीआईबी की बेवसाइट पर अपनी ई-बुक अपलोड कर दी है उनमें कारपोरेट अफेयर्स, केमिकल और फर्टिलाइजर, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, महिला एवं बाल विकास, पर्यटन, शिपिंग, एमएसएमई, रोड-ट्रांसपोर्ट और हाइवे, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन, माइनॉरिटी अफेयर्स, कंज्युमर अफे यर्स, लेबर एंड एंप्लायमेंट, उद्योग, स्टील, गृह, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और उत्तर-पूर्व के मसलों को विशेष रूप से देखने वाला मंत्रालय शामिल है। 

मलाला मेरी बेटी, मैं उसका पिता: सत्यार्थी

कविता जोशी.नई दिल्ली

बाल अधिकारों पर लंबे समय से संघर्षरत हालिया नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी आज दुनिया के समक्ष किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने करीब 4 दशकों का लंबा संघर्षभरा दौर पार किया और खुद पर आई विपत्तियों से लेकर अपने कई साथियों के बलिदान की पीड़ा को झेलना पड़ा। यह बातें उन्होंने यहां गुरुवार को राजधानी में रक्षा मंत्रालय के कॉंपट्रोलर जनरल आॅफ डिफेंस अकाउंटस (सीजीडीए) विभाग के एक कार्यक्रम में अपने उद्घबोधन में कहीं।

मलाला मेरी बेटी, मैं उसका पिता
हरिभूमि ने कैलाश सत्यार्थी से पाकिस्तान को आपका क्या संदेश है और अमेरिकी राष्टÑपति के अलावा किन अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने आपको लिखित में बधाई संदेश भेजे के जवाब में कहा कि मुझे शांति के लिए पाकिस्तानी लड़की मलाला युसूफजई के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार मिला है। पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है। मैं वहां करीब 25 वर्षों से काम करता रहा हूं। वहां भी बाल अधिकारों से लड़ने को लेकर मैंने लंबे समय तक काम किया और पेशावर के सैन्य स्कूल पर हुए हमले ने मुझे भी झकझोरा था। मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि मलाला मेरी बेटी है और मैं उसका पिता। इसके आप जो चाहे मायने निकाल लें। सत्यार्थी जी के इस कथन से स्पष्ट होता है कि दुनिया के किसी भी देश में बच्चों पर जुल्म हो, बाल मजदूरी कराना, र्इंट की भट्टियों में काम कराना, वैश्यावृति जैसे कुकृत्यों की ओर धकेलना अमानवीय ही नहीं बेहद निंदनीय है। मानवता की पूरी दुनिया में रक्षा होनी चाहिए। समाज में बच्चों के प्रति सभी को सजग रहना होगा।

ओबामा ने भेजी थी लिखित बधाई
हरिभूमि के दूसरे सवाल के जवाब में नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि जिस दिन मुझे यह पुरस्कार मिलने की घोषणा हुई। उसके कुछ दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने हाथ से लिखकर मुझे बधाई संदेश भिजवाया। उसमें उन्होंने अपने देश के किसी असहाय बच्चे की व्यथा का भी जिक्र किया था। इसके अलावा नार्वे, स्वीडन के राष्ट्राध्यक्षों से लेकर संयुक्त राष्ट्र की कई संस्थानों और दुनिया में बाल-अधिकारों, मानवाधिकारों पर काम करने वाली संस्थाआें के लिखित बधाई संदेश आए।

सेनाआें के कंधे पर बच्चों की सुरक्षा
मैंने बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अपना नोबल पुरस्कार मेडल राष्ट्र के नाम समर्पित किया है। राष्ट्रपति भवन अब उसे अपने म्युजियम में रखकर आम जनता को प्रदर्शित करेगा। इसके अलावा पुरस्कार की नकद राशि मैंने अंतरराष्ट्रीय नोबेल समिति को दे दी है और उनसे उसे दुनिया भर में पीड़ित बच्चों के विकास में लगाने की अपील की है। जब मैंने अपने मेडल को राष्ट्रपति को सौंपा है, जो कि सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर हैं तो वो आपको (थलसेना, वायुसेना, नौसेना) को समर्पित कर दिया है। अब सेनाओं की भी यह जिम्मेदारी हो गई है कि वो अपने आस-पास बच्चों के अधिकारों के खिलाफ अवाज उठाए। अगर किसी बच्चे का शोषण होता है तो बोले चुप न रहें।

