गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

ऐसे तो नहीं जगेगा महिलाओं में सुरक्षा का भरोसा.....

कविता जोशी.नई दिल्ली

रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए रेल बजट-2015 में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जिस निर्भया फंड के संसाधनों के इस्तेमाल से लेकर महिला यात्री डिब्बों में कैमरे लगाने की जो घोषणाएं की गई हैं उसे लेकर महिलाएं उत्साहित नहीं हैं बल्कि उनके मन में असुरक्षा का भाव जस का तस बना हुआ है। महिलाओं का कहना है कि रेल मंत्री द्वारा की गई दो घोषणाएं महिलाआें की सुरक्षा के लिए काफी नहीं हैं। इसके अलावा भी बहुत कुछ जरूरी कदम हैं जो उठाए जाने बाकी हैं।

रेल बजट में महिलाआें के लिए की गई घोषणाआें पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि रेल बजट में महिलाआें की सुरक्षा के लिए जिन तमाम चीजों की आज के दौर में आवश्यकता थी उसे रेल मंत्री ने नहीं छुआ। यह तो केवल छोटी से पहल ही कही जा सकती है, जिससे महिलाओं को सरकार की तरफ से ठोस सुरक्षा मिलने का कोई भरोसा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जिस निर्भया फंड के संसाधनों के इस्तेमाल से लेकर रेलगाड़ियों के महिला डिब्बों में महिलाआें की सुरक्षा के लिए कैमरे लगाने की बात कही है। दोनों ही बेहद मामूली और बुनियादी चीजें हैं जो महिलाओं के लिए की गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने निर्भया फंड के संसाधनों के इस्तेमाल पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि यह फंड खासतौर पर बलात्कार और ऐसिड अटैक की शिकार हुई महिलाओं की मदद के लिए शुरू किया गया है। इसका इस्तेमाल इसी रूप में ही किया जाना चाहिए। अगर पिछली सरकार में इस फंड का प्रयोग नहीं किया जा सका तो मौजूदा सरकार को यह अधिकार नहीं है कि इस फंड का दूसरी दिशा में प्रयोग करें। यहां बता दें कि रेल मंत्री ने अपने बजट भाषण में निर्भया फंड की धनराशि यानि संसाधनों को महिला यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाने की बात कही है। कमलेश जैन का कहना है कि महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के अलावा सरकार को अलग से प्रावधान करने चाहिए।

उनका कहना है कि रेलगाड़ियों में महिला डिब्बों में सिर्फ कैमरे लगाने से महिलाआें के खिलाफ होने वाले अपराध रूकने वाले नहीं हैं। कैमरों के अलावा प्रत्येक महिला डिब्बे में सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किए जाने चाहिए। इससे तमाम कारणों से रोजाना यात्रा करने वाली महिलाओं को आसानी होगी। बिना गार्ड के केवल कैमरे लगाने से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नकेल नहीं कसी जा सकेगी। कैमरे केवल किसी अपराध का रिकॉर्ड या सबूत मात्र ही बन सकते हैं, अपराध को रोकने में मददगार नहीं हैं। 

ईशान विकास छात्रवृति से होगा पूर्वोत्तरी छात्रों का ज्ञानवर्धन

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से पूर्वोत्तर के छात्रों को गर्मियों-सर्दियों में देश के सुविख्यात तकनीकी शिक्षा संस्थानों में भ्रमण और इंटर्नशिप करने का अवसर दिया जाएगा। इसमें पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के 96 स्कूली छात्रों को चयनित किया जाएगा। इसके पीछे मंत्रालय की योजना सुदूर उत्तर-पूर्व में पढ़ने वाले छात्रों को शिक्षा के माध्यम से देश के बाकी इलाकों से जोड़ने की है। मंत्रालय ने इसे इशान विकास छात्रवृति का नाम दिया है। यहां बुधवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्रों को देश के 22 शीर्ष भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) और इंडियन इंस्ट्टीट्यूट आॅफ साइंस एजूकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) में बच्चे भ्रमण कर अपना ज्ञानवर्धन करेंगे। 32 छात्रों को मिलाकर तीन समुह बनाए जाएंगे। दो समुह गर्मियों में और एक समुह सर्दियों में इन तमाम संस्थानों के भ्रमण के लिए भेजा जाएगा।

इस छात्रवृति के तहत पूर्वाेत्तर के 8 राज्यों में एक स्कूल से 4 बच्चों को चयनित किया जाएगा। इसके हिसाब से 8 राज्यों के 8 स्कूलों के 32 बच्चे इस कार्य में शामिल किए जाएंगे। प्रत्येक स्कूल से एक शिक्षक बच्चों के साथ जाएगा यानि कुल 8 शिक्षक बच्चों के साथ इस प्रशिक्षण कार्य में शामिल रहेंगे।

 केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय की ओर से पूर्वोत्तर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए ईशान उदय नामक एक और छात्रवृति योजना की शुरूआत की गई है। इसमें छात्रों को गर्मियों में 7 हफ्तों का ईंटनशिप कराया जाएगा जिसमें 25 इंजीनियरिंग संस्थानों के करीब 250 छात्रों को 16 आईआईटी और 6 एनआईटी और आईआईएसईआर संस्थानों में भ्रमण करने और उनकी कार्यप्रणाली को जानने का मौका मिलेगा। ईशान विकास योजना के तहत अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को गोवाहाटी आईआईटी के लिए 605.45 लाख रूपए जारी किए गए हैं।

100 इको सेंसेटिव जोन को मार्च मध्य तक मिल जाएगी मंजूरी

ओखला बर्ड सेंचुरी के आसपास का इलाका भी शामिल
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

पर्यावरण और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए बेहद अहम माने जाने वाले 100 संवेदनशील पारिस्थिकीय जोन (ईएसजेड) को केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अगले महीने मार्च के मध्य तक अधिसूचित कर देगा। अभी इन ईएसजेड से संबंधित प्रस्तावों पर मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति विचार कर रही है। यहां राजधानी में बीते दिनों हुए एक कार्यक्रम से इतर हरिभूमि से खास बातचीत में पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव हेम पांडे ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि देश में कुल 600 ईएसजेड हैं, जिसमें 130 अंडमान में हैं। अंडमान में जो 130 ईएसजेड हैं वो सारा संरक्षित इलाका (पीए) है। इनमें से मंत्रालय ने करीब 40 को अधिसूचित कर दिया है और करीब 100 से जुड़ा कार्य अलग-अलग स्तरों पर चल रहा है। जिन 100 परियोजनाआें को मार्च के मध्य तक पर्यावरण मंत्रालय अधिसूचित (नोटिफाई) करेगा। उनमें से एक ईएसजेड दिल्ली और उत्तर-प्रदेश की सीमा से सटा हुआ ओखला बर्ड सेंचुरी के आसपास का इलाका भी होगा। इसमें सेंचुरी की बाउंड्रीवॉल से बाहर करीब 100 से 1.27 मीटर तक के इलाके को ईएसजेड घोषित किया जाएगा। इसके बाद इस इलाके में किसी भी तरह का निर्माण नहीं होगा, खनन गतिविधियां बंद रहेंगी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली तमाम गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। मंत्रालय ने अंडमान द्वीप पर मौजूद 130 ईएसजेड की पड़ताल की तो पता चला कि यह पूरा इलाका संरक्षित है और वहां किसी प्रकार का अवैध निर्माण, विकास गतिविधि नहीं की जा सकती।

जांच पूरी होने तक डीआईजी लोशाली गांधीनगर में रहेंगे

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

गुजरात में पोरबंदर तट के निकट भारतीय जलसीमा में बीते वर्ष 31 दिसंबर की रात तटरक्षकबल द्वारा एक संदिग्ध पाकिस्तानी नौका में धमाके को लेकर पहले बयान देने और उसके बाद उसका खंडन करने वाले तटरक्षकबल के डीआईजी बी.के.लोशाली को तटरक्षकबल के गांधीनगर मुख्यालय में भेज दिया गया। इससे पहले वो कोस्टगार्ड के सूरत स्थित मुख्यालय में तैनात थे।

रक्षा मंत्रालय के सूत्र ने कहा कि डीआईजी लोशाली के खिलाफ जांच यानि बोर्ड आॅफ इंक्वारी (बीओआई) की प्रक्रिया चल रही है, जिसके तहत अपनाए जाने वाले स्टैंडर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के तहत उन्हें उनकी वर्तमान नियुक्ति यानि सूरत से तटरक्षकबल के गांधीनगर मुख्यालय भेजा जा रहा है।

यहां जांच प्रक्रिया पूरी होने तक उनके पास तटरक्षकबल की कोई आधिकारिक जिम्मेदारी नहीं रहेगी।गौरतलब है कि बी.के.लोशाली का नाम इस प्रकरण में तब जोर-शोर से सामने आया था जब उन्होंने इस प्रकरण में एक समाचार पत्र को बताया था कि 31 दिसंबर की रात को संदिग्ध पाक नौका को उड़ाने का आदेश सुरक्षा एजेंसियों ने ही दिया था। उनके आदेश के बाद ही हमने उस नौका को उड़ा दिया।

हम उन्हें बिरयानी परोसना नहीं चाहते थे। लोशाली के इस बयान के बाद जब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से इस बाबत बीते दिनों बेंगलुरु में हुए अंतरराष्ट्रीय वैमानिकी शो एरो इंडिया-2015 में पत्रकारों ने सवाल किए तो उन्होंने कहा था कि यह अनुशासहीनता का मामला है। हम जांच करेंगे और कार्रवाई करेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा था कि डीआईजी ने खबर का खंडन कर दिया है। मैं तटरक्षबल की सफाई से संतुष्ट हूं। रक्षा मंत्रालय इस मामले में स्पष्ट बयान पहले ही जारी कर चुका है। हम अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा था कि हम जांच कराएंगे। यदि आरोप साबित हुए तो हम कार्रवाई करेंगे।

प्रथम विश्व युद्ध में 11 भारतीयों को विक्टोरिया क्रॉस का सम्मान

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में भारतीय सैनिकों की लंबी चौड़ी भागीदारी थी। करीब 1.5 मिलियन भारतीय सैनिक थे जो ब्रिटिश सेना के तौर पर लड़ाई के लिए शामिल किए गए थे। इनमें से 11 बहादुर भारतीय सैनिकों को उस वक्त के सर्वोच्च सैनिक सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था। यह जानकारी यहां मंगलवार को राजधानी में मौजूद थलसेना के सूत्रों ने दी। यहां बता दें कि आगामी 9 से 14 मार्च तक भारत में प्रथम विश्व युद्ध के सौ साल पूरे होने के मौके पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

सूत्र ने कहा कि विक्टोरिया क्रॉस प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान आमने-सामने की लड़ाई में शत्रु को दिखाई गई बहादुरी के लिए भारतीय सैनिकों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सैन्य अलंकरण था। वास्तव में भारतीय सैनिक विक्टोरिया क्रॉस के लिए पात्र नहीं थे। इसके बजाय उन्हें सर्वोच्च अलंकरण के तौर पर ‘इंडियन आॅर्डर आॅफ मेरिट’ प्रदान किया जा सकता था। जिसकी स्थापना 1837 में की गई थी। 19वीं शताब्दी के अंत तक भारतीय सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस प्रदान किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। 1911 में भारतीय सैनिक इस पुरस्कार के लिए पात्र घोषित हो गए। प्रथम विश्वयुद्ध में करीब 74 हजार भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी।

जिन 11 सैनिकों को यह सम्मान दिया गया उनमें खुदादाद खान (बेल्जियम में लड़े), दरवान नेगी (फ्रांस), छट्टा सिंह (मेसोपोटामिया), लाला (मेसोपोटामिया), शाहमाद खान (मेसोपोटामिया), गब्बर नेगी (फ्रांस), मीर दस्त (बेल्जियम), कुलबीर थापा (फ्रांस), गोबिंद सिंह (फ्रांस), करण बहादुर राणा (एल कफ्र, मि), बदलू सिंह (फिलीस्तीन)शामिल हैं।

पर्रिकर से फ्रांसिसी रक्षा मंत्री करेंगे रफाले विमान सौदे पर बातचीत?

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मंगलवार को फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां वेस ली ड्रियान से मुलाकात करेंगे। इसमें यह माना जा रहा है कि दोनों बीते कुछ समय लटके पड़े मध्यम लघु बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) सौदे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर बातचीत कर सकते हैं। यहां रक्षा मंत्रालय में मौजूद सूत्रों ने कहा कि फ्रांसिसी रक्षा मंत्री का भारत दौरा सोमवार से शुरू हो रहा है। लेकिन इसके अगले दिन उनकी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से होने वाली मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण है।

गौरतलब है कि दो महीने पहले ही दोनों मंत्री मिले थे और अब उनकी यह दूसरी मुलाकात है। एमएमआरसीए विमानों की वायुसेना के लिए खरीद और यहां देश में उत्पादन के लिए फ्रांस की लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी डेसाल्ट एवीऐशन को चयनित किया गया है। लेकिन इस सौदे पर आने वाले कुल खर्च को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इस बार की बातचीत में सौदे की रकम को अंतिम रूप देकर दोनों पक्ष विचार-विमर्श कर सकते हैं। सौदे की कीमत करीब 10 अरब डॉलर के करीब बताई जा रही है। कुल 126 विमानों के इस समझौते के तहत डेसाल्ट एवीऐशन भारतीय वायुसेना को सीधे 18 रफाले विमानों की सप्लाई करेगी और बाकी 108 विमानों का यहां देश में तकनीक हस्तांतरण की प्रक्रिया के तहत एचएएल में उत्पादन किया जाएगा।

सूत्र का कहना है कि फ्रांसिसी रक्षा मंत्री अपने इस दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित फ्रांस यात्रा से पहले ही इस सौदे को अंतिम देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। रक्षा मंत्री पर्रिकर ने हाल ही में बेंगलुरु एरो शो-2015 के दौरान कहा था कि वो इस सौदे के बारे में कुछ भी नहीं कहेंगे। क्योंकि अनुबंध वार्ता समिति (सीएनसी) इस मामले पर चर्चा कर रही है। हालांकि उन्होंने सीएनसी से जल्द प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।

पर्यावरण-वन मंजूरी के लिए तेजी से बढ़ती आवेदनों की रफ्तार!

डेढ़ महीने में 900 से 2200 पहुंचा आवेदनों का आंकड़ा
कविता जोशी.नई दिल्ली

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से पर्यावरण और वन संबंधी परियोजनाआें को दी जाने वाली मंजूरी प्रक्रिया में आवेदक द्वारा अपनी फाइल के मूवमेंट को जांचने की सुविधा देने के बाद बीते 9 महीनों में करीब 2 हजार 200 आवेदन मंत्रालय को मिले हैं। इसमें बीते लगभग डेढ़ महीने में इन आवेदनों की संख्या 900 से 2200 तक पहुंच गई है। यहां सोमवार को राजधानी के शास्त्री भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हरिभूमि द्वारा इस बाबत पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। यहां बता दें कि बीते महीने 13 जनवरी को इस विषय पर हरिभूमि ने एक खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसमें उस वक्त पर्यावरण मंत्री द्वारा आॅनलाइन आवेदनों की संख्या करीब 900 बताई थी।

वन मंजूरी को लेकर ज्यादा आवेदन
उन्होंने कहा कि फाइल का मूवमेंट ट्रैक करने का आॅप्शन देने के बाद आॅनलाइन आवेदनों के रजिस्ट्रेशन के आंकड़ें में तेजी देखने को मिल रही है। अब तक मिले कुल 2200 रजिस्ट्रेशन में से वन संबंधी मंजूरी के लिए सबसे ज्यादा 969 आवेदन मिले हैं। इसके अलावा पर्यावरणीय मंजूरी के लिए कुल 556 आवेदन और 825 आवेदन मंत्रालय के विचार के लिए भेजे गए हैं।

समयबद्ध प्रक्रिया के तहत होगा काम इन 2200 आवेदनों का कार्य समयबद्ध ढंग से चल रहा है। मेरी अंतिम मंजूरी से पहले फाइल विशेषज्ञ मंजूरी समिति के बाद त्रिस्तरीय मंजूरी प्रणाली से होते हुए गुजरती है। हम इस प्रक्रिया को भी छोटा और आसान बनाने जा रहे हैं, जिससे समय की बचत के साथ काम तेजी से हो।

नियमों से छेड़छाड़ नहीं
रक्षा संबंधी परियोजनाआें के लिए दी जाने वाली मंजूरी प्रक्रिया में पर्यावरण-वन संबंधी नियमों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। बल्कि हमने पूर्वोत्तर में बनाए जाने वाली 3 हजार किमी. की सड़क और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा से 100 किमी. के दायरे में पड़ने वाली रक्षा संबंधी परियोजनाआें को सामान्य मंजूरी के तहत आगे बढ़ाया है। इसमें केवल देरी के कारक को हमने दुरुस्त करने की कोशिश की है। सड़क परियोजनाओं में हमने नक्सलवाद प्रभावित करीब 117 जिलों में मंजूरी दी है।

