रविवार, 18 जनवरी 2015

सेना ने किए जवानों को फ्रास्ट बाइट से बचाने के उपाय!

कविता जोशी.नई दिल्ली

सेना के जवान जम्मू-कश्मीर से लेकर ऊंचे ठंडे पहाड़ी इलाकों में आतंकवादियों से मुकाबला करते वक्त लगातार फ्रॉस्ट बाइट (अत्यधिक ठंड में शरीर का सुन हो जाना) का शिकार हो रहे हैं। लेकिन अब सेना ने इस मुद्दे को प्रमुखता से लेते अपने जवानों की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सहित कई अन्य इलाकों का चयन किया है जहां इससे बचने के लिए जरूरी सुरक्षात्मक साजो-सामान उन्हें जल्द ही दे दिया जाएगा।

सेनाप्रमुख ने लगाई मुहर
यहां मंगलवार को राजधानी के मानेकशॉ केंद्र में सेनादिवस से पूर्व में आयोजित वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने हरिभूमि द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि जवानों में फ्रास्ट बाइट की समस्या लंबे समय तक ठंड में मौजूदगी के कारण देखने को मिल रही हैं। हमने जम्मू-कश्मीर में कुछ खास इलाकों का चयन किया है, जहां जवानों को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे संबंधित प्रस्ताव को लेकर हमने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से भी चर्चा कर ली है। हम जल्द ही जवानों को जरूरी रक्षात्मक सामग्री मुहैया कराएंगे। इसके अलावा हमने कई और जगहों को भी चुना है जहां जवानों को इस तरह की समस्या से निजात पाने के लिए रक्षात्मक चीजें दी जाएंगी।

उरी की घटना के पीछे तथ्य
सेनाप्रमुख ने उरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यहां आतंकी घुसपैठ का मुकाबला करते वक्त जवान इस समस्या का शिकार हुए थे। वो उनके काफी देर तक ठंड के प्रभाव में रहने की वजह से हुआ था। जहां यह घटना हुई उसे बोधबंगस के नाम से जाना जाता है। यह इलाका सेना की सामान्य तैनाती स्थलों से काफी दूरी पर स्थित है। मैंने भी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में करीब 5 बार तैनाती का अनुभव लिया है। मैं यहां वर्ष 1976 से 78 के दौरान तैनात रहा हूं।

मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर आपको बताता हूं कि जब जवान काफी देर तक ठंड में रहते हैं तो यह दिक्कत होती है। जवानों द्वारा बूट आरआई (खास किस्म का जूता) का इस्तमेला किया जाता है। यह बूट करीब 4 घंटे में इतना गर्म हो जाता है कि पैर में पसीना आने लगता है और आपको जुराब बदलने की जरूरत पड़ती है। बाकी मदद पहुंचाने में लग रहा था समय जब यह आॅपरेशन चल रहा था तब बाकी फौज को वहां तक मदद पहुंचाने में करीब 3 घंटे का समय लग रहा था। आॅपरेशन स्थल और मदद के बीच काफी दूरी थी। लेकिन बावजूद जवानों ने घुसपैठ की कोशिश कर रहे सभी 6 आतंकियों को मार गिराया और यह आॅपरेशन सफल रहा।

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