चीनी युद्ध का किया जिक्र
जब वर्ष 1962 में चीन ने आक्रमण किया तब मैं उम्र में कुछ छोटा था। लेकिन मैंने सुना कि हमारे सैनिकों ने डटकर चीनियों का मुकाबला किया। यह भारतीयों की सबसे बड़ी ताकत है कि किसी भी मुद्दे पर पीछे नहीं हटते। जब तक लक्ष्य को पा नहीं लेते तब तक लड़ते-जूझते रहते हैं। मेरी आप सभी से अपील है कि बाल अधिकारों की सुरक्षा को लेकर भी कुछ ऐसी ही पहल देश में होनी चाहिए।

दुनिया में बच्चों की स्थिति
दुनिया में करीब 6 करोड़ बच्चे स्कूल ही नहीं गए। 15 करोड़ बच्चों को बुनियादी शिक्षा हासिल करने से पहले ही स्कूल छोड़ना पड़ा। दुनिया में 17 करोड़ बच्चे र्इंट के भट्टों, पत्थर की खदानों में काम करते हुए गुलामों जैसा जीवन बिता रहे हैं। दुनिया के 1 अरब बच्चे गरीबी में जी रहे हैं और 24 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। सरकार के एनसीआरबी के आंकड़ें बताते हैं कि देश में हर 1 घंटे में 13 बच्चे गायब होते हैं। इन 13 में से 6 बच्चे कभी नहीं मिलेंगे। ऐसे में हम और हमारे बच्चे कहां सुरक्षित में हैं।   

ओबामा के समक्ष झांकी दिखाने को बेताब हैं राज्य

कविता जोशी.नई दिल्ली

इस बार 26 जनवरी को होने वाली गणतंत्र दिवस की 65 वीं परेड पहले से कई मायनों में अलग होने वाली है। इसका सबसे बड़ा कारण और आकर्षण अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का परेड का मुख्य अतिथि के रूप शिरकत करना है। ओबामा के आगमन को लेकर यहां राज्यों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। हरिभूमि की पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक इस बार बीते वर्षों की तुलना में राज्यों की ओर से परेड में भारी तादाद में शामिल होने की इच्छा जताई जा रही है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय को राज्यों की ओर से लगातार प्रस्ताव भी मिल रहे हैं।

राज्यों-मंत्रालयों की परेड थीम
गणतंत्र दिवस 2015 की परेड के लिए केंद्र ने राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों की थीम में कई अहम मुद्दों को जनता के सामने प्रस्तुत करने का मन बनाया है। इसमें सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया अभियान’, ‘पर्यावरण संरक्षण’ से लेकर ‘महिला शिक्षा’, और ‘महिला सशक्तिकरण’ जैसे मुद्दों की झलक इन झांकियों में देखने को मिलेगी।
12 राज्य-8 मंत्रालय होंगे परेड का हिस्सा इस बार परेड में 12 राज्य और 8 केंद्रीय मंत्रालय शामिल हो सकते हैं। राज्यों में हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य-प्रदेश, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों की झांकियां परेड का हिस्सा बनेंगी जबकि मंत्रालयों में रेल, कानून, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सीपीडब्ल्यूडी, पंचायती राज, एमएसएमई, उद्योग मंत्रालय का डिपार्टमेंट आॅफ इंडस्ट्रीयल पॉलिसी एंड प्रमोशन विभाग, डीआरडीओ अपनी झांकियां दिखाएंगे। 6 स्कूल भी परेड में शामिल होंगे जिसमें 4 दिल्ली और 2 राजस्थान और महाराष्ट्र के होंगे। रक्षा मंत्रालयके सूत्रों का कहना है कि झांकियों की संख्या में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

सेना-वायुसेना का महिला दस्ता करेगा मार्च
गणतंत्र दिवस परेड में इस साल पहली बार थलसेना-वायुसेना का महिला दस्ता भी भाग लेगा। इससे पहले परेड में दोनों सेनाआें की ओर से अलग-अलग स्तर पर भागीदारी देखने को मिलती रही है। लेकिन यह पहला मौका होगा जब इन दोनों का महिला दस्ता राजपथ पर होने वाली परेड में लेफ्ट-राइट करते हुए नजर आएगा।