अब डिजीटल डिपॉजिटरी संभालेगी आपके सर्टिफिकेट

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बोर्ड से लेकर विश्वविद्यालयी स्तर पर बच्चों के सर्टिफिकेट और प्रमाणपत्रों को संभालने की जिम्मेदारी अब डिजीटल डिपोजिटरी की होगी। तमाम स्कूल और कॉलेज इन जरूरी दस्तावेजों को सीधे डिपोजिटरी में जमा कराएंगे। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में ‘नेशनल एकेडमिक डिपाजिटरी बिल’ को संसद की मंजूरी दिलाने की तैयारी में जुटा हुआ है।

एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस बिल में यह प्रावधान है कि सरकार इसके जरिए प्रमाणपत्रों को डिजीटल रूप में सुरक्षित रखने के लिए एक डिपोजिटरी बनाएगी। छात्र चाहे किसी भी शिक्षण संस्थान की पढ़ाई करें उनके सर्टिफिकेट और प्रमाणपत्र सीधे इस डिपोजिटरी में पहुंच जाएंगे। इस विधेयक के जरिए छात्रों को यह लाभ होगा कि उन्हें अब छात्रों के सर्टिफिकेट खो जाने, उन्हें वेरिफाई कराने जैसी मुश्किलों से निजात मिलेगी।

तमाम शिक्षण संस्थाएं इस डिपोजिटरी को सीधे अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों के प्रमाणपत्र मुहैया कराएंगी।
बजट सत्र में मंत्रालय की ओर से कुछ और विधेयक भी संसद की मंजूरी के लिए रखे जाएंगे। इसमें इंडियन इंस्ट्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट बिल (आईआईएम) शामिल है। इस बिल के जरिए ये संस्थान छात्रों को डिग्री दे सकेंगे। अब तक यह आईआईएम छात्रों को केवल डिप्लोमा ही देते हैं। इसके पीछे इन शीर्ष प्रबंधन संस्थानों का किसी कानून के द्वारा संचालित ना होना है। इस बिल के जरिए इन संस्थानों को छात्रों को डिग्री देने का अधिकार मिल जाएगा। गौरतलब है कि देश में कुल 13 आईआईएम हैं। सरकार 4 और आईआईएम खोले जा रहे हैं।

एचआरडी मंत्रालय नेशनल एक्रीडिटेशन रेगुलेटरी अथोरिटी बिल को भी संसद से मंजूरी दिलाने की तैयारी कर रही है। इस अथोरिटी के गठन के बाद यहां से तीन साल के अंदर किसी भी उच्च-शिक्षा से जुड़े शिक्षण संस्थान को एक्रीडिटेशन कराना होगा। इसके अलावा मेडिकल शिक्षा संबंधी संस्थानों के लिए अवधि पांच साल की होगी। कृषि संबंधी संस्थानों को इससे बाहर रखा गया है। यह अथोरिटी मान्यता देने वाली सभी एजेंसियों की नियामक होगी। मंत्रालय का कहना है कि इसके जरिए उच्च-शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।

आईआईटी, हाउसिंग परियोजनाओं को एसओपी के तहत मंजूरी

कविता जोशी.नई दिल्ली

केंद्र सरकार की ओर से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी), आवासीय परिसरों और सड़क-रेल जैसी ढांचागत परियोजनाआें को मंजूरी देने के लिए एक निधार्रित मानक प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करना होगा। एसओपी का पूरी तरह से पालन करने के बाद और मानकों पर खरा उतरने के बाद ही ऐसी किसी परियोजना को मंजूरी दी जाएगी। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हाल में एक कार्यक्रम में दी।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने 20 हजार वर्गमीटर से लेकर डेढ़-लाख वर्गमीटर तक की परियोजनाआें को मंजूरी देने के लिए एसओपी बनाया है। इसका पूरी तरह से पालन करने के बाद ही तमाम परियोजनाआें को हरीझंडी दी जाएगी। गौरतलब है कि पिछली यूपीए सरकार में इस तरह की परियोजनाआें को मंजूरी देने के लिए कोई मानक नहीं बनाए गए थे। लेकिन नई सरकार ने ना सिर्फ नियम-कायदे बनाए हैं। बल्कि इन्हें लागू करवाने को लेकर भी उनका बेहद गंभीर नजरिया है।

20 हजार से लेकर डेढ़ लाख वर्ग मीटर के एरिया में आईआईटी से लेकर आवासीय परिसरों, कॉलेजों, सड़क और रेल परियोजनाआें का निर्माण किया जा सकता है। पहले इस तरह की किसी भी परियोजनाओं को स्वीकृति दिलाने के लिए आवेदक को एक लंबी सरकारी प्रक्रिया के तहत इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब निधार्रित मानकों के तहत अप्लाई करने के बाद उक्त परियोजनाआें को तुरंत मंजूरी देने में आसानी होगी। पहले इस तरह की परियोजनाआें की फाइल केंद्र सरकार के एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय के चक्कर ही काटती रहती थी।

यहां बता देें कि पर्यावरण मंत्रालय की ओर से विभिन्न ढांचागत परियोजनाआें को पर्यावरण एवं वन संबंधी मंजूरी दिलाने के लिए आॅनलाइन आवेदन प्रक्रिया में अपनी फाइल की मूवमेंट जांचने का आॅप्शन दिया है। इसके बाद मंत्रालय की वेबसाइट पर बीते डेढ़ महीने में आॅनलाइन आवेदनों की संख्या 900 से बढ़कर 2 हजार 200 हो गई है। इनकी समयबद्ध जांच पड़ताल चल रही है।

साक्षरता का प्रमाणपत्र पाने को निकलेंगे एक करोड़ लोग

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा से जुड़े चंद बुनियादी सवालों का जवाब देकर कोई भी सरकार से पढ़ा-लिखा यानि साक्षर होने का प्रमाणपत्र ले सकता है। इसके लिए आपको आगामी 15 मार्च को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से देश भर में आयोजित की जाने वाली तीन घंटे की परीक्षा में बैठना होगा। शिक्षा से जुड़े कुछ बुनियादी सवालों के जवाब देने होंगे और आप बन जाएंगे साक्षर। परीक्षा सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगी।

15 मार्च को पहुंचेंगे 1 करोड़ लोग
एचआरडी मंत्रालय में साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत गठित राष्टÑीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एनएलएमए) के महानिदेशक और संयुक्त सचिव वाई.एस.के.शेषु कुमार ने हरिभूमि को बताया कि अगले महीने 15 मार्च को होने वाली इस परीक्षा में 1 करोड़ लोग प्रमाणपत्र लेने के लिए परीक्षा में बैठेंगे। बीते वर्ष 2014 में करीब 41 लाख लोगों ने यह परीक्षा दी थी। 2010 में शुरू किए जाने पर 5 लाख 80 हजार निरक्षर वयस्कों ने बुनिायादी साक्षरता इम्तिहान दिया था। परीक्षा पास करने वाले हर व्यक्ति को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की ओर से प्रमाणपत्र दिया जाता है।

ग्रामीण में ज्यादा क्रेज
इस परीक्षा को लेकर गांव में रहने वाले लोगों में एक अलग तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है। यह प्रमाणपत्र गांव वालों के लिए एक स्टेटस सिंबल की तरह है। इस कार्यक्रम के केंद्र में गांवों में रहने वाले लोग ही हैं। परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वाले लोग इस प्रमाणपत्र को अपने घरों की दीवारों पर भी लगा रहे हैं। परीक्षा में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसी हैं जिन्होंने अपने जीवन में कभी स्कूल की शक्ल भी नहीं देखी है।

2017 में साक्षरता का स्तर 80 फीसदी
दुनिया के बड़े साक्षरता कार्यक्रमों में शुमार साक्षर भारत कार्यक्रम के जरिए मंत्रालय की योजना वर्ष 2017 तक देश में साक्षरता के स्तर को 80 फीसदी तक बढ़ाना और साक्षरता में लैंगिग अंतर को कम करके 10 फीसदी तक करना है। खासकर महिलाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम को सभी जिलों के उन ग्रामीण इलाकों में लागू किया जा रहा है जहां 2001 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से वयस्क महिला साक्षरता की दर 50 प्रतिशत या उससे कम है। देश के 410 जिलों में फैले 1.53 लाख वयस्क साक्षरता केंद्र साक्षर भारत अभियान की रीढ़ हैं। इन केंद्रों पर पठन सामग्री 13 भाषाआें, 26 बोलियों, अखबारों और ओडियो-वीडियो रूप में मौजूद है। केंद्रों का संचालन स्वयंसेवक जिन्हें प्रेरक कहा जाता है करते हैं।

ऐसे हैं परीक्षा के सवाल
साल में दो बार (मार्च-अगस्त) होने वाली इस परीक्षा में परीक्षार्थी की ऊंची आवाज में पढ़ने की क्षमता, शब्दों की गति को एक सीमा तक समझने, डिक्टेशन लेने, अंकों को पढ़ने और लिखने तथा साधारण गणनाएं करने की क्षमताआें का परखा जाता है। यहां बता दें कि वर्ष 2010 में शुरू हुई इस परीक्षा के बाद लगभग 4.33 करोड़ लोगों ने यह परीक्षा दी है। इनमें से 3.13 करोड़ लोगों ने 150 अंकों के इस मूल्याकंन को पास किया है। 40 फीसदी से कम अंक पाने वालों को बी ग्रेड, 60 फीसदी से ज्यादा अंक पाने को ए गे्रड मिलता है। जो लोग 40 फीसदी से कम अंक लाते हैं उन्हें सी गे्रड दिया जाता है। साथ ही उन्हें यह परीक्षा फिर से देनी पड़ती है।

छठी और बारहवीं कक्षा में पढ़ाई जाएगी ‘वीरगाथा’

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश की मौजूदा और भावी पीढ़ियों की यादों में मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौच्छावर करने वाले अमर शहीदों की यादें ताजा रखने से जुड़े कार्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों ने युद्ध स्तर पर कामकाज शुरू कर दिया है। एक ओर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने वर्ष 1947 में मिली आजादी के बाद हुई लड़ाईयों से जुड़े देश के समृद्ध युद्ध इतिहास को संग्रहित कर आम जनता को जागरूक करने की योजना बनाई है तो दूसरी ओर मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूली पाठ्यक्रम में वीरगाथा नामक पुस्तक को शामिल करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

छठी और बारहवीं में पढ़ेंगे बच्चे वीरगाथा
रक्षा मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्र ने हरिभूमि को बताया कि वीरगाथा नामक पुस्तक तैयार कराने के काम में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से मदद मांगी थी। क्योंकि युद्ध इतिहास और इससे जुड़े अन्य जरूरी प्रमाणिक दस्तावेजों का संग्रह रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाले विभागों के ही पास होता है। वीरगाथा में आजादी के बाद लड़े गए युद्धों में शहीद हुए रणबाकुरों को शामिल किया जाना है, जिसका ड्राफ्ट बनाकर रक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को भेज दिया है। जल्द ही सीबीएसई इस ड्राफ्ट को किताब की शक्लो-सूरत में तब्दील कर देगा।

दो भागों में होगी वीरगाथा
‘वीरगाथा’ टाइटल से तैयार की जा रही इस पुस्तक को दो भागों में तैयार किया जा रहा है। एक भाग में थलसेना के बारे में तथ्यागत जानकारी बच्चों को दी जाएगी और दूसरे भाग में युद्ध योद्धाओं (वॉर हीरोज) के बारे में बताया जाएगा। दूसरे भाग में करीब 30 वॉर हीरोज के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। किताब के एक भाग को छठी कक्षा और दूसरे भाग को बारहवीं कक्षा के बच्चों के लिए बनाया जा रहा है। पहले भाग में सेना में प्रयोग की जाने वाली रैंकों, सैन्य कोरों और डिवीजनों के बारे में बच्चों को जानकारी दी जाएगी।

अगले शैक्षणिक सत्र में लागू होगी
मौजूदा साल में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने में अब लगभग डेढ़ महीने का वक्त ही शेष रह गया है। इसलिए एचआरडी मंत्रालय की योजना है कि इस पुस्तक को स्कूली पाठ्यक्रम में अगले शैक्षणिक सत्र 2016 से शामिल किया जाएगा। हां इतना जरूर है कि सीबीएसई ने इसे तैयार करवाने की कवायद शुरू कर दी है।

प्रथम विश्व युद्ध के शहीदों की शहादत को याद रखेगा भारत

कविता जोशी.नई दिल्ली

वर्ष 2015 का आगाज इतिहास की बेहद धुंधली पड़ चुकी प्रथम विश्व युद्ध की उस पुरातन स्मृति के साथ होने जा रही है जिसे हममें से कई भूला चुके हैं और कईयों को इसके बारे में जानकारी भी ना हो। लेकिन नए वर्ष में संपूर्ण दुनिया प्रथम विश्व युद्ध के 100 वर्ष पूरे होने की याद में अलग-अलग प्रकार के आयोजन करेगी। भारत भी इन आयोजनों में शरीक होगा। देश में 9 से 14 मार्च तक प्रथम विश्व युद्ध में भारतीयों द्वारा दी गई शहादत और युद्ध से जुड़ी अन्य स्मृतियों को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगले महीने 9 मार्च से देश में इससे जुड़े कार्यक्रमों की शुरूआत हो जाएगी। 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी में इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर युद्ध में शहादत देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि देंगे। यहां बता दें कि इंडिया गेट 1931 में अंग्रेजों द्वारा उद्घघाटित देश का पहला युद्ध स्मारक है, जिसमें प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया। उस समय यह सैनिक रॉयल ब्रिटिश सेना का हिस्सा थे। स्मारक का निर्माण 1921 तक पूरा हो गया था।

सूत्र ने कहा कि इस अवसर पर देश भर में समारोह और कार्यक्रम होंगे। इस बात की भी संभावना है कि 10 मार्च को राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी तीन मूर्ति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। राजधानी दिल्ली के मॉनेक्शा सेंटर में प्रथम विश्व युद्ध की याद में एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। आधिकारिक रूप से प्रथम विश्व युद्ध की लड़ाई का शंखनाद यूरोप से 28 जुलाई 1914 को हुआ और इसका समापन 11 नवंबर 1918 को हुआ। 1914 में जब लड़ाई शुरू हुई तब भारतीय सेना अंग्रेजों के अधीन थी। इंडिया गेट स्मारक का निर्माण एक अंग्रेज अधिकारी एडवर्ड लुटियन्स ने कराया था। यह स्मारक पेरिस के आर्क डेट्रॉयम्फ से प्रेरित है।

गौरतलब है कि प्रथम विश्व युद्ध में भारत की ओर से 1.5 मिलियन भारतीय सैनिक शामिल हुए थे। इसमें 74 हजार सैनिकों ने अपनी जान गंवाई। युद्ध में सेना की 12 कैवलरी रेजीमेंट और 13 इंफेंट्री रेजीमेंट ने भाग लिया था। इंडिया गेट पर भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स, मेसोपोटामिया, फारस, पूर्वी अफ्रीका, गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए के नाम दर्ज हैं। साथ ही उनके नाम भी नाम दर्ज हैं जो तीसरे अफगान युद्ध में भारत या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मारे गए।

देश की आजादी के बाद इंडिया गेट भारतीय सेना के अज्ञात सैनिकों के मकबरे की साइट बनकर रह गया है। इसकी मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति स्थापित कर दी गई है। अनाम सैनिकों की स्मृति में यहां एक राइफल के ऊपर सैनिक की टोपी सजा दी गई है, जिसके चारों कोनों पर सदैव एक ज्योति जलती रहती है। अमर जवान ज्योति पर हर साल प्रधानमंत्री व तीनों सेनाध्यक्ष पुष्पचक्र चढ़ाकर अपनी श्रंद्धाजलि अर्पित करते हैं। इंडिया गेट की दीवारों पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं।

एमडीएम पर खाद्य सुरक्षा-स्वच्छता पर दिशानिर्देंश जारी

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों में मध्याहन भोजन योजना (एमडीएम) में खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के मसलों पर संशोधित दिशानिर्देंशों को जारी कर दिया है। इस बाबत शुक्रवार को मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इन दिशानिर्देंशों को संबंधित हितधारकों के साथ विस्तृत मंत्रणा के बाद तैयार किया गया और तुरंत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेज दिया गया है।

केंद्रीय एचआरडी मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी की अध्यक्षता में बीते वर्ष 15 अक्टूबर को हुई विशेषाधिकार समिति की बैठक में एमडीएम योजना (खाद्य सुरक्षा स्वच्छता) पर संशोधित प्रारूप को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद संबंधित विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जिसने इस मुद्दे पर दिशानिर्देंशों का खाका तैयार किया। इस कार्य में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से लेकर खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के विशेषज्ञों से भी विचार-विमर्श किया गया।