बढ़ेगा परेड का समय
ओबामा के आगमन के चलते इस बार परेड की समय-सीमा बढ़ाने की भी तैयारियां चल रही हैं। वर्ष 2011 तक परेड 2 घंटे 20 मिनट की होती थी। लेकिन इसके बाद 2012 से इसका समय घटाकर 1 घंटा 50 मिनट 20 सेकेंण्ड कर दिया गया था। लेकिन इस बार समयसीमा बढ़ायी जा सकती है।

तटरक्षकबल के अभियान की विस्तृत जानकारी देगा मंत्रालय

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बीते 31 दिसंबर की देर रात गुजरात के पोरबंदर तट से करीब 350 किमी. दूर समुद्र में तटरक्षकबल द्वारा विस्फोटकों से लदी संदिग्ध पाक नौका को समय रहते पकड़ने को लेकर चलाए गए अभियान के बारे में जल्द ही रक्षा मंत्रालय एक विस्तृत आॅडियो-वीडियो सामग्री जारी करेगा। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि हाल में तटरक्षकबल ने इस अभियान को लेकर एक व्यापक तथ्यात्मक सामग्री रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को सौंपी है, जिसकी वो पड़ताल कर रहे हैं। एक बार उनकी इस पड़ताल का काम पूरा होने के बाद आगामी एक-दो दिन में मंत्रालय इसे मीडिया को जारी करेगा।

गौरतलब है कि इस अभियान के बाद से ही विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिनकी हालिया दी गई सफाई में रक्षा मंत्री कह चुके हैं कि ऐसा करके विपक्षी पाकिस्तान को ही मदद पहुंचा रहे हैं। अब इस आॅडियो-वीडियो के जरिए तटरक्षकबल द्वारा किए गए इस पूरे अभियान के बारे में देश को विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

छग-हरियाणा के मंत्रियों ने भी दिए शिक्षा संबंधी सुझाव

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

यहां मंगलवार को राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में छत्तीसगढ़ और हरियाणा के शिक्षा मंत्रियों ने भी केंद्र सरकार को अपने सुझाव दिए। इस पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को एक शिकायत निवारण सेल बनाने का निर्देंश दिया गया। इस सेल के जरिए शिक्षा के मसले पर राज्य अपने सुझावों, समस्याआें और चुनौतियों से केंद्र सरकार को सीधे भेज सकेंगे और उनका त्वरित समाधान भी पा सकेंगे। बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी, दोनों राज्य शिक्षा मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, प्रो.रामशंकर कठेरिया, उच्च-शिक्षा विभाग में सचिव एस.एन.मोहंती, उच्च-शिक्षा विभाग में विशेष सचिव वृंदा स्वरूप, विभाग में अतिरिक्त सचिव अमरजीत सिन्हा, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो.वेदप्रकाश मौजूद थे।

हरियाणा के सुझाव
बैठक में मौजूद हरियाणा के शिक्षा मंत्री प्रो.रामबिलास शर्मा ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि हम भगवतगीता और योग को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहते हैं। इसके अलावा हरियाणा सरकार प्रदेश में देश की प्राचीन भाषा संस्कृत को लेकर एक विश्वविद्यालय खोलना चाहती है। हम केवल छात्र-छात्राआें की शिक्षा पर ही जोर नहीं दे रहे हैं बल्कि यह चाहते हैं कि स्कूली प्रांगण में बच्चों को भारतीय संस्कारों के बारे में भी अवगत कराए जाए। स्कूलों में शौचालयों की कमी दूर करना भी हमारी प्राथमिक्ता है। इसके अलावा प्रो.शर्मा ने कहा कि प्रदेश में बीते कुछ सालों में शिक्षा का काफी व्यवसायीकरण हुआ है, जिससे गरीब बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। व्यवसायीकरण से उत्पन्न हुए इस अंतर को हम दूर करना चाहते हैं।

छत्तीसगढ़ के सुझाव
बैठक में मौजूद छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि वोकेशनल प्रशिक्षण को लेकर केंद्र को हमें फैकेल्टी,अतिरिक्त कक्षाआें की आवश्यक्ता और वित्तीय सहायता जैसी मदद प्रदान करनी चाहिए। परा-स्नातक स्तर पर लागू सेमिस्टर सिस्टम को अंडर ग्रेजुएशन स्तर पर भी लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा के्रडिट बेस सिस्टम में पाठ्यक्रम का मॉडल केंद्र को तैयार करना चाहिए जिसे बाद में राज्य अपने विश्वविद्यालयों और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों में लागू करे। केंद्र की ओर से राज्यों को शिक्षा के मुद्दों पर पूरा सहयोग देने का वादा किया गया।