इन विस्तृत दिशानिर्देंशों के जरिए राज्यों को व्यापक आधार पर इन तमाम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित में मदद मिलेगी। जिसमें भंडारण से लेकर भोजन पकाने-परोसने की तैयारियों और बचे हुए बेकार भोजन के उचित निपटान में मदद मिलेगी। जिन बच्चों को यह भोजन परोसा जाता है की साफ-सफाई से लेकर रसोईए के लिए भी दिशानिर्देंशों में कुछ खास बिंदुआें का ध्यान रखने पर जोर दिया गया है। केंद्र ने राज्यों को परामर्श दिया है कि इन दिशानिर्देंशों की तुरंत अनुपालना के अलावा उन्हें अपने यहां खुद का एक मानक तंत्र गठित करने की आवश्यकता है, जिसमें संबंधित अधिकारी, रसोईए, हेल्पर और स्कूल की मैनेजमेंट समितियों के सदस्य शामिल हो।

नेताओं की बदजुबानी को लेकर भाजपा सतर्क: कर्नल राठौर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मंत्रियों, सांसदों और नेताओं की बदजुबानी चरम पर थी। लेकिन पार्टी ने इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त अपने मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मामलों पर संसद में बयान भी दिया। भाजपा इस तरह के मामलों को बेहद सतर्क है। यह बातें यहां शुक्रवार को राजधानी के महिला प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कही।

गौरतलब है कि दिल्ली विस चुनावों से पहले राजधानी में हुई एक चुनावी रैली में केंद्रीय खाद्य प्रसंकरण उद्योग राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने बेहद अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। जिसके बाद राजग सरकार से लेकर भाजपा को देशभर में चौतरफा आलोचना झेलनी पड़ी। इसके बाद भी पार्टी और उसके संगठनों से जुड़े नेताआें द्वारा लगातार बदजुबानी का सिलसिला चलता रहा जिसमें सांसद साक्षी महाराज, साध्वी प्राची (विश्व हिंदू परिषद से जुड़ी हुई हैं) मुख्य रूप से शामिल थे।

यहां बता दें कि कर्नल राठौर भाजपा के पहले ऐसे मंत्री और नेता हैं जो बीते दिनों हुए दिल्ली विस चुनावों में पार्टी को मिली करारी हार के बाद मीडिया से सीधे मुखातिब हुए हैं। उन्होंने भाजपा नेताआें की बदजुबानी रोकने के लिए सरकार की गंभीरता और उसके द्वारा उठाए जा रहे कदमों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि इस तरह के बयान या लोग केवल भारतीय जनता पार्टी में ही नहीं हैं। बल्कि सभी दलों और धर्मों में मौजूद हैं। राजधानी में विस चुनाव से पहले सरकार में मंत्री या अन्य नेताआें द्वारा अभद्र भाषा में दिए गए बयानों पर पार्टी ने तुरंत कार्रवाई की है। इन लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सप्ताहभर के अंदर जवाब मांगा गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद संसद में इस मामले में बयान दिया। पीएम ने कहा कि इस तरह के लोगों को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। भाजपा सरकार में अलग-अलग मंत्रालयों की कमान संभाल रहे तमाम मंत्रियों का इस मामले में एकमत है कि इस तरह के बयान या भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

भाजपा की हार के पीछे नेताआें की बदजुबानी की जिम्मेदारी को लेकर उन्होंने कहा कि मैं कोई विश्लेषक नहीं हूं। हां इस बारे में अगर पार्टी के भीतर जब चर्चा होगी तब मैं अपनी व्यक्तिगत राय रखूंगा। मुझे नहीं लगता कि इस मामले पर कोई टिप्पणी करने का यह उपयुक्त मंच है। विस चुनावों में भाजपा को आम आदमी पार्टी से करारी मात खानी पड़ी और 70 विधानसभा सीटों में से केवल 3 ही उसके खाते में आई।

आने वाली पीढ़ियों के जहन में जिंदा रहे शहीदों की शहादत

कविता जोशी.नई दिल्ली

वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद लड़े गए युद्धों में जिन वीरों ने अपनी शहादत दी है के बारे में वर्तमान और भावी पीढ़ी को जानकारी होनी चाहिए। इस दिशा में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘वॉर हिस्ट्री यानि युद्ध इतिहास’ नामक किताब तैयार करने की योजना बनाकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठा लिया है। यह जानकारी यहां शुक्रवार को राजधानी के महिला प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने हरिभूमि द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दी।

‘वॉर हिस्ट्री’ की आवश्यकता
कर्नल राठौर ने कहा कि वॉर हिस्ट्री नामक किताब पर सूचना-प्रसारण मंत्रालय काम कर रहा है। इस बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने मुझसे चर्चा की है। इस किताब को लाने के पीछे हमारी मंशा यह है कि अभी तक भारत के पास अपना कोई युद्ध इतिहास नहीं है। जबकि दुनिया के सभी देशों के पास उनकी अपनी वॉर हिस्ट्री मौजूद है। इस किताब के जरिए हम आजादी के बाद लड़े गए युद्धों और उनमें हुई वीरों की शहादत के बारे में लोगों को बताएंगे। यहां बता दें कि भारत ने आजादी के बाद पाकिस्तान के साथ चार युद्ध (1947, 1965, 1971, 1999 का युद्ध) और चीन के साथ एक युद्ध (1962) लड़ा है।

भावी पीढ़ियों का पे्ररणास्रोत
युद्ध इतिहास किताब के जरिए मंत्रालय की योजना वर्तमान और भावी पीढ़ियों को देश में लड़े गए युद्धों के बारे में विस्तार से जानकारी देने की है। इसे स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा।

डिजीटल फॉर्मेट होगा तैयार
वॉर हिस्ट्री पुस्तक को तैयार करने के बाद इसका डिजीटलीकरण भी किया जाएगा। क्योंकि आजकल संचार माध्यमों में सोशल मीडिया का अच्छा-खासा प्रयोग किया जा रहा है। इसलिए हम इस किताब के बारे में यूट्यूब से लेकर टिविटर पर भी जानकारी देंगे। हो सकता है कि जल्द ही इसके लिए एक लेखागार भी तैयार किया जाए।

युद्धक भूमिका में आए महिलाएं
हरिभूमि के एक अन्य प्रश्न के जवाब में सूचना-प्रसारण राज्य मंत्री ने कहा कि सशस्त्र सेनाआें में महिलाआें को युद्धक भूमिका में शामिल किया जाना चाहिए। देश में जो महिला अधिकारी सेना में तैनात हैं और जो शामिल होना चाहती हैं। उन्हें वायुसेना के लड़ाकू विमानों से लेकर नौसेना के जंगी जहाजों तक में तैनात किया जाना चाहिए। जहां तक थलसेना में युद्ध के समय मुख्य पंक्ति में महिलाआें की तैनाती का सवाल है तो इसमें कुछ वक्त और लग सकता है।

महिलाआें में ज्ञान, क्षमता का कोई अभाव नहीं है। लेकिन एक दिक्कत जो मुझे लगती है वो है कि महिलाआें को लेकर आज भी सेनाओं के पास जरूरी संस्थागत ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं। साथ ही हमारी पुरानी सोच भी इसके लिए जिम्मेदार है। इन मामलों में धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। इस तरह की दिक्कतें दुनिया के बाकी देशों में भी है। यहां में खाड़ी युद्ध का जिक्र करना चाहूंगा जहां अमेरिकी सेना की महिला अधिकारियों को भी जरूरी ढांचागत सुविधाआें के चलते कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

बजट सत्र के पहले अंतराल पर होगी कैब की बैठक

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

शिक्षा के क्षेत्र में देश की सर्वोच्च संस्था केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) की नई सरकार में पहली बैठक अगले महीने बजट सत्र के पहले अंतराल यानि 20 मार्च के बाद हो सकती है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय मावन संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी करेंगी। बैठक में दोनों केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री प्रो.रामशंकर कठेरिया, उपेंद्र कुशवाहा, कैब की नवगठित समिति के अधिकारी-विशेषज्ञ, शिक्षाविद और कई राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसद शिरकत करेंगे।

एचआरडी मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्र ने हरिभूमि को बताया कि कैब की बैठक संसद के आगामी बजट सत्र के पहले अंतराल यानि 20 मार्च के बाद आयोजित की जाएगी। नई सरकार के गठन के बाद यह कैब की पहली बैठक होगी। इसमें शिक्षा सुधारों को लेकर नई सरकार की सोच, रणनीति के अलावा स्कूली और विश्वविद्यालयी शिक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श किया जाएगा।

बैठक में एचआरडी मंत्रालय की ओर से कैब में शामिल किए गए नए सदस्य भी होंगे। इनमें एस.के.बारी (गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति), जवाहरलाल कौल, इंदूमति राव, बेस बरूवा (पत्रकार), रोहनमूर्ति (इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर.नारायणमूर्ति के पुत्र), विजय भट्टकर (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के अध्यक्ष) और नाहिदा अबीदी शामिल हैं।

सूत्र का कहना है कि कैब की बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट से लेकर स्कूली-विश्वविद्यालयी शिक्षा को लेकर लाए जा रहे बदलावों पर देशभर से आने वाले हितधारकों, शिक्षा-जगत के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की जाएगी। बैठक में आने वाले तमाम सुझावों, विचारों के आधार पर ही एचआरडी मंत्रालय किसी भी विषय पर कोई अंतिम फैसला करेगा।

साइकिल से सैलाब की विभीषिका बताते जम्मू के बाशिंदें

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर में बीते वर्ष सितंबर महीने में आयी भीषण बाढ़ के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सूबे के बाढ़ प्रभावित इलाकों के 19 स्थानीय लोगों ने एक अनोखी साइकिल यात्रा निकाली। जिसका मकसद देश के बाकी राज्यों में रहने वाले लोगों को बाढ़ के दौरान उनके सामने आई मुसीबतों और चुनौतियों के बारे में जानकारी देना था। दल ने अपने अभियान का नाम रखा ‘सैलाब से सलामती तक’ और बीते माह 31 जनवरी को श्रीनगर से सेना की 15 वीं कोर के जनरल आॅफिसर कमांडिंग (जीओसी) ने हरीझंडी दिखाकर की इनकी यात्रा की शुरूआत की। इनका अंतिम पड़ाव राजधानी दिल्ली था।

जहां ये 10 फरवरी को पहुंचे। साइकिल दस्ता श्रीनगर से होते हुआ उधमपुर, जम्मू, पठानकोट, जालंधर, लुधियाना, अंबाला से होते हुए दिल्ली पहुंचा और इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर अपने देश भ्रमण का आधिकारिक समापन किया। गुरुवार को इस साइकिल दल ने रक्षा मंत्रालय में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग से भी मुलाकात की। सेना के सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक श्रीनगर से दिल्ली तक की इस यात्रा में दल ने रास्ते में पड़ने वाले अपने पड़ावों के दौरान आम लोगों को जम्मू-कश्मीर में आयी बाढ़, उस दौरान आई चुनौतियों और रोजमर्रा की जीवन को बचाने की जद्दोजहद के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 10 फरवरी को दिल्ली पहुंचने के बाद दल ने आर्मी इंस्ट्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (एआईएमटी), आर्मी इंस्ट्टीट्यूट आॅफ एजूकेशन (एआईई) का भी दौरा किया और 11 फरवरी को पुराने किला भी गए। जम्मू वापस लौटने से पहले यह दल राजधानी की ऐतिहासिक महत्व की इमारतों का भी भ्रमण करेगा।

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

‘महिला सशक्तिकरण’ थीम के साथ मनाया जाएगा अंतरराष्ट्र्रीय महिला दिवस

कविता जोशी.नई दिल्ली

अगले महीने 8 मार्च को मनाए जाने वाले ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ को भारत में महिला सशक्तिकरण थीम के साथ मनाया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके लिए एक ब्लू प्रिंट भी तैयार किया है, जिसमें इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रमों की शुरूआत केंद्रीय भारत स्थित छत्तीसगढ़ से की जाएगी।

छग में महिला सशक्तिकरण उत्सव
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में संयुक्त सचिव वाई.एस.के शेषु कुमार ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि इस बार 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आगाज छत्तीसगढ़ से ‘सशक्तिकरण उत्सव’ के साथ की जाएगी। इस कार्यक्रम का उद्घघाटन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी करेंगी। इसके अलावा कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री प्रो.प्रेम प्रकाश पांण्डेय और एचआरडी मंत्रालय के केंद्र और राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

उत्सव की खास बातें
छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले महिला सशक्तिकरण उत्सव में राज्य के अलग-अलग हिस्सों से करीब 5 हजार महिलाआें के पहुंचने की उम्मीद है। इसमें लगभग 80 फीसदी महिलाएं राज्य के ग्रामीण इलाकों से और बाकी 20 फीसदी स्कूली लड़कियां शामिल होंगी। कार्यक्रम में महिलाएं अपने घरेलू उत्पादों की प्रदर्शनी लगाएंगी। जिसमें वो छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों की मदद से तैयार किए गए उत्पादों के बारे में जानकारी देंगी।

कानूनी साक्षरता से रूबरू कराएगा मंत्रालय
एचआरडी मंत्रालय इस दौरान छत्तीसगढ़ी महिलाआें को कानूनी साक्षरता और जन-धन योजना पर तैयार की गई पुस्तकें वितरित करेगा। इन किताबों में लोगों को कानून से संबंधित उनके मूलभूत अधिकारों और जनधन योजना के बारे में सरल भाषा में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। वॉलेंट्री टीचर्स को समारोह में पुरस्कृत भी किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आवाहान के बाद 28 फरवरी 1909 में महिला दिवस मनाया गया। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन के सम्मेलन में इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका उद्देश्य महिलाआें को वोट देने का अधिकार दिलवाना था। क्योंकि उस समय ज्यादातर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। चीन, मेडागास्कर, मकदूनिया, नेपाल में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को अवकाश दिया जाता है। रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान,यूगांडा, यूके्रन, उजबेकिस्तान, वियतनाम और जाम्बिया में इस दिन आधिकारिक अवकाश रहता है।

चीनी घुसपैठ की काठ बनेगा सूडान में डिफें स अटासे की नियुक्ति

कविता जोशी.नई दिल्ली

सूडान कहने को उत्तर-पूर्व अफ्रीका में स्थित एक छोटा सा देश है। लेकिन बीते कुछ सालों में इसकी महत्ता दुनिया के मानचित्र पर तेजी से उभरी है। प्राकृतिक संसाधनों में पेट्रोलियम और कच्चे-तेल के अपार भंड़ारों से भरा पड़ा सूडान आज ना सिर्फ दुनिया की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यस्था है। बल्कि दुनिया के सभी देशों के लिए सामरिक-वाणिज्यिक आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी बनता जा रहा है। ऐसे में सूडान में भारत की दिलचस्पी बढ़ना लाजमी है। इस दिशा में पहला कदम भारत ने वहां डिफेंस अटासे (डीए) की नियुक्ति करने के रूप में उठा लिया है। सूडान में भारत अपनी मौजूदगी बीते कुछ समय से वहां बढ़ रही चीनी दखलंदाजी को देखते हुए भी कर रहा है। दूसरे शब्दों में डीए की नियुक्ति को चीन की बढ़ती दखलंदाजी की काठ भी कहा जा सकता है। डिफेंस अटासे को रक्षा प्रतिनिधि भी कहा जाता है। सूडान को अफ्रीका और अरब जगत का सबसे बड़ा देश के रूप में भी जाना जाता है।

सूडान में डीए रखने का फायदे
रक्षा मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि सूडान में बीते कुछ समय से चीन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोनाआें से लेकर एशिया में उसका अकेला प्रमुख वाणिज्यिक भागीदार बना हुआ है। ऐसे में भारत ने यह फैसला किया है कि जल्द ही वो भी सूडान में अपना डिफेंस अटासे नियुक्त करेगा। सूडान में डीए नियुक्त होने के बाद भारत उसके भीतर राजनीतिक, रणनीतिक और सैन्य-स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्शाने में कामयाब हो जाएगा। जिसके दूरगामी फायदे मिलेंगे। इसके अलावा सूडान के पड़ोसी देशों जैसे कांगों, लेबनान, इथोपिया, इरीट्रिया, मिस्र, यूएई जैसे देशों में चल रही तमाम गतिविधियों पर भी नजर बनाए रखने में भारत को आसानी होगी।

पहली बार होगी डीए की नियुक्ति
आजाद भारत के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब भारत, सूडान में अपना रक्षा प्रतिनिधि नियुक्त करेगा। नियुक्ति प्रक्रिया की शुरूआत रक्षा मंत्रालय में हो चुकी है। जल्द ही अधिकारी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। सूत्र का कहना है कि इस पद के लिए कर्नल स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।