क्रेडिट फ्रेमवर्क पर राज्यों के सुझाव
राज्यों के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्रियों ने क्रेडिट फे्रमवर्क फार स्किल्स एंड चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को स्वीकार किया। केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु,महाराष्ट्र की संयुक्त कार्यसमूह के गठन की मांग को स्वीकार किया जिसमें उन्होंने इस समूह में राज्यों के प्रतिनिधि को शामिल करने की बात कही थी। समूह के जरिए संयुक्त रूप से इस सिस्टम को लागू करने को लेकर आने वाली चुनौतियों और समस्याआें का समाधान किया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर 26 जनवरी से शुरू होगा विमर्श का दौर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खाके को जल्द ही अमलीजामा पहनाने के लिए 26 जनवरी यानि गणतंत्रण दिवस से देश में चर्चाओं का व्यापक दौर शुरू किया जाएगा। इसमें मंत्रालय की ओर से केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी, मंत्रालय में काबिज दोनों शिक्षा राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, रामशंकर कठेरिया समेत तमाम अधिकारी व्यक्तिगत रूप से देश में हर स्तर पर जाएंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। केंद्र की ओर से शिक्षा से जुड़े मसलों पर पूर्ण सहयोग देने का केंद्र ने राज्यों को आश्वासन दिया है।

केंद्र करेगा राज्यों से बातचीत की पहल
यहां मंगलवार को राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक से इतर पत्रकारों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा नई सरकार की प्राथमिक्ताओं में स्कूली से लेकर उच्च-शिक्षा कैसी हो के बारे में गंभीर मंथन किया जा रहा है। इस बदलाव को लेकर हम 26 जनवरी से देशभर में गांव से लेकर जिला, ब्लॉक और जोनल स्तर पर खुद जाकर लोगों से मिलेंगे और उनके विचार जानेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की थीम को लेकर भी केंद्र, राज्यों से बातचीत करेगा।

मंत्रालय में बैठकर फरमान नहीं चलाएंगे
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा का असल चेहरा-मोहरा तैयार करने में राज्य सरकारें अहम भूमिका निभाएंगी। उनके सहयोग के बिना इसे यर्थाथ नहीं बनाया जा सकता। हम दिल्ली में बैठकर फरमान जारी नहीं करेंगे बल्कि शिक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर देश भ्रमण करेंगे। राज्य सरकारें हमें इस बात की जानकारी दें कि वो किन जगहों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर विचार-विमर्श करना चाहते हैं। केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर यह तय करना होगा कि अगले 10 साल में शिक्षा के मामले में हमें किन चीजों को लेकर तैयार रहना चाहिए।

क्रेडिट बेस फ्रे मवर्क सिस्टम पर जोर
इस बार बैठक की थीम क्रेडिट बेस फे्रमवर्क सिस्टम पर रखी गई जिसमें केंद्र की ओर से राज्यों से यह अपील की गई कि वो इसे वर्ष 2015-16 के शैक्षणिक सत्र से अपने यहां लागू करें। राज्यों की ओर से इस मुद्दे पर संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित शिक्षकों के अभाव, सिस्टम को लागू करने के लिए कक्षाआें जैसी जरूरी मूलभूत सुविधाआें की कमी की बात कही गई जिसमें केंद्र की ओर से सहयोग देने की बात कही गई है।

मेक इन इंडिया पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने के लिए युवाआें को स्किल आधारित प्रशिक्षण देने पर सरकार का पूरा जोर रहेगा। मंत्रालय खासकर उन कोर्सेज को बढ़ावा देगा जिससे स्कूल से निकलकर कोई भी छात्र-छात्रा इनके जरिए रोजगार पा सकेंगे। यूजीसी ने इस बाबत दिशानिर्देंश भी जारी किए हैं। सरकार का जोर उद्योग जगत की मांगों को भी ध्यान में रखने का है, जिससे ऐसे कोर्स शुरू किए जाएंगे जिनमें दाखिला लेने के बाद सीधे रोजगार मिल सकेगा।