सूडान में बढ़ती चीनी गोलबंदी
चीन सूडान के अलावा उसके पड़ोसी देशों कांगों, लेबनान, इथोपिया में भी तेजी से विकास कार्यों के बहाने प्रवेश कर अपने सामरिक-रणनीतिक हितों को साधने की अपनी पुरानी रणनीति में लगा हुआ है। देर से ही सही भारत ने भी इस दिशा में एक अच्छी पहल कर दी है।

सूडान की भौगोलिक स्थिति
सूडान की जनसंख्या वर्ष 2013 की जनगणना के हिसाब से 37.96 मिलियन है। सूडान के पूर्व में इरीट्रिया और इथोयोपिया, उत्तर में मिस्र, उत्तर-पश्चिम में लीबिया, द-पूर्व में युगांडा, केन्या, द.पश्चिम में कांगों है। अफ्रीका की प्राचीन नील नदी सूडान को दो भागों पूर्व और पश्चिम में बांटती है। इसके उत्तर-पूर्व में लाल सागर (रेड सी) है।

कल्पना के सहारे लक्षद्वीप के चक्रवात प्रभावितों की मदद करेगी नौसेना

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

लक्षद्वीप में नौसेना का ह्युमेनिटेरियन अस्सिटेंस्ड डिजास्टर रिलीफ (एचएडीआर) अभ्यास 15 फरवरी तक चलेगा। इसमें नौसेना की मुंबई स्थित पश्चिमी कमांड और विशाखापट्टनम स्थित पूर्वी कमांड के लगभग 20 जंगी जहाज भाग लेंगे। यहां नौसेना मुख्यालय में मौजूद नौसेना के सूत्रों का कहना है कि इस अभ्यास में लक्षद्वीप में चक्रवात के प्रकोप की कालपनिक कल्पना को आधार बनाते हुए जरूरी मदद मुहैया कराने का नौसेना अभ्यास करेगी। इस कल्पना में नौसेना यह मानकर मदद करगी कि लक्षद्वीप पर चक्रवात आने से बहुत नुकसान पहुंचा है। यातायात के सभी प्रमुख मार्ग टूट गए हैं, संचार माध्यम ठप पड़े हैं, जान-माल का व्यापक नुकसान हुआ है। नौसेना के तमाम बड़े जंगी जहाज इस अभ्यास में लक्षद्वीप में चक्रवात प्रभावितों को तुरंत मदद पहुंचाने के लिए मेडिकल कैंप लगाने, सड़कों से पेड़ हटाने, संचार तंत्र को दुरुस्त करने, लोगों को चिकित्सा सुविधा देने, बेधर हुए लोगों तक भोजन पहुंचाने से लेकर प्रभावितों तक हर संभव मदद पहुंचाने का अभ्यास करते हुई नजर आएंगे।

गौरतलब है कि इस अभ्यास की शुरूआत लक्षद्वीप में 9 फरवरी से हुई और इसका समापना 15 फरवरी को होगा। अभ्यास में लक्षद्वीप के करावती, अगाती और कल्पेनीएंड अंद्रोथ द्वीप को शामिल किया गया है। नौसेना ने इससे पहले मॉले के सामने उठ खड़े हुए साफ पानी के संकट के समय भी मदद पहुंचाई थी। इस दौरान नौसेना ने अपने दो जंगी जहाजों से 10 दिन के अंदर मॉले को 2 हजार टन पानी पहुंचाया था। इसके अलावा नौसेना ने वर्ष 2004 की हिंद महासागर में आई सुनामी, वर्ष 2006 के लेबनान और वर्ष 2011 के लीबिया संकट में भी अतिशीध्र मदद पहुंचाई।

एचआरडी मंत्रालय की ई-बुक की केंद्र में ‘महिला लीडर्स’

कविता जोशी.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपनी ई-बुक पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इसमें मंत्रालय के 200 दिनों के कामकाज का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें महिला लीडर्स को लेकर दी गई जानकारी खासी आकर्षक नजर आ रही है। दरअसल एचआरडी मंत्रालय ने इतिहास में पहली बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) से लेकर तकनीकी शिक्षा से जुड़े तमाम संस्थानों में महिलाओं को अहम पदों पर आसीन किया है। इसमें आईआईटी काउंसिल में दो महिला वैज्ञानिकों को नामित किया गया है।

अग्नि पुत्री का विशेष उल्लेख
मंत्रालय ने अपनी ई-बुक के विमन लीडर्स कॉलम में देश में मिसाइल वुमन और अग्नि पुत्री के नाम से विख्यात डॉ.टेसी.थॉमस को आईआईटी काउंसिल के लिए नामित किया है। डॉ.थॉमस अभी एडवांस सिस्टम्स लेबोरेट्री (एएसएल) की निदेशक हैं। वर्ष 1988 में अग्नि मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ने के बाद से ही ये अग्नि पुत्री के नाम से विख्यात हुई। इसके अलावा प्रो.विजयलक्ष्मी रवींद्रनाथ आईआईटी काउंसिल के लिए नामित की गई दूसरी महिला वैज्ञानिक हैं। डॉ.रवींद्रनाथ इंडियन इंस्ट्टीट्यूट आॅफ साइंस के सेंटर फॉर न्यूरोसाइंस की प्रोफेसर और अध्यक्ष है।

पीएम ने दिया महिला सशक्तिकरण का नारा
एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि महिलाओं को देश के शीर्ष तकनीकी शिक्षण संस्थानों में अहम जिम्मेदारी देने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण और महिला जागरूकता से जुड़ा विजन बड़े कारक के रूप में है। इसे मंत्रालय ने चरितार्थ किया है। महिला शिक्षा, जागरूकता और सशक्तिकरण जैसे विषयों को पीएम मोदी ने एचआरडी मंत्रालय के अपने दौरे के दौरान भी दोहराया था।

तकनीकी संस्थानों-एनआईटी में महिलाएं
विमेन लीडर्स कॉलम के दूसरे भाग में उन महिलाओं का जिक्र किया गया है, जिन्हें तकनीकी शिक्षण संस्थानों और एनआईटी के बोर्ड आॅफ गवर्नर (बीओजी) में अध्यक्ष का पद दिया गया है। श्रीमती लीला पूनावाला को इंडियन इंस्ट्टीट्यूट आॅफ टेक्नॉलोजी (रोपड़) पंजाब के बोर्ड आॅफ गवर्नर का अध्यक्ष (बीओजी) बनाया गया है। इसके अलावा एमएएनआईटी, भोपाल में प्रो.गीता बाली, एनआईटी कालीकट में गीता जयंती, एनआईटी राउरकेला में डॉ. वसंता रामास्वामी, एसडब्ल्युआईटी, सूरत में जया पनवालकर, विनिता नारायणन एनटीटीके सूरतकल, एनआईटी त्रिरूचेलापल्ली में कुमुद श्रीनिवासन को बीओजी का अध्यक्ष बनाया गया है।

अमेरिकी कंपनियों की एरो इंडिया 2015 में मचेगी धूम

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बैंग्लुरु में 18 फरवरी से शुरू हो रहे अंतरराष्ट्रीय वैमानिक शो एरो इंडिया 2015 में अमेरिका की बाकी देशों की तुलना में ज्यादा बड़ी भागीदारी देखने को मिलेगी। अमेरिका के अलावा समारोह में 32 देश शामिल होने जा रहे हैं। लेकिन शीर्ष में अमेरिका कंपनियां ही बनी हुई हैं। यहां सोमवार को इस समारोह से पूर्व में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन सचिव जी.मोहन कुमार ने कहा कि अमरिका की एरो इंडिया में 64 कंपनियां भाग लेंगी। इसके बाद दूसरे नंबर पर फ्रांस है, जिसकी 54 कंपनियां शामिल होंगी। तीसरी स्थान पर यूनाइटेड किंगडम है, जिसकी 48 कंपनियां, चौथे स्थान पर रूस की 41 कंपनियां शामिल होंगी। इसके अलावा जर्मनी की 17, इजराइल की 25, यूक्रेन की 6, स्वीडन की 6, जापान की 3, इटली की 3, आॅस्ट्रेलिया की 2, कनाड़ा की 2, द.कोरिया की 2, यूएई की 2 कंपनियां कार्यक्रम में शिरकत करेंगी। बीते एरो इंडिया शो 2013 में 29 देशों ने शिरकत की थी।

रक्षा उत्पादन सचिव ने कहा कि यह एरो इंडिया का 10 वां एडीशन है। इसकी शुरूआत वर्ष 1996 में हुई थी। कार्यक्रम में 266 भारतीय कंपनियां, 328 विदेशी कंपनियां शामिल होंगी। इस बार एयरफोर्स स्टेशन येहलंका में यह शो 24 हजार 403 स्क्वायर किमी. भू-भाग पर होगा। 72 विमान, डेढ़ लाख बिजनेस विजिटर्स, 25 देशों के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल, 9 देशों के रक्षा मंत्री स्तर के प्रतिनिधिमंडला, 9 देशों की सेनाआें के प्रमुख स्तर के प्रतिनिधिमंडल, 38 सचिव स्तर के प्रतिनिधिमंडल शामिल होंगे। अमेरिका, यूके, स्वीडन, चेक-रिपब्लिक की एरोबेटिक टीमें समारोह का हिस्सा बनेंगी।

‘मेक इन इंडिया’ को लेकर पहली बार डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इंवेस्टर समिट एंड ग्लोबल सीईओज कॉंफ्रेंस होगी। इसमें भारतीय उद्योग जगत से 150 सीईओ, 150 विदेशी उद्योगों के सीईओ को आमंत्रित किया गया है। इस सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे और सत्र की अध्यक्षता रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर करेंगे। सत्र के लिए भारतीय उद्योग जगत से टाटा, एल एंड टी, महिंद्रा, अड़ानी, भारत र्फोज को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा सशस्त्र सेनाओं-बलों के प्रमुखों समेत गेस्ट स्पीकरों में फिक्की, एसोचैम, सीआईआई, पीएचडी के अध्यक्ष शामिल होंगे। इंडो-इजराइल, इंडो-यूके, इंडो-पोलिश के साथ गोलमेज वार्ता होगी। मेक इन इंडिया अभियान में भागीदारी करने के लिए गुजरात, कर्नाटक, केरल विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) पवेलियन लगाएंगे। यह कवायद राज्य निवेश को आकर्षित करने के लिए करेंगे। साइबर सिक्योरिटी इन डिफेंस, एरोस्पेस एंड सिविल ऐवीऐशन, इंटीग्रेटिंग एरोस्पेस इंडस्ट्री इनटू अ ग्लोबल सप्लाई चेन विषयों पर कार्यशालाएं होंगी।

एरो इंडिया: पाक को निमंत्रण नहीं, चीन ने नहीं भेजी सहमति

कविता जोशी.नई दिल्ली

दुनिया के बड़े वैमानिकी शो कहे जाने वाले ‘एरो इंडिया 2015’ में पड़ोसी पाकिस्तान को भारत ने आमंत्रित नहीं किया है और चीन ने भी कार्यक्रम में आने को लेकर कोई सहमति नहीं दी है। इससे यह साफ हो जाता है कि इस बार एरो इंडिया में भारत के दो निकट पड़ोसी देश शिरकत नहीं करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन आगामी 18 से 22 फरवरी तक बैंगलुरु के येहलंका वायुसेनाअड्डे पर किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार एरो इंडिया में खास तौर पर मेक इन इंडिया अभियान पर कार्याशाला का उद्घघाटन करने के लिए 18 फरवरी को बैंगलुरु पहुंचेंगे।

चीन ने नहीं दी सहमति
यह जानकारी यहां राजधानी के डीआरडीओ भवन में इस समारोह के पूर्व में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन सचिव जी.मोहन कुमार ने हरिभूमि द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि एरो इंडिया 2015 में इस बार कुल 33 देश भाग ले रहे हैं, जिसमें अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, कनाड़ा, जर्मनी, फ्रांस, इजराइल, इटली, रूस, यूक्रेन, यूएई, ब्राजील, स्वीडन, द.अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों की ओर से रक्षा मंत्रालय को अंतिम स्वीकृति भेज दी गई है। लेकिन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था कहलाने वाले चीन की ओर से भारत को कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कोई सहमति नहीं भेजी गई है। भारत ने चीन को आमंत्रित किया है। पाकिस्तान का जहां तक सवाल है हमने उन्हें इस आयोजन के लिए आमंत्रित नहीं किया है।

राज्यों में बंगाल नहीं होगा शामिल
इस बार एरो इंडिया की थीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बनाया गया है। राज्यों को भी इसमें बड़े पैमाने पर भागीदारी करने के लिए कहा गया है। अभी तक मंत्रालय को चार राज्यों की ओर से सहमति भेजी गई है, जिसमें गुजरात, कर्नाटक, आंध्र-प्रदेश और केरल शामिल है। पश्चिम-बंगाल को लेकर पूछे गए हरिभूमि के सवाल के जवाब में रक्षा उत्पादन सचिव ने कहा कि बंगाल की ओर से कोई सहमति नहीं भेजी गई है।

गौरतलब है कि पश्चिम-बंगाल, केंद्र की योजनाआें को लागू करने में लगातार बेरूखी दिखा रहा है। रविवार को नीति आयोग की बैठक में भी प.बंगाल शामिल नहीं हुआ और इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्यों के मुख्यमंत्रियों से हुई मुलाकात में भी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नदारद रही थी।

रूस की पहले जैसी भागीदारी
एरो इंडिया में रूस की भागीदारी बीते वर्षों की तरह ही होगी। उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। रूस की इस कार्यक्रम में 41 कंपनियां भाग लेंगी। जिसमें सिविल-मिलिट्री कंपनियां शामिल हैं। लेकिन रूस अपने लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन नहीं करेगा। भारत के रूस से बदल रहे रिश्तों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रूस के साथ भारत के लंबे समय से संबंध रहे हैं। रूस ने भारत को कई विशेष सैन्य उपकरण दिए हैं। उनकी भागीदारी को लेकर हमारे संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ब्लैकलिस्ट कंपनियां शामिल होंगी?
कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर हमने किसी कंपनी पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है। इतना जरूर है कि जिन कंपनियों को हमने कालीसूची में डाला है या जिनके खिलाफ किसी तरह की एफआईआर या सीबीआई की जांच चल रही है वो कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी। इसमें वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में रिश्वत के आरोपों के चलते कालासूची में डाली गई अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी भी शामिल है। लेकिन इसकी एक अन्य सहयोगी कंपनी फिनमैकेनिका एरो इंडिया में शिरकत करेगी। हमारा यह मानना है कि किसी कंपनी पर पूर्णकालिक आधार पर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है। उसकी सहायक कंपनियां कार्यक्रम में भाग ले सकती हैं।

सुरक्षा कारणों के चलते नहीं हुआ ‘पाक दिवस’ समारोह

कविता जोशी.नई दिल्ली

पाकिस्तान द्वारा अगले महीने की 23 तारीख को मनाया जाने राष्ट्रीय दिवस समारोह सात साल बाद मनाया जा रहा है। इसके पीछे सुरक्षा संबंधी कारणों को जिम्मेदार बताया गया है, जिसकी वजह से यह कार्यक्रम बंद था। इससे पहले 23 मार्च 2008 में यह कार्यक्रम पाकिस्तान में हुआ था। उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ थे। गौरतलब है कि यह वही साल है जब चंद महीनों के बाद 26 नवंबर 2008 को पाक समर्थित आतंकवादी हाफिज सईद के नेतृत्व में भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर बड़ा आतंकवादी हमला किया गया था। जिसमें कई बेगुनाह नागरिक मारे गए थे। ये आतंकी समुद्र के रास्ते भारत में घुसे थे।

ओबामा के भारत आगमन से बौखलाहट
सैन्य-सामरिक मामलों के जानकार सूत्र ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस के मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने वाले हैं। पिछले महीने 26 जनवरी को भारत द्वारा मनाए गए 66 वें गणतंत्र दिवस परेड समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आगमन से चीन और पाकिस्तान दोनों में बौखलाहट है। इसे लेकर पहले चीन ने इसी वर्ष 1 सितंबर को विशाल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने की घोषणा की जिसमें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत करने के लिए आमंत्रण भेजा तो अब पाकिस्तान आगामी 23 मार्च को पाक दिवस पर चीनी राष्ट्रपति को बुला रहा है।

रावलपिंडी में होगा पाक का समारोह
पाकिस्तान का राष्ट्रीय दिवस समारोह 23 मार्च को रावलपिंडी के संयुक्त स्टाफ हेडक्वाटर में होगी। इस दौरान पाक सैन्य बलों की संयुक्त परेड का आयोजन करेगा। सैन्य क्रियाक्लापों के अलावा परेड में सांस्कृतिक क्रियाक्लापों का भी आयोजन किया जाएगा।

द.एशिया में बदलते भू-राजनैतिक संबंध
भारत द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को मुख्य अतिथि बनाए जाने के एलान के बाद द.एशिया में भू-राजनैतिक संबंधों का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। एक ओर इससे हड़बड़ाए चीन ने इसी वर्ष 1 सितंबर को विशाल सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करने का एलान कर दिया है, जिसमें रूसी राष्टÑपति मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। वहीं अब पाक के राष्ट्रीय दिवस समारोह में चीनी राष्ट्रपति खास मेहमान बनने जा रहे हैं। एक ओर चीन, रूसी राष्ट्रपति को बुलाकर भारत समेत अमेरिका को अपनी अकांक्षाओं, ताकत और सैन्य क्षमता का खुला प्रदर्शन करना चाहता है। वहीं पाक, चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग को बुलाकर अमेरिका समेत द.एशिया में अपनी मौजूदगी का अहसास बरकरार बनाए रखना चाहता है।

रेल मंत्री से सीखी पर्यावरण की ए-बी-सी-डी: जावड़ेकर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बीते वर्ष 26 मई को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व बनी नई राजग सरकार में केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर हैं। यह सभी जानते हैं। लेकिन हममें से शायद ही कोई इस बात को जानता हो कि देश के पर्यावरण मंत्री को पर्यावरण के बारे में यानि प्रकृति और उसके प्राकृतिक विविधता के बारे में सामान्य ज्ञान दिया रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने।

रेल मंत्री ने दिया पर्यावरण संबंधी ज्ञान
बीते दिनों राजधानी में हुए एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोगों से यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि मुझे पर्यावरण के बारे में सामान्य से लेकर विशेष जानकारी मेरी वरिष्ठ साथी और रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दी है। इससे पहले मैं पर्यावरण या इससे जुड़े हुए अन्य विषयों के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। पर्यावरण मंत्री के इस वकतव्य को मंच पर आसीन केलिफोर्निया (अमेरिका) के पूर्व गवर्नर आरनोल्ड सोवॉशनेगर और फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस समेत तमाम देशी-विदेशी मेहमान ध्यान से सुन रहे थे। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जावड़ेकर ने कहा कि आज से पहले पर्यावरण के बारे में मुझे कोई खास जानकारी नहीं थी। लेकिन सुरेश प्रभु के दिए ज्ञान और संयोग की बदौलत आज मुझे पर्यावरण-वन संबंधी मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभालने की जिम्मेदारी मिल गई है, जिसे मैं पूरी ईमानदारी-निष्ठा से निभा रहा हूं।

छात्र जीवन से एवीबीपी से रहा जुड़ाव
वर्ष 2002 से 2014 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रहे प्रकाश जावड़ेकर राज्यसभा सदस्य हैं। उनका जन्म 30 जनवरी 1951 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक शिक्षक के घर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पुणे के स्कमल से ही प्राप्त कर उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय में बीकॉम कोर्स में दाखिला लिया। इसी दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एवीबीपी) के सदस्य बन गए और कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।

आपातकाल में निभाई भूमिका
जावड़ेकर ने 1975 में आपातकाल के दौरान सत्याग्रह आंदोलन का भी नेतृत्व किया। 1971 में एवीबीपी का सदस्य रहते हुए वे महाराष्ट्र बैंक में ग्रामीण विकास विभाग, सिक यूनिट सेल तथा बैंक के संवर्धन कार्यक्रम विभाग में लगभग 10 वर्षों तक काम किया। 1975 में पुणे विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य चुने गए।

1984 में राष्ट्रीय राजनीति में आए
वर्ष 1984 में जावड़ेकर राष्ट्रीय राजनीति में आए। 1981 में भारतीय जनता पार्टी के पूर्ण रूप से सदस्य बन गए और इसके बाद 1984 में वे भारतीय राष्ट्रीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव व जनरल सेकेट्री बने। वर्ष 2002 में भाजपा का राष्‍ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद अब वे केंद्र में मंत्री हैं।

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

मध्यस्थों की भूमिका को वैध बनाने की घोषणा करेंगे पर्रिकर!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

रक्षा सौदों में पिछली सरकार की नीतियों में राजग सरकार जल्द ही बड़े फेरबदल को अमलीजामा पहनाने से जुड़ी बड़ी घोषणाएं कर सकती है। इसमें एक बड़ा महत्वपूर्ण बदलाव रक्षा सौदों में मध्यस्थों (एजेंट या दलाल) की भूमिका को वैध करने को लेकर है और दूसरी रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) में व्यापक परिवर्तन शामिल है। इसकी घोषणा आगामी सप्ताह के अंत में होने वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर करेंगे।

एजेंट और मेक इन इंडिया खास
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस बार होने वाली बैठक कई मायनों में पिछली बैठकों से खास होगी। इसमें रक्षा सौदों के दौरान विदेशी कंपनियों द्वारा एजेंट रखने को सरकार कानूनी रूप से मान्यता देने पर अपनी हरीझंडी दे सकती है। इसके अलावा भारत की निजी क्षेत्र कंपनियों की मेक इन इंडिया और डिजीटल इंडिया जैसे अभियानों के जरिए भागीदारी बढ़ाने की घोषणा भी की जा सकती है।

ये है रक्षा मंत्री का तर्क
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा सौदों में मध्यस्थों की भूमिका को कानूनी मान्यता देने के संकेत बीते वर्ष 30 दिसंबर को यहां राजधानी में रक्षा संवाददाताआें से हुई अनौपचारिक मुलाकात के दौरान दिए थे। उन्होंने अपने बयान में भारतीय सेनाओं की जरूरतों का हवाला देते हुए डीपीपी में व्यावहारिक बदलावों पर जोर देने की बात कही थी।

क्या मिलेगा कंपनियों को
सूत्र ने कहा कि प्रस्तावित बदलावों में विदेशी कंपनियां रक्षा सौदों में मदद के लिए तकनीकी प्रतिनिधि रख सकेंगी। लेकिन कंपनियों को इन प्रतिनिधियों की जानकारी रक्षा मंत्रालय को देनी होगी। बल्कि शर्त होगी कि कंपनी को सौदे के लिए ऐसे एजेंटों को किसी तरह का हिस्सा या सक्सेस मनी नहीं दी जाएगी। रक्षा मंत्री ने कहा था कि कंपनियों को ऐसे प्रतिनिधियों की फीस का खुलासा भी सौदे से पहले करना पड़ेगा। ऐसे मध्यस्थों की भागीदारी के लिए डीपीपी- 2015 में बदलाव किए जाएंगे। पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार के गलियारे बंद करने के लिए मंत्रालय केंद्रीय सर्तकता आयोग के साथ भी संपर्क में है।

ब्लैकलिस्ट कंपनियों से होगी खरीद
रक्षा मंत्री अलग-अलग मंचों पर कहते रहे हैं कि सेनाओं के लिए जरूरी सामान की जरूरतों को पूरा करने के लिए मंत्रालय काली सूची में डाली गई कई विदेशी कंपनियों के मामलों की समीक्षा कर रही है। पर्रिकर ने कहा कि अगर किसी कंपनी को काली सूची में डाला गया है तो जरूरी नहीं कि उस कंपनी से जुड़ी अन्य कंपनियों से भी कोई सौदा नहीं किया जाए। साथ ही अगर एक कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया है तो जरूरी नहीं कि उसकी मुख्य कंपनी पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाए।

चीन से लगी सीमा पर जल्द शुरू होगा सेना का डिजीटलीकरण!

कविता जोशी.नई दिल्ली

भारत के पश्चिमी और पूर्वी मोर्च पर पड़ने वाली दो बेहद संवेदनशील सीमाओं पर सरकार दो मामलों में तेजी से काम कर रही है। एक इंफ्रास्ट्रक्चर को बिना किसी बाधा के विकसित करने और दूसरा वहां तैनात थलसेना की तीनों कोरों को संचार के आधुनिक तंत्र से जोड़कर डिजीटल करने की कवायद शुरू करने में लगी हुई है। पूर्वोत्तर सीमा पर सैन्य कोरों का डिजीटलीकरण का काम मार्च महीने में शुरू हो जाएगा।

एमसीसीएस सिस्टम लगाए जाएंगे
यहां राजधानी में सेना मुख्यालय में मौजूद सेना के विश्वसनीय सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि सेना के पूर्ण डिजीटलीकरण करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीते वर्ष 15 अगरूत को लालकिले की प्राचीर से दिए गए ‘डिजीटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ के नारे को जमीनी रूप में चरितार्थ करने की पहल की मुख्य भूमिका है। सेना पूर्वोत्तर में चीन से लगी सीमा के निकट संचार के आधुनिक मोबाइल सेल्युलर कम्युनिकेशन सिस्टम (एमसीसीएस)लगाने जा रही है। इस सिस्टम की मदद से सेना के अधिकारी-जवान बिना किसी रूकावट के मोबाइल पर आसानी से बातचीत से लेकर दुश्मन की घुसपैठ या किसी संदेहास्पद हरकत की वीडियो-ओडियो रिकॉडिंग कर संबंधित अधिकारी को मुख्यालय व अन्य जगहों पर भेज सकेंगे।

सरकार ने बजट आवंटित किया
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से इस योजना के लिए करीब 1 हजार करोड़ रूपए का बजट आवंटित कर दिया गया है। इस सिस्टम को पूर्वोत्तर स्थित सेना की 3, 4 और 33 कोर में लगाया जाएगा। प्रत्येक कोर में इसे लगाने पर करीब 300 करोड़ रूपए का खर्च और पांच साल का समय लगेगा। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने इसे तैयार किया है। सेना एमसीसीएस सिस्टम के टावरों को ऊंची पहाड़ियों पर लगाएगी जिनसे बाढ़ के दौरान इन्हें नुकसान ना पहुंचे। नीचे मोबाइल फोन जो कि सीडीएमए पर काम करता है जवान प्रयोग कर संदेशों का तेजी से आदान-प्रदान कर सकेंगे।

पूर्वोत्तर की कोरों की सामरिक महत्ता
पूर्वोत्तर में भारत-चीन के साथ लगभग 3 हजार से ज्यादा की सीमा साझा करता है। यहां सेना की तीन कोर तैनात हैं, जिसमें 3, 4 और 33 कोर शामिल है। आंकड़ों के हिसाब से देखे तो एक कोर में 75 हजार अधिकारी-जवान होते हैं। इस हिसाब से तीनों कोरों में लगभग ढाई लाख फौज पूर्वी सीमा की रक्षा के लिए लगी हुई है। 3 कोर आकार के मामले में बाकी कोरों में सबसे बड़ी है और इसका मुख्यालय दीमापुर (नागालैंड) में है। 4 कोर का मुख्यालय तेजपुर (असम) है और 33 कोर का मुख्यालय सिलिगुड़ी (प.बंगाल) में है। 

भूमि-अधिग्रहण पर एचआरडी की किताब बढ़ाएगी जागरूकता

कविता जोशी.नई दिल्ली

भूमि-अधिग्रहण कानून में बदलाव को लेकर देश में लंबे समय से बहस चल रही है। कानून में कुछ बदलाव पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में किए गए और कुछ मौजूदा सरकार ने किए हैं। लेकिन इस मामले पर आज भी लोगों में जागरूकता का अभाव देखने को मिलता है, जिसकी वजह से कई बार विकास कार्यों की रफ्तार अचानक विरोध का रूख धारण कर लेती है। इन जटिलताओं के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक बीच का रास्ता निकाला है, जिसमें अब वो इस मुद्दे पर एक किताब प्रकाशित करने जा रहा है। इसमें भूमि-अधिग्रहण से जुड़े हर छोटे-बड़े पहलू के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। जल्द ही यह पुस्तक तैयार हो जाएगी और उसके बाद उसका वितरण देश के अलग-अलग भागों में किया जाएगा। मंत्रालय का तर्क है कि इस किताब के माध्यम से सरकार लोगों को भूमि-अधिग्रहण के मामले को समझने में मदद करना चाहती है। अभी इस किताब को हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है।

एचआरडी मंत्रालय में संयुक्त सचिव और डीजी (एनएलएमए) वाई.एस.के शेषु कुमार ने हरिभूमि को बताया कि हम विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर करीब 12 विषयों पर किताबें तैयार करा रहे हैं। इसमें भूमि अधिग्रहण से लेकर कन्या भ्रूण हत्या, कानूनी साक्षरता, वित्तीय शिक्षा, घरेलू हिंसा, शिक्षा का अधिकार, दहेज जैसे विषय शामिल हैं। इन किताबों को एक-एक देश के अलग-अलग भागों में वितरित किया जाएगा जिससे आम लोगों में इन मसलों को जागरूकता पैदा की जा सके। उन्होंने कहा कि एचआरडी मंत्रालय अधिकारिता विभाग के साथ मिलकर भूमि -अधिग्रहण के मामले पर किताब तैयार कर रहा है।

गौरतलब है कि अभी भूमि-अधिग्रहण कानून राज्यसभा में विचाराधीन है जहां बिल पर विचार-विमर्श किया जाना बाकी है। एक बार राज्यसभा से पास हो जाने के बाद ही इसे लोकसभा की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार की संसदीय प्रक्रिया से पहले चाहती है कि इस मुद्दे पर आम जन के बीच एक समझ पैदा की जाए या कहें कि लोगों को जागरूक किया जाए। इस जागरूकता के जरिए जब यह विधेयक कानून का रूप लेगा तो इसे आसानी से समझ सकेंगे।

भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में फ्रांस बनेगा बड़ा भागीदार!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

मौजूदा दौर में तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यस्था की ऊर्जा संबंधी जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। इसे पूरा करने के लिए भारत ने अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को वर्ष 2025 तक तिगुना करने की योजना बनाई है। फ्रांस, परमाणु ऊर्जा के मामले मेंपहले से ही एक समृद्ध-सक्षम देश है। हमारे पास पूरी क्षमता और सामर्थ मौजूद है। यह बातें यहां टेरी द्वारा डीएसडीएस सम्मेलन के उद्घघाटन सत्र के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों के जवाब में फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस ने कही। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शुक्रवार को होने वाली मुलाकात में परमाणु ऊर्जा और रफाले विमान सौदे के मुद्दे पर चर्चा किए जाने के संकेत दिए।

फ्रांसिसी विदेश मंत्री की शुक्रवार को पीएम मोदी से मुलाकात होनी है। इससे पहले उनका यह कहना कि फ्रांस परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह की सार्मथवान है साफ इशारा करता है कि भारत की आगामी जरूरतों को पूरा करने के लिए लक्षित परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में फ्रांस बड़ी भागीदारी अदा कर सकता है। दोनों नेताओं के बीच होने वाली मुलाकात में परमाणु ऊर्जा से लेकर फ्रांस की अरेवा कंपनी द्वारा न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने की योजना पर भी विचार किया जा सकता है।

गौरतलब है कि फ्रांसिसी कंपनी अरेवा को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के तहत परमाणु ऊर्जा रिएक्टर लगाने के लिए वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन फ्रांसिसी पीएम निकोलस साकोर्जी के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। लेकिन इसके बाद इलाके के स्थानीय लोगों और एनजीओ के विरोध की वजह से यह समझौता अभी तक परवान नहीं चढ़ सका है। यह योजना 9 हजार 900 मेगावाट की योजना थी। अगर यह परवान चढ़ती तो दुनिया का सवार्धिक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करने वाले प्लांट होता। जलवायु परिवर्तन पर सभी को अपने विचारों का आदान-प्रदान करना चाहिए। वित्तीय भागीदारी में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र को आगे आना चाहिए। टेरी के महानिदेशक डॉ.पचौरी ने कहा कि हमें सभी की बातों को सुनना चाहिए। लेकिन हमें अपनी आकांक्षाओं को नहीं भूलना चाहिए। 2020 तक वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की कमी करनी है। कुछ देश इसे और कम करना चाहते हैं। लेकिन सतत विकास के लक्ष्य के जरिए ही आगे बढ़ा जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन पर दुनिया की भारत से नेतृत्व की दरकार

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

जलवायु परिवर्तन की समस्या से दुनिया परेशान है। लेकिन इस मुद्दे का बेहतर हल निकालने की भारत के पास पूरी क्षमता है और उसे इस मामले पर नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए। यह बातें यहां गुरुवार को राजधानी में शुरू हुए तीन दिवसीय 15 वें दिल्ली सतत विकास सम्मेलन (डीएसडीएस) में फ्रांस के विदेश और अंतरराष्ट्रीय मामलों के मंत्री लॉरेंट फेबियस ने कही। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष नवंबर 2014 में जलवायु परिवर्तन पर आई अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिर्पोट में इसे बड़ी चुनौती बताया गया। इस समस्या का हल करने में भारत मुख्य भूमिका निभा सकता है। फ्रांस, भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन को लेकर उठाए गए कदमों से भली-भांति परिचित हैं। 100 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करने से लेकर भारत का 2025 तक एक बड़ा परमाणु कार्यक्रम भी है। इस मसले पर हमें एक कोष की आवश्यकता है और इसमें भारत बड़ी या कहें कि मुख्य भूमिका निभा सकता है। अर्थव्यस्थाआें में तेजी से बदलाव हो रहा है। वाणिज्यक समुदाय से लेकर गैर-सरकारी संगठनों को मदद के लिए आगे आना चाहिए।