सोमवार, 5 जनवरी 2015

राज्यों के शिक्षा मंत्रियों से आज बैठक करेंगी ईरानी

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी मंगलवार को यहां राजधानी के विज्ञान भवन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक करेंगी। बैठक के एजेंड़े में शामिल मुख्य बिंदुआें में उच्च-शिक्षा में के्रडिट सिस्टम और क्रेडिट फ्रेमवर्क को शामिल करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खाके पर राज्यों से चर्चा, शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून की समीक्षा, स्कूली और विश्वविद्यालयी स्तर की शिक्षा में बदलाव से जुड़े जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।
 
गौरतलब है कि बीते दिसंबर महीने में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में सांसद जी. हरि केपूरक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी थी कि स्कूली-माध्यमिक शिक्षा से लेकर उच्च-शिक्षा के मुद्दों पर हम राज्यों के साथ चर्चा करते हैं और उन्हें सलाह भी देते हैं। हम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करना चाहते हैं।  इसलिए हमने 6 जनवरी को राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक बुलाई है।

एचआरडी मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की इस बैठक के बाद तैयार मसौदे को जल्द होने वाली केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) की बैठक में विचार-विमर्श के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। वहीं सरकार की ओर से प्रस्तावित तमाम शिक्षा क्षेत्र के सुधारों को लेकर बनाए जा रहे ड्राफ्ट पर अंतिम सहमति की मुहर लगेगी। अभी कैब की बैठक को लेकर आधिकारिक तारिख का ऐलान मंत्रालय की ओर से नहीं किया गया है।      

विपक्ष पर रक्षा मंत्री का पलटवार, फिर थपथपाई कोस्टगार्ड की पीठ!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
रक्षा मंत्री मर्नोहर पर्रिकर ने सोमवार को एक बार फिर 1 जनवरी को तटरक्षकबल द्वारा पोरबंदर तट से 350 किमी. दूर समुद्र में किए गए अभियान पर विपक्षी कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया और कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से इस बात के सबूत मिलते हैं कि एक जनवरी की रात में कोस्टगार्ड द्वारा जिस पाकिस्तानी नौका को खोजकर अभियान चलाया गया उसका आतंकी संबंध था। उन्होंने विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि नौका में आतंकी नहीं तस्कर सवार थे।

रक्षा मंत्री ने यह जानकारी यहां राजधानी के दिल्ली कैंट में नेशनल इंस्ट्टीट्यूट आॅफ डिफेंस एस्टेट मैनेजमेंट (एनआईडीईएम) के शिलान्यास के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में दी। वो उन्हें संदिग्ध और संभावित आतंकी करार देते हैं। क्योंकि उन्होंने घेराबंदी किए जाने पर खुद को उड़ा लिया। नौका पर सवार लोग पाकिस्तान के नौवहन अधिकारियों समेत पाक सेना और अंतरराष्ट्रीय संपर्क से जुड़े हुए हैं। नौका न तो मछली पकड़ने के क्षेत्र में थी और न ही ऐसे व्यस्त मार्ग पर थी जिसे तस्कर पसंद करते हैं। उनके कार्यों से ऐसा संकेत मिलता है कि वे किसी अन्य तरह की गतिविधि के लिए थे। इस बात को लेकर हम सुनिश्चित नहीं थे कि वो अन्य तरह की गतिविधि क्या है।

रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब इस दावे पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की शैली को विफल बना दिया गया। कांगेस ने इस पूरे मामले पर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है जबकि सत्ता पक्ष पर काबिज भाजपा का कहना है कि ऐसा कहकर वो पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वो नौका एक निर्जन इलाके में विचरण कर रही थी जहां उसके साथ कोई और मछली पकड़ने वाली नौका नहीं थी। तस्कर आमतौर पर बेहद व्यस्त मार्ग का तस्करी के लिए इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि इससे उन्हें मार्ग पर अन्य जहाजों की आड़ में छिपने में आसानी होती है। इस नौका को कोस्टगार्ड के निगरानी विमान ने अपनी गश्त के दौरान खोजा और रुकने के लिए हवा में गोलियां भी चलाई। लेकिन बिना कोई जवाब दिए इन लोगों ने नौका को आग के हवाले कर दिया। संघर्षविराम उल्लंधन पर पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि आतंकवाद नहीं बढ़े या हमारे क्षेत्र में नहीं घुसपैठ करे।