बिना बाध्यता के भारत प्रयासरत 
फ्रांस के विदेश मंत्री की जलवायु परिवर्तन पर भारत को दी गई सलाह का जवाब देते हुए केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत एक विकासशील देश है। हमारा विकास बीते कुछ वर्ष पहले ही शुरू हुआ है। विकसित देशों से हमें सतत विकास के एजेंडें को आगे बढ़ने के लिए तकनीक और वित्तीय सहायता की दरकार है। उन्होंने पीएम मोदी द्वारा गुजरात में उनके मुख्यमंत्री वाले कार्यकाल के दौरान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में किए गए कार्य का जिक्र किया और कहा अब हम इसका देश में विस्तार करने जा रहे हैं। जावड़ेकर ने पीएम का एक संदेश भी कार्यक्रम में सुनाया। पर्यावरण के लिए खतरनाक ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के अलावा जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर बनाई गई प्राचीन संधि क्योटो प्रोटोकाल के तहत भी भारत किसी तरह से बाध्य नहीं है। लेकिन फिर भी हमने स्वत: इस मामले में अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। टेरी अगली बार इस कार्यक्रम को किसी ग्रामीण इलाके में करे।

साल 2015 जलवायु परिवर्तन पर चर्चाओं का साल रहेगा। पहले जुलाई में वित्तीय प्रोटोकाल की समयसीमा खत्म होगी, सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल(एसडीएम) सितंबर में और न्यू यूएन क्लाइमेट प्रोटोकाल दिसंबर में खत्म होगा। तमाम मसलों पर बदलाव करने की जरूरत है और सभी देशों को इसमें भागीदार होना पड़ेगा।

नवीकरण ऊर्जा स्रोतों पर जोर
कार्यक्रम में मौजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का हल निकालने के लिए ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों को बढ़ाना देना बेहतर विकल्प हो सकता है। पीएम के गुजरात मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ऐसा देश है जहां सौर, पवन ऊर्जा बाकी देशों की तुलना में लगभग सालभर रहती है। ऐसे में इसका उपयोग करके ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रहा बल्कि इससे पर्यटन, रोजगार समेत हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी प्रभाव पड़ रहा है। इससे निपटने के लिए सभी देशों को एक एकीकृत नीति बनानी होगी और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ना होगा।

कार्यक्रम में मौजूद केलिफोर्निया के पूर्व गवर्नर आरनोल्ड सोवॉजनेगर ने कहा पीएम मोदी ने जो काम मुख्यमंत्री के तौर पर किया है। हम उनसे उम्मीद करते हैं कि वो इसे देश के स्तर पर निरंतर आगे बढ़ाएंगे। जलवायु परिवर्तन के मामले में हम अब किसी का इंतजार नहीं कर सकते। भारत भी इस मामले में एक बड़ा भागीदार है। मैं इस मुद्दे पर रूकूंगा नहीं लगातार चलता रहूंगा। कार्यक्रम में टेरी के महानिदेशक डॉ.आर.के.पचौरी, टेरी की निदेशक, सस्टनेबल डेवलपमेंट आॅउटरीच डिविजन डॉ.अनपूर्णना वंचेसवरन के अलावा तमाम देशी-विदेशी मेहमान मौजूद थे।

पत्र सूचना कार्यालय में जाग उठे हिंदी के भाग!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली स्थित पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) में इन दिनों हिंदी भाषा के मानो भाग जाग उठे हैं। सरकार के तमाम मंत्रालयों द्वारा पीआईबी की वेबसाइट पर अब तुरंत अंग्रेजी से हिंदी में विज्ञप्तियों का अनुवाद मिल रहा है। इससे पहले यूपीए सरकार में अंग्रेजी भाषा को ज्यादा तव्वजो दी जाती थी। उस दौरान मंत्रालयों द्वारा रोजाना दी जाने वाली जानकारी को अंग्रेजी में ही प्रमुखता के साथ पीआईबी की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। इतना ही नहीं उस जानकारी का हिंदी में अनुवाद होने में कई दिन लग जाते थे। कई बारे विभागीय अधिकारी अच्छे अनुवादकों की कमी का हवाला देकर अंग्रेजी से हिंदी में विज्ञप्ति का अनुवाद ना होने की बात कहकर अपना पल्ला झाल लेते थे।

हरिभूमि को मिली जानकारी के मुताबिक बीते वर्ष 26 मई को नई सरकार के गठन के बाद से पीआईबी की कार्य-प्रणाली में काफी बदलाव हुआ है। हिंदी भाषा को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय और अंतरराष्टÑीय स्तर पर स्वयं तव्वजो दे रहे हैं। पीएम ने ऐसी ही हिदायत अपनी कैबिनेट के मंत्रियों को भी दी हुई है। ज्यादातर मंत्री विभिन्न कार्यक्रमों, समारोहों में हिंदी में ही अपनी बात रखते हुए देखे जा रहे हैं। उधर पीआईबी में अब पहले की तुलना में अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के लिए अच्छे अनुवादकों की नियुक्ति कर दी गई है। इसके अलावा प्रशासनिक विभाग का जिम्मां संभाल रहे अधिकारी भी हिंदी अनुवाद को लेकर पहले की तुलना में ज्यादा सतर्क और सजग हैं। उनके द्वारा अंग्रेजी में आने वाली किसी भी सूचना को तुरंत हिंदी में अनुदित करने का काम जोरशोर से किया जा रहा है।

गौरतलब है कि देश में लगभग 25.79 करोड़ लोग (वर्ष 2001 की जनगणना) हिंदी भाषा का मातृभाषा के रूप में उपयोग करते हैं। जबकि 42.20 करोड़ लोग 50 से अधिक बोलियों में से एक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। मातृभाषियों की संख्या के हिसाब से संसार की भाषाआें में चीनी भाषा के बाद हिंदी भाषा का दूसरा स्थान है। चीनी भाषा बोलने वालों की संख्या हिंदी भाषा से अधिक हैं। लेकिन चीनी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिंदी भाषा की तुलना में सीमित है। इसी तरह से अंग्रेजी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिंदी से ज्यादा है। लेकिन मातृभाषियों की संख्या हिंदी में अंग्रेजी से ज्यादा है। 

रक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई को सौंपा ‘वीरगाथा’ का ड्राफ्ट

कविता जोशी.नई दिल्ली

रक्षा मंत्रालय ने देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले सेनानियों को लेकर तैयार किए गए एक विस्तृत ड्राμट को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को सौंप दिया है। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा मंत्रालय ने आजादी के बाद मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ी गई जंगों में शहीद हुए जाबांजों को शामिल किया है। दरअसल मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्वतंत्रता सेनानियों और आजादी के बाद की लड़ाईयों में योगदान देने वाले शहीदों को लेकर वीरगाथा नामक एक पुस्तक तैयार करवा रहा है, जिसमें रक्षा मंत्रालय सहयोग कर रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सौंपा ड्राफ्ट रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस बाबत एक वृहद ड्राफ्ट हाल ही में उन्होंने सीबीएसई को सौंप दिया है। सीबीएसई और एनसीईआरटी
मिलकर इस ड्राफ्ट को किताब का रूप देंगे। इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि एचआरडी मंत्रालय वीरगाथा नामक इस पुस्तक को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर सकती है, जिससे युवा पीढ़ी को देश को आजादी दिलाने वाले वीरों के योगदान के बारे में जानकारी दी सके।

एचआरडी ने एनसीईआरटी को जोड़ा
राजधानी में मंगलवार को हुई राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की 52 वीं जनरल काउंसिल मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस कार्य में एनसीईआरटी को भी योगदान करना होगा जिसमें वो रक्षा मंत्रालय से विचार विमर्श कर सकते हैं।

महिलाआें की संख्या कम
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्वतंत्रता सेनाआें की सूची में महिलाओं की संख्या कम है। लेकिन उसके अलावा उन्होंने इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा आजादी के मातृभूमि की रक्षा में लड़ी गई लड़ाईयों में शहीद होने के बाद वीरता पुरस्कारों से सम्मानित रणबांकुरों को शामिल किया है। हरिभूमि को मिली जानकारी के मुताबिक स्वतंत्रता संग्राम में कुल 12 महिलाओं का योगदान इतिहास में चर्चित रहा है। इसमें रानी लक्ष्मीबाई, कस्तूरबा गांधी, कमला नेहरू, विजय लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी, अरूणा आसफ अली, सरोजनी नायडू, बेगम हजरत महल, मैडम भीकाजी कामा, एनी बेसेंट, दुर्गाबाई देशमुख, उषा मेहता सावित्रीबाई फुले शामिल हैं।

शिक्षा नीति पर मंत्रणा शुरू करे एनसीईआरटी
केंद्रीय एचआरडी मंत्री ने एनसीईआरटी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति और पाठ्यक्रम में बदलाव के मसले पर तमाम हितधारकों और राज्यों से विचार-विमर्श की शुरूआत करने को कहा है। विचार-विमर्श की इस प्रक्रिया को आगामी अगस्त महीने में पूरा करके सितंबर महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

डीएसडीएस के केंद्र में रहेगा जलवायु परिवर्तन का मुद्दा

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

15वें दिल्ली सतत विकास सम्मेलन (डीएसडीएस) का गुरुवार से राजधानी दिल्ली में आगाज होगा। इस बार सम्मेलन की थीम ‘सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल्स एंड डिलिंग विद क्लाइमेट चेंज’ रखी गई है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जलवायु परिवर्तन का मुद्दा सम्मेलन के केंद्र में रहेगा। सात फरवरी तक चलने वाले इस वृहद आयोजन में कई देशों की सरकारें, मंत्रालय, नोबल पुरस्कार विजेता, विश्वविद्यालय, संस्थान और उद्योग जगत की हस्तियां शिरकत करेंगी। 5 फरवरी को कार्यक्रम की शुरूआत टेरी के महानिदेशक और जलवायु परिवर्तन पर गठित अंतर-सरकारी समूह के अध्यक्ष डॉ.आर.के.पचौरी करेंगे। विशेष वकतव्य केलिफोर्निया के पूर्व गवर्नर आर्नोल्ड सिवार्जीनेगर देंगे। इसके अलावा पेरू के पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री भी अपना उद्दबोधन देंगे।

डीएसडीएस का आयोजन करने वाले द एनर्जी एंड रिर्सोस इंस्ट्टीट्यूट टेरी के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस बार सम्म्मेलन में करीब 17 देशों के मंत्रालय शिरकत करेंगे। इसमें फ्रांस, चीन, अमेरिका, जापान, मारीशस, कांगो, नार्वे, फिलीपींस, मैक्सिको, भूटान, इजिप्ट, पेरू, कतर, कांगोें भाग लेंगे। कार्यक्रम में भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा, अमेरिका के केलिफोर्निया ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ.रॉबर्ट बी वेसिनमिलर, फ्रांस में भारत के राजदूत अरूण.के.सिंह, यूरोपियन यूनियन (बेल्जियम और लगजमबर्ग) में भारत के राजदूत मंजीव सिंह पुरी, भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी शामिल होंगे। इसके अलावा कोरिया, भारत, नार्वे, जापान, चीन, पाकिस्तान के विश्वविद्यालय और जलवायु परिवर्तन व ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थान शिरकत करेंगे। कार्यक्रम में उद्योग जगत की कई जानी-मानी हस्तियां भी शामिल होंगी।

इस आयोजन में भारत की ओर से पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर, बिजली, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, रेल मंत्री सुरेश प्रभू, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा अपना वकतव्य देंगे। इसके अलावा सरकार के कई मंत्रालयों के आला अधिकारी भी इस आयोजन में शिरकत करेंगे। टेरी के सूत्रों ने कहा कि कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत कर सकते हैं।

बिना सूचना अधिकारी के कैसे हो बेहतर मीडिया प्रबंधन

एक ओर सरकार अपनी योजनाओं और नीतियों को जनता तक तेजी से पहुंचाने को लेकर सभी मंत्रालयों के नौकरशाहों और पीआईबी के अधिकारियों के साथ कार्यशालाएं करने में मशगूल है। वहीं उसके अपने ही बड़े हाई-प्रोफाइल मंत्रालय को लंबे समय से एक अदद पूर्णकालिक सूचना अधिकारी (आईओ) की दरकार है। हो भी क्यों ना बिना सूचना अधिकारी के मीडिया पब्लिसिटी और प्रबंधन संभव ही नहीं है। यहां बात केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की हो रही है। नई सरकार गठन के बाद से लेकर अब तक तीन सूचना अधिकारी एचआरडी से रूखसत हो चुके हैं। सबसे अंत में मंत्रालय का कामकाज छोड़कर जाने वाली सूचना अधिकारी मौसमी चक्रवर्ती को गए तीन महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है। लेकिन अभी तक किसी नए अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है। अंशकालिक तौर पर पीआईबी की एक ज्यूनियर अधिकारी को मंत्रालय की पब्लिसिटी का काम सौंपा गया है। लेकिन बिना पूर्णकालिक अधिकारी की नियुक्ति के इस काम को पूरी तरह से परवान चढ़ाना दूर की कौड़ी से कम नहीं जान पड़ता।

2020 तक सौर ऊर्जा से होगा एक लाख मेगावाट बिजली उत्पादन: जावड़ेकर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि वर्ष 2020 तक भारत सौर ऊर्जा की मदद से एक लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगा। यह कदम जलवायु परिवर्तन के बढ़ रहे खतरे को कम करने में भारत के योगदान के तौर पर उठाए गया है। यह बातें केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने मंगलवार को यहां राजधानी में ‘जलवायु नीति और राष्ट्रीय योगदान’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में कही। इस सम्मेलन का आयोजन ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा कि भारत, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बेहद गंभीर और प्रतिबद्ध है। हम स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं, जिसकी मदद से इस समस्या से कारगर ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। सौर ऊर्जा के अलावा पवन ऊर्जा, जल संरक्षण, समुद्रतटीय और हिमालयी पारिस्थितिकीय संरक्षण संबंधी अन्य महत्वपूर्ण पहलुआें के जरिए भी हमने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी है। सतत विकास की दिशा में उठाए जा रहे प्रयासों को संतुलित करने पर भी हमारा जोर है। बीते दिनों पर्यावरण मंत्री ने एक कार्यक्रम से इतर कहा था कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने को लेकर भारत पुराने स्टैंड पर कायम है। हमारा मानना है कि इससे निपटने को लेकर विकसित देशों की ज्यादा
जिम्मेदारी बनती है वो ही इसके लिए विकासशील देशों को ज्यादा मदद मुहैया कराए। साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन को बढ़ाने में विकसित देशों की ही भागीदारी रही है।

गौरतलब है कि इस कार्याशाला का आयोजन पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2015 से पहले और बाद में भारत की जलवायु परिवर्तन रणनीति के बारे में विचार-विमर्श शुरू करने को लेकर किया गया था। इसमें परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, निम्न कार्बन परिवहन विकल्पों, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन, कार्बन कैप्चर और भंडार जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई जो भारत की जलवायु नीति के लिए बेहद अहम हैं। ।

चीता हेलिकॉप्टर हादसे में बाल-बाल बचे कोर कमांडर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

सोमवार सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर सेना का चीता हेलिकॉप्टर नागालैंड के दीमापुर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें सवार पॉयलट, सह-पॉयलट समेत दीमापुर स्थित सेना की तीन कोर के मुखिया ले.जनरल बिपिन रावत बाल-बाल बच गए। सेना ने हादसे की जांच यानि कोर्ट आॅफ इंक्वारी के आदेश दे दिए हैं।

यहां सेना मुख्यालय में मौजूद थलसेना के सूत्रों ने कहा कि यह चीता हेलिकॉप्टर सुबह अपनी नियमित उड़ान पर जा रहा था। रनवे से उड़ान भरने के 20 मिनट के अंदर ही यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जब यह हादसा हुआ तब हेलिकॉप्टर मात्र 30 मीटर की ऊंचाई पर था। हादसे में जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ। हेलिकॉप्टर में पॉयलट कर्नल बी.के.सिंह थे और सह पायलट मेजर शितेज थे। सेना की ओर से हादसे के बाद चीता हेलिकॉप्टर के बेंड़े पर उड़ान भरने पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई गई है।

दित्तीय विश्व युद्ध की 70वीं वर्षगांठ पर चीन करेगा प्रचंड शक्ति प्रदर्शन!

कविता जोशी.नई दिल्ली

दुनिया के भू-राजनैतिक परिदृश्य में वर्ष 2015 एक बड़े बदलाव की दस्तक दर्ज कराता हुआ नजर आ रहा है। भारत, दुनिया के समक्ष एक बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है, जिससे पड़ोसी प्रतिद्वंदी चीन समेत बाकी देशों में भी हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में पड़ोसी ड्रैगन आगामी 1 सितंबर को दुनिया के सामने अपनी प्रचंड सैन्य शाक्ति का खुला प्रदर्शन करने वाला है। मौका होगा 1 सितंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की 70 वीं वर्षगांठ का। इसमें चीन पूरे लाव-लशकर के साथ दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का प्रत्यक्ष साक्षात्कार कराएगा। प्रदर्शन में रूस और पाकिस्तान जैसे देशों से कद्दावर मेहमान भी शिरकत करेंगे।

रूस-पाक होंगे विदेशी मेहमान
चीन के इस विशाल सैन्य प्रदर्शन को लेकर रक्षा मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि चीन द्वारा अपनी सैन्य ताकत का इस पैमाने पर प्रदर्शन हर दस साल में किया जाता है। लेकिन उसमें किसी दूसरे देश के प्रमुखों या सैन्य-प्रमुखों को आमंत्रित नहीं किया जाता। लेकिन इस बार अपनी प्राचीन परंपरा को तोड़ते हुए 1 सितंबर के चीनी आयोजन में राष्टÑपति ब्लादीमिर पुतिन और पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल राहिल शरीफ खास मेहमान के तौर पर शिरकत करने वाले हैं।

बदलते भू-राजनीतिक समीकरण
बीते कुछ समय से भारत के अमेरिका से मुखर होते द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर समूचा द.एशिया एक बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ा हो गया है। जहां रूस के साथ भारत के दशकों पुराने मैत्री संबंध शिथिल पड़ रहे हैं। वहीं इसका फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान और चीन घात लगाए बैठे हैं। बीते नवंबर महीने में रूसी रक्षा मंत्री की पाकिस्तान यात्रा और पाक को रूस द्वारा सैन्य साजो-सामान देने पर भी रजामंदी बन गई है। चीन तो पाक का पुराना मददगार रहा ही है। अब इस गुट में रूसी दस्तक से मामला ज्यादा रोचक हो गया है। चीन भी बदले परिवेश में अपना नफा-नुकसान का गणित बिठाने में लगा है। मंदी की चपेट में चल रही अमेरिका समेत यूरोपीय अर्थव्यस्थाएं चीनी माल खरीदने को तैयार नहीं है तो रूस के रूप में उसे एक नए और मजबूत
साझीदार की महक आ रही है।

अमेरिका को मिलकर घेरेंगे रूस-चीन
रूसी राष्ट्रपति का चीन का दौरा अपने आप में इतिहास में यादगार क्षण से कम नहीं होगा। एक ओर रूस की चीन से नजदीकी भारत की आंख में किरकिरी बनेगी तो वहीं इससे चीन द.एशिया में अमेरिका के बढ़ते दखल और बदलते शक्ति संतुलन के बीच अपनी मजबूत पकड़ बने रहने का दंभ भरेगा। दूसरे शब्दों में कहे तो इससे रूस और चीन मिलकर अमेरिका के द.एशिया में तेजी से परवाज भरते हौसलों की उड़ान को धीमा करने में कारगर साबित हो सकते हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध का इतिहास 
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत 1 सितंबर 1939 को हुई और इसका समापन 2 सितंबर 1945 को हुआ। इस तरह यह युद्ध करीब 6 साल 1 दिन चला। इसके प्रभाव में यूरोप, उत्तर-दक्षिणी अमेरिका समेत दक्षिण एशिया भी आया। इसके समापन के बाद दुनिया के मानचित्र पर एक अलग तरह की परिस्थिति उभरी। एक ओर जापान-इटली के साम्राज्यों का अंत हुआ तो दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र का उदभव होने के अलावा दुनिया में शीत युद्ध का आगाज हुआ।

सिंधुरत्न हादसे में 6 अधिकारी दोषी, सीओ से होगी फिर पड़ताल

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बीते वर्ष 26 फरवरी 2014 को मुंबई तट से करीब 50 किलोमीटर दूर नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरत्न में धमाका होने की वजह से आग लगी जिसमें दो लोगों की मौत हुई। नौसेना की ओर से शुक्रवार को इस हादसे के लिए 6 अधिकारियों को दोषी करार दिया गया है और पनडुब्बी के मुखिया कमांडिंग आॅफिसर (सीओ) कंमाडर संदीप सिन्हा से फिर से पड़ताल करने का फैसला लिया गया है। हादसे के कुछ ही घंटों के भीतर तत्कालीन नौसेनाध्यक्ष एडमिरल डी.के.जोशी ने नौसेना में लगातार हो रहे हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिससे नौसेना से लेकर तमाम सरकारी महकमे में हडकंप मच गया था।

यहां नौसेना मुख्यालय में मौजूद नौसेना के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि 6 दोषी अधिकारियों के खिलाफ लेटर आॅफ सीवियर डिसप्लेजर (एलओएसडी) की कार्रवाई की जाएगी। एलओएसडी पर नौसेनाप्रमुख के दस्तखत होने के बाद अगले दो साल तक इन अधिकारियों को किसी तरह की पद्दोन्नति, विदेश में सेवा या पढ़ने की सुविधा के अलावा नौसेना की कोई और सुविधा नहीं दी जाएगी। इसके अलावा हादसे के वक्त पनडुब्बी के मुखिया कमांडर सिंन्हा से कोर्ट फिर से अकेले में पूछताछ करेगा। इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब चार महीने का समय लग सकता है। अगर इस दौरान कोर्ट के सामने कमांडर का दोष सिद्ध हो गया तो उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की जा सकती है।

गौरतलब है कि इस घटना पर गठित बोर्ड आॅफ इंक्वारी (बीओआई) की रिर्पोट में भी सात लोगों को अलग-अलग प्रकार से दोषी करार दिया गया था। हादसे में दो नौसैन्य-कर्मियों की मौत हो गई थी। इस दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी राज्यसभा में बयान दिया था कि नौसेना की मुंबई स्थित पश्चिमी कमांड की ओर से इनके खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

डीपीएसयू को प्रदर्शन सुधार के लिए मिलेगी अधिक स्वायत्ता: पर्रिकर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) और रक्षा उत्पादन नीति में बड़े बदलाव करने की दिशा में एक तेज कदम बढ़ा दिया है। सरकार की ओर से अब रक्षा उत्पादन में लगे डीपीएसयू, ओएफबी को अपना प्रदर्शन ग्राफ सुधारने के लिए ज्यादा स्वायत्ता दी जाएगी। इसकी घोषणा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक में की। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इससे आयुध कारखानों से लेकर सैन्य साजो सामान बनाने वाले डीपीएसयू की तमाम इकाईयों को विस्तार और कार्यक्षमता बेहतर करने के लिए जरूरी बदलाव करने में मदद मिलेगी।

यहां बता दें कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर इन संगठनों के प्रदर्शन को लेकर बीते काफी समय से नाखुश नजर आ रहे थे। मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद भी कुछ मौकों पर उन्होंने कहा था कि इन संगठनों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है और इनमें जरूरी बदलाव की बेहद आवश्यकता है।

समिति की बैठक को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें ताकत का विकेंद्रीकरण करने की आवश्यकता है। क्योंकि इससे डीपीएसयू और ओएफबी को निर्णय लेने में आसानी होगी। इससे सशस्त्र सेनाओं के लिए बनाए जा रहे तमाम उत्पादों के मामले में उनकी क्षमता सुधारने व उसमें बदलाव करने में मदद मिलेगी। जो भी मशीन काम कर रही है वो एक प्रकार का अतिरिक्त उपकरण है। डीपीएसयू को सहायता मिलती रहेगी। लेकिन उन्हें एक वाणिजिक संगठन (कर्मशल आर्गेनाइजेशन) की तरह सोचना होगा। बैठक में 41 आयुध कारखानों और 9 डीपीएसयू के प्रदर्शन पर विस्तार से चर्चा की गई।

बैठक में मलिकार्जुन खड़गे, राजकुमार सिंह, अनिल शिरोल, प्रो.सोगाता राय, पी. नार्गाजुन, कीर्ति वर्धन सिंह, राजीव चंद्रशेखर, वीपी सिंह बदनोर, महेंद्र प्रसाद, वीर सिंह, टीके रंगराजन, भूपेंद्र यादव, एचके दुआ और अंबिका सोनी शामिल थे। मंत्रालय की ओर से रक्षा सचिव आरके माथुर, रक्षा उत्पादन सचिव जी मोहन कुमार, सचिव (ईएसडब्ल्यू) पीडी मीना मौजूद थे।

इस चर्चा में भाग लेते हुए कुछ सांसदों ने पूछा कि क्या सरकार ने रक्षा संबंधी आयात घटाने के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है। कुछ सदस्यों का मानना था कि यह एक प्रकार से डीपीएसयू और ओएफबी की आलोचना करने और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के अभियान की तरह था। उन्हें लगता है कि उपभोक्ता उत्पादों की तुलना में रक्षा संबंधी उत्पादों के डिजाइन और विकास में काफी लंबा समय लगता है और इसके लिए डीपीएसयू-ओएफबी की भूमिका की सराहना की जानी चाहिए। सदस्यों का कहना था कि निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कीमत पर नहीं।

बच्चा गोद लेने प्रक्रिया आॅनलाइन होने से बढे़ आवेदन

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया (अडॉप्शन) को आॅनलाइन कर दिया है। इससे कोर्ट में जाने से पहले इच्छुक दंपत्ति का केस रजिस्टर हो जाएगा और उन्हें न्यायालय संबंधी शुरूआती जटिलताआें से भी निजात मिल रही है। इस प्रक्रिया को आॅनलाइन करने से आवेदनों की संख्यां में इजाफा देखने को मिल रहा है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से यह जरूरी कदम उठाया गया है। मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस प्रक्रिया को आॅनलाइन करने के बाद लोगों से काफी अच्छा रिस्पांस आ रहा है।

बच्चा गोद लेने से पहले आॅनलाइन आवेदन करने पर कोर्ट पहुंचने से पहले ही आपका केस दर्ज हो जाता है और आगे की कार्रवाई सीधे शुरू हो जाती है। मंत्रालय की ई-बुक से मिली जानकारी के मुताबिक बीते वर्ष 26 मई 2014 के बाद अडॉप्शन के लिए आॅनलाइन आवेदन करने वालों का आंकड़ा 1650 पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा केवल 2014 के जून से लेकर अगस्त महीने तक का है। इससे पहले वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 1100 पर था यानि सीधे 550 आवेदन बढ़े। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन ने इस बाबत हरिभूमि से बातचीत में कहा कि अडॉप्शन प्रक्रिया का आॅनलाइन होना एक अच्छी पहल है,जिससे कोर्ट में सीधे दाखिल होने से पहले इच्छुक दंपत्ति का मामला दर्ज हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान कोर्ट दंपत्तियों के आय के स्रोत से लेकर शादीशुदा स्थिति (सिंगल पैरेंट या तलाकशुदा), उनके घर का वातावरण, अपराधी प्रवृति का ना होना जैसे अहम मुद्दों को लेकर पड़ताल की जाती है। इसके अलावा कोर्ट इस दौरान यह भी सुनिश्चित करता है कि बच्चे को गोद लेने वाले में चाहे वो माता हो या पिता की उम्र बच्चे से 21 वर्ष अधिक होनी चाहिए।

तटरक्षकबल के नए डीजी आज संभालेंगे कार्यभार

कविता जोशी.नई दिल्ली

शांतिकाल में समुद्री सीमाओं के जांबाज प्रहरी कहे जाने वाले तटरक्षक-बल के नए महानिदेशक वाइस एडमिरल एचसीएस बिष्ट शनिवार शाम को अपना कार्यभार संभालेंगे। उनका कार्यकाल एक वर्ष का होगा और वो अगले वर्ष 1 फरवरी 2016 तक इस पद पर रहेेंगे। 1 सितंबर 2012 में नौसेना में वाइस एडमिरल रैंक पर पद्दोन्नत होने के बाद वो कंट्रोलर पर्सनल सर्विसेस (सीपीएस) के रूप में काम कर रहे थे। तटरक्षक-बल के वर्तमान डीजी वाइस एडमिरल अनुराग.जी थपलियाल शानिवार शाम 31 जनवरी को सेवानिवृत हो रहे हैं। वाइस एडमिरल बिष्ट नेशनल डिफेंस एकेडमी, खड़गवासला (पुणे) और नेवल एकेडमी, कोच्ची के पूर्व छात्र रहे हैं।

बल से ही जल्द चुने जाएंगे नए डीजी?
1 फरवरी 1977 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एक अंतरिम तटरक्षक संगठन के गठन का निर्णय किया गया। इसके बाद नौसेना से ही यहां किसी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की परंपरा रही है। लेकिन अगले वर्ष 2016 से यह प्राचीन परंपरा बदलने वाली है। 2016 से इस बल का ही कोई अधिकारी इसके मुखिया के तौर पर कमान संभालेगा। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस परंपरा में बदलाव का कारण अब कोस्टगार्ड का बड़ रहा आकार, जिम्मेदारियों और वक्त के साथ इसमें आई परिपकवता है। शुरूआत में इसकी स्थापना नौसेना के ही एक सहायक बल के तौर पर की गई थी। इसके हिसाब से वाइस एडमिरल बिष्ट नौसेना से तटरक्षक-बल में प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अंतिम अधिकारी होंगे।

बल का गठन व इतिहास
भारत में तटरक्षक का आर्विभाव समुद्र में भारत के राष्टÑीय क्षेत्राधिकार के भीतर राष्टÑीय विधियों को लागू करने तथा जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई सेवा के तौर पर 1 फरवरी 1977 को हुआ था। इस वक्त यह आवश्यकता महसूस की गई कि नौसेना को उसके युद्धकालीन कार्यों के लिए अलग रखा जाना चाहिए तथा विधि प्रवर्तन संबधी कार्यों के लिए एक अलग सेवा का गठन किया जाए जो कि पूर्णरूप से सुसज्जित तथा विकसित राष्ट्र जैसे अमेरिका जैसे राष्‍ट्रों के तटरक्षकों की तर्ज पर बनाई गई हो। 18 अगस्त 1978 को संघ के एक स्वतंत्र बल के रूप में संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम 1978 के तहत बल का औपचारिक तौर पर उद्घघाटन किया गया। बल का आदर्श वाक्य ‘वयम् रक्षाम:’ याने हम रक्षा करते हैं।

मुख्यालय समेत पांच क्षेत्रीय केंद्र
बल का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसे पांच क्षेत्रों में बांटा गया है। पश्चिमी क्षेत्र-मुख्यालय-मुंबई, पूर्वी क्षेत्र-मुख्यालय-चेन्नई, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र-मुख्यालय-कोलकात्ता, अंडमान व निकोबार क्षेत्र-मुख्यालय-पोर्ट-ब्लेयर, उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र-मुख्यालय- गांधीनगर (गुजरात) शामिल है।

सेवाएं-कर्तव्य
समुद्री क्षेत्रों में कृत्रिम द्वीपों समेत अन्य संरचनाआें की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना, मछुवारों की सुरक्षा करना तथा समुद्र में संकट के समय उनकी सहायता करना, समुद्री प्रदूषण के निवारण और नियंत्रक सहित समुद्री पर्यावरण का संरक्षण करना, तस्करी रोधी अभियानों में सीमा शुल्क विभाग तथा अन्य प्राधिकारियों की सहायता करना, समुद्र में जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना शामिल है।

देसी धुनों से सराबोर रहा ‘बीटिंग द रिट्रीट’ का नजारा

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

वीर भारत, छन्ना बिलौरी, जय जनम भूमि और अतुल्य भारत ये वो देसी स्वरलहरियां यानि धुनें हैं, जिनसे गुरुवार को हुए ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह के दौरान रायसीना हिल्स से लेकर विजय चौक के आसपास का इलाका गूंजायमान हो उठा। दूसरे शब्दों में कहे तो इस बार समारोह का पूरा फ्लेवर भारतीय धुनों से सराबोर नजर आया। इन देसी धुनों को पहली बार समारोह में शामिल किया गया है। कार्यक्रम में बजाई गई कुल 23 प्रस्तुतियों में से 20 देसी तड़का लिए हुए थीं।

15 बैंड्स-18 पाइप्स-ड्रम्स
रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 29 जनवरी को हुए बीटिंग द रिट्रीट समारोह के साथ बीते चार दिनों (26 जनवरी से लेकर 29 तक) से चल रहे गणतंत्र दिवस परेड समारोह के रंगारंग कार्यक्रमों का समापन हो गया। इस वर्ष रिट्रीट में 15 मिलिट्री बैंड्स, 18 पाइप्स-ड्रम्स बैंड्स, रेजीमेंटल सेंटरों, बटालियनों ने समारोह में भाग लिया। इसके अलावा भारतीय वायुसेना, नौसेना के बैंडों ने समारोह में अलग से अपनी खास प्रस्तुति भी दी।

धुनों से गुंजायमान रहा आसमां
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निवास रायसीना हिल्स से लेकर उसकी तलहटी में स्थित विजय चौक के आस-पास का नजारा कार्यक्रम के दौरान देशी धुनों की स्वरलहरियों से गुंजायमान रहा। समारोह में बजाई गई अन्य धुनों में देशों का सरताज भारत, केटीज वेडिंग, पाइपर ओ ड्रमंड, गोरखा ब्रिगेड, ओसियन स्पेलेंडर, ब्लू फील्ड, बैटल आॅफ द स्काई, आनंदलोक, डेशिंग देस, μलाइंग स्टार, ग्लोरियस इंडिया, भूपाल, इंडियन सोल्जर्स, हाथरोई, सलाम टू द सोल्जर्स, गिरि राज, ड्रमर्स कॉल, एबाइडेड विद मी और सारे जहां जैसे धुनों को बजाया गया।

मेजर गिरिश ने की अगुवाई
रिट्रीट समारोह की अगुवाई प्रिसिंपल कडक्टर मेजर गिरिश कुमार यू ने की। मिलिट्री बैंड की अगुवाई (कंडक्टर) सूबेदार सुरेश कुमार और नौसेना और वायुसेना के बैंड्स कमांडर मास्टर चीफ पेट्टी आॅफिसर (म्यूजिशियन-1) रमेश चंद थे। बगलर्स ने सूबेदार प्रभाकरन और पाइप्स-ड्रम्स ने सूबेदार मित्रदेव की अगुवाई में अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया।

सुर्यास्त के साथ युद्ध खात्मे का जयघोष
रिट्रीट समारोह की जब 1950 में शुरूआत हुई तो उस वक्त भारतीय सेना में मेजर रॉबर्ट ने इस तरह से बैंड्स का प्रदर्शन करने का अनोखा विचार सामने रखा। दूसरे शब्दों में इसे सदियों पुरानी सैन्य परंपराआें के साथ भी जोड़कर देखा जाता है, जिसमें युद्ध के समापन के बाद जब सेनाएं अपनी बैरकों में वापस लौटती हैं तक ठीक सुर्यास्त के वक्त ध्वज उतारकर युद्ध के समापन की आधिकारिक घोषणा होती हैं और साथ ही रिट्रीट की धुनें बजाकर सेना के लाव-लशकर की युद्धकाल की थकान को दूर करने की कोशिश की जाती है।

देश के युवा मांग रहे भावनात्मक सहयोग और सलाह!

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश में युवाआें की 60 फीसदी आबादी रहती है, जिसमें रोजाना बच्चों को लेकर कई तरह के मामले देखने-सुनने को मिलते हैं। इस बाबत हरिभूमि द्वारा की गई पड़ताल में एक बेहद रोचक तथ्य सामने आया है। वो है देश के युवाओं द्वारा सरकार से लगातार भावनात्मक सहयोग और सलाह मांगी जा रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भी इसकी पुष्टि करता है। मंत्रालय द्वारा हाल ही में पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वेबसाइट पर अपलोड की गई अपनी ई-बुक में इस रोचक तथ्य की विस्तार से जानकारी दी है।

ई-बुक का डेटा
ई-बुक मंत्रालय में 26 मई के बाद गठित नई सरकार के बाद उठाए गए नए कदमों, प्रयासों, बदलावों और महिलाओं-बच्चों के लिए शुरू की गई तमाम योजनाआें की विस्तार से जानकारी देती है। इसमें दिए गए आंकड़ों के हिसाब से मंत्रालय द्वारा शुरू की गई चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर पीड़ित बच्चों की ओर से अच्छा खासा रिस्पांस देखने को मिल रहा है। अभी तक यह सुविधा देश में 243 जगहों पर मौजूद थी। जिसे वर्ष 2013-14 तक बढ़ाकर 343 जगहों तक कर दिया गया है। इस हेल्पलाइन के जरिए सबसे ज्यादा कॉल्स मुसीबत में फंसे बच्चों की ओर से भावनात्मक सहयोग और सलाह मांगने के की गई।

मंत्रालय की पड़ताल
मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस हेल्पलाइन के जरिए हम मेडिकल, इमोशनल सर्पोट और गाइडेंस, शेलटर, प्रोटेक्शन फ्रॉम अब्यूज, मीसिंग, चाइल्ड कॉफिल्ट विद लॉ, स्पॉंसरशिप जैसे मुद्दों को लेकर आंकड़ें एकत्रित कर कार्रवाई करते हैं। इसमें इमोशनल सर्पोट और गाइडेंस को लेकर सबसे ज्यादा बच्चों की ओर से सलाह मांगी जा रही है। इसका आंकड़ा बाकी श्रेणियों की तुलना में सबसे ज्यादा 33.6 प्रतिशत रहा। अन्यों में मेडिकल 12.6, शेलटर 14.7, प्रोटेक्शन फ्रॉम अब्यूज 8.4, मीसिंग 10.03, चाइल्ड कॉफिल्ट विद लॉ 0.03, स्पॉंसरशिप 5.96 फीसदी पर रहा है।

हेल्पलाइन केंद्र का विस्तार
अभी बच्चों की समस्याआें को सुनने, एकत्रित करने और उनपर कार्रवाई करने के लिए मात्र एक केंद्रीयकृत केंद्र बम्बई में है। लेकिन अब मंत्रालय की योजना तीन और केंद्रों को खोलने की है, जिसमें एक गुडगांव दूसरा कोलकात्ता और तीसरा चेन्नई में खोला जाएगा। गौरतलब है कि सरकार के कुल 66 मंत्रालयों में से अब तक पीआईबी की वेबसाइट पर 30 मंत्रालयों ने अपनी ई-बुक अपलोड कर दी है। एचआरडी और रक्षा मंत्रालय भी जल्द ही अपनी ई-बुक अपलोड करने की तैयारी में हैं।

एचआरडी मंत्रालय की हरियाली चट गए बंदरू


टिट बिट;28 जनवरी

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के यहां शास्त्री भवन स्थित कार्यालय की हरियाली लगता है भवन के चारों ओर सपरिवार मंडराने वाले बंदरों को कुछ रास नहीं आई और उन्होंने उसे मात्र दो दिनों में उजाड़ डाला। जी हां मंत्री जी ने अपने आफिस के बाहर कॉरिडोर में दोनों ओर बड़ी तादाद में कुछ दिन पहले हरियाली से सराबोर माहौल बनाए रखने के लिए गमले लगाए जिससे प्रकृति और उसके साक्षात दर्शन किए जा सके। बीच में दो दिन रविवार 25 जनवरी और उसके अगले दिन सोमवार 26 जनवरी को अवकाश पड़ गया। मानो यह दो दिन बंदरों की फौज के लिए किसी बेशकीमती मौके से कम ना रहे हो। वो कॉरिडोर में दाखिल हो गए और एक -एक पेड़ की मानो हजामत कर डाली। किसी को जड़ समेत निकाला तो किसी का टूक ही
तोड़ डाला। जहां मौका मिला वहां बस टूट पड़े। मंगलवार 27 जनवरी को कार्यालय की सफाई करने वाले कर्मचारियों ने जब यह नजारा देखा तो उनके होश उड़ गए। कुछ का कहना था कि पूरा एक डिब्बा भरकर कूड़ा साफ-सफाई के दौरान निकला है। बंदरों की तो तौबा सब चट कर गए। भवन के कॉरिडोर में बंदरों को भगाने के लिए लंगूर भी नहीं बिठाया जा सकता क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो बगल में तैनात महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी जानवरों के अधिकारों के खिलाफ मोर्चा खोल लेंगी।

युद्ध खत्म होने के बाद सेनाएं बैरकों में लौटने को तैयार!

कविता जोशी.नई दिल्ली

26 जनवरी जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में जानते और मनाते हैं। लेकिन गणतंत्र दिवस के रंगारंग आयोजनों का समापन जिसे हम ‘बीटिंग द रिट्रीट’ के रूप में जानते हैं अपने साथ एक दूसरा और खास अर्थ जोड़े हुए है जिसे हममे से कुछ लोग शायद नहीं जानते होंगे। युद्धकाल की प्राचीन परंपराओं में जब लड़ाई खत्म हो जाती थी और सेनाएं अपनी बैरकों में वापस लौटने लगती थीं तो युद्ध के डरावने मंजर को भूलने और थकान उतारने के लिए इसी तरह का रंगारंग आयोजन किया जाता था। आधुनिक युग में इसे ‘बीटिंग द रिट्रीट’ की संज्ञा दे दी गई है।

क्या है बीटिंग द रिट्रीट?
बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक है। हर साल इसे 29 जनवरी को मनाया जाता है, जिसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। समारोह का स्थल रायसीना हिल्स और उसकी तलहटी में स्थित चौकोर स्थल विजय चौक होता है जो कि राजपथ के अंत में राष्ट्रपति भवन के उत्तर और दक्षिण ब्लॉक द्वारा घिरा हुआ है। बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। इस दौरान सभी महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 से लेकर 29 जनवरी तक सुंदर रोशनी से सजाया जाता है।

ऐसे होता है समारोह का आगाज
समारोह की शुरूआत तीनों सेनाएं एकसाथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से करती हैं, जिसमें लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाई जाती हैं। ड्रमर भी एकल प्रदर्शन करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी धुन भी बजाई जाती है। यह धुन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक मानी जाती है। कार्यक्रम में ट्यूबलर घंटियों द्वारा चाइम्स भी बजाई जाती है, जो काफी दूरी पर रखी होती है। इससे एक मनमोहक दृश्य बनता है। इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है।

बैंड मार्च वापस जाते हुए लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्छा बजाते हैं। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्‍ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता है। इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति अपनी 6 अश्वों वाली शाही बग्गी में सवार होकर पहुंचते हैं। दो बार रद्द हुआ समारोह वर्ष 1950 में भारत का गणतंत्र बनने के बाद दो बार बीटिंग द रिट्रीट समारोह को अब तक रद्द करना पड़ा है। पहली बार 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा और दूसरी बार 27 जनवरी 2009 को वेंकटरमन की लंबी बीमारी के बाद आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो जाने के कारण बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। वेंकटरमन देश के आठवें (वर्ष 1987 से 1992 तक) राष्ट्रपति थे।

‘मोदी मैजिक’ के सामने फीका पड़ गया ‘ओबामा का जादू’

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

26 जनवरी को राजपथ पर दो घंटे (10 से 12 बजे तक) चले भारत की सैन्य-सामरिक ताकत के भव्य प्रदर्शन के दौरान मुख्य अतिथि बराक ओबामा की जगह लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर गजब का के्रज देखने को मिला। पीएम के आगमन से लेकर उनकी वापसी तक दर्शक दीर्घा में बैठे लोग मोदी-मोदी के नारे लगाते हुए नजर आए। नारों की आवाज इतनी तेज थी कि प्रधानमंत्री को भी बार-बार रूक-कर जनता का हाथ हिलाकर अभिवादन करना पड़ा। आवाजें इतनी तेज थीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति भी खुद को मोदी मैजिक का साक्षात करने से रोक नहीं पाए। इन आवाजों के बीच ओबामा डॉयस की ओर बढ़ते हुए बीच-बीच में पीएम और उनकी जबरदस्त फैन फॉलविंग को निहारते हुए भी देखे गए। यह सब देखकर यह कहना कि मोदी मैजिक के सामने फीका पड़ गया ओबामा का जादू अतिश्योक्ति नहीं होगा।

सिर चढ़कर बोला मोदी मैजिक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार सुबह जैसे ही करीब पौने दस बजे जब अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रंद्धाजलि देने के बाद राजपथ की ओर बढे तो लोगों का उत्साह और आपसी फुस-फुसाहट अचानक तेज हो गई। सब कहने लगे कि पीएम का काफिला आ रहा है। जैसे ही मोदी अपनी गाड़ी से राजपथ पर बने डॉयस के सामने उतरे तो सबसे पहले अपने चिर-परिचित अंदाज में आस-पास मौजूद विशाल जनसमूह का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। मानो पीएम को भी पहले से ही लोगों की उत्सुक्ता का अंदाजा लग गया था। भीड़ ने भी जोर-जोर से मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए जिससे पीएम ने डॉयस की ओर बढ़ते हुए बीच-बीच में लोगों को दोबारा अभिवादन किया।

कुछ ऐसा ही नजारा जब परेड का कार्यक्रम खत्म हुआ तो उसके बाद भी देखने को मिला। कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जैसे ही अपने लाव-लशकर के साथ राष्ट्रपति भवन की ओर रवाना हुए तो उसके बाद विशेष अतिथि अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा वापसी के लिए डॉयस ने नीचे उतर आए। जैसे ही मुख्य अतिथि वापस लौटे और पीएम भी रवानगी के लिए तैयार हुए तो भीड़ ने फिर जोर-जोर से मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए। पीएम अपनी गाड़ी में बैठने से पहले तक लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन करते रहे और जैसे ही गाड़ी में बैठने के लिए आगे बढ़े तो फिर राजपथ का आसमान मोदी-मोदी के नारों से गूंजने लगा। पीएम ने फिर जिज्ञासु भीड़ का हाथ हिलाकर अभिवादन किया जिसे लोगों ने भी काफी गर्मजोशी से स्वीकार करते हुए उन्हीं के अंदाज में हाथ हिलाकर स्वीकार किया।

ओबामा की बीस्ट बनी आकर्षण का केंद्र
अमेरिकी राष्टÑपति से ज्यादा लोग उनकी आलीशान बुलेटप्रूफ गाड़ी बीस्ट का इंतजार करते हुए देखे गए। जैसे ही राष्टÑपति के अपने काफिले के साथ राजपथ पहुंचने की सूचना मिली तो लोगों का उत्साह भी बढ़ गया और जब गाड़ी डॉयस के करीब पहुंची तो लोग कहने लगे लो आ गई बीस्ट-बीस्ट मतलब आ गए ओबामा। 

दो साल का बीएड-एमएड करके बनेंगे अच्छे शिक्षक

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश में अच्छे शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से टीचर एजूकेशन पाठ्यक्रम में कई बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं। इस बदलाव के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया एचआरडी मंत्रालय के दौरे में दिए गए अच्छे शिक्षक बनाने की सोच एक बड़ा आधार है। पीएम ने बीते वर्ष 25 दिसंबर को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पं मदन मोहन मालवीय राष्टÑीय टीचर एजूकेशन कार्यक्रम की शुरूआत भी की है, जिसके तहत बीते 6 महीने से मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा है।

दो साल का होगा बीएड-एमएड कार्यक्रम
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में सचिव वृंदा स्वरूप ने कहा कि हमने योजना बनाई है कि अब बीएड और एमएड का कोर्स दो साल का होगा। क्योंकि एक साल के दौरान बच्चे को अच्छा टीचर बनने के लिए पाठ्यक्रम में जो जरूरी चीजें सीखने की आवश्यक्ता होती है, उन्हें वो नहीं सीख पा रहा है। इसलिए हमने इस अहम कोर्स को दो साल का करने का फैसला किया है। इसके अलावा अब एमएड का कोर्स ओपन मोड यानि कॉरसपॉंडेंस से नहीं होगा बल्कि यह अनिवार्य रूप से रेगुलर ही करना होगा। आंकड़ों के हिसाब से देश में हर साल करीब 13 लाख शिक्षक अलग-अलग संस्थानों से निकलते हैं। हमारी योजना दो साल में इसे करीब 25 लाख करने की है।

टीचर एजूकेशन के 12 कार्यक्रमों में बदलाव
टीचर एजूकेशन के क्षेत्र में अभी तक कुल 13 पाठ्यक्रम चल रहे थे। इसमें हमने 12 में बदलाव किया और 3 नए कोर्सेज शुरू किए हैं। इसका उद्देश्श्य अच्छे शिक्षक तैयार करना, इस पेशे के प्रति बच्चों में ज्यादा से ज्यादा आकर्षण पैदा करना है। नए कोर्सेज में 12 वीं के बाद बच्चा 4 साल का इंटीग्रेटेड टीचर एजूकेशन कार्यक्रम का कोर्स कर सकता है, जिसमें बीए-बीएसी के साथ दो साल बीएड किया जा सकता है। दूसरे कोर्स में हम ऐसे अच्छे शिक्षकों को प्रमोट कर रहे हैं जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। लेकिन वो बीएड नहीं हैं। वे टीचर स्कूलों में अवकाश के दौरान पार्ट टाइम बीएड का कोर्स कर सकते हैं। कई बार मास्टर्स करने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती। उनके लिए हमनें बीएड+एमएड का तीन साल का इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू किया है। जिसे करने के बाद कोई भी अच्छा शिक्षक या टीचर एजूकेटर बन सकता है।

जस्टिस वर्मा समिति के सुझाव
वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट की टीचर एजूकेशन के मुद्दों को देख रही जस्टिस वर्मा समिति ने भी इस बाबत कई अहम सुझाव दिए जिन पर हमनें राज्यों से भी बात की है। समिति के सुझावों को हम बदलाव के एजेंडे में शामिल करने जा रहे हैं। इन बदलावों से हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को टीचर एजूकेशन के प्रोफेशन की ओर आकर्षित कर अच्छे शिक्षक बनाने की है।