सोमवार, 5 जनवरी 2015

बाढ़ से लेकर मतदान तक असली हीरो बनकर उभरी सेना

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश की सामरिक और सीमाई सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील देश की पश्चिमी सीमा पर पड़ने वाला जम्मू-कश्मीर सेना के लिए हमेशा से चुनौती पेश करता रहा है। यहां सेना की करीब ढाई लाख फौज चौबीसों घंटे राज्य की सुरक्षा करने में जुटी हुई है। इन सबसे इतर जब हम तेजी से बीते रहे साल 2014 का आकलन करें तो राज्य के सुरक्षा हालात नियंत्रण में बने हुए नजर आए। दुश्मन हर बार की तरह चुनौती पेश करता रहा लेकिन सेना ने जी जान से उसका सामना किया और हर बार की तरह दुश्मन को मुंह की खानी पड़ी।

बाढ़ में असली हीरो बने जवान
यहां थलसेना के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि गुजरते साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में सिंतबर महीने में आई बाढ़ सेना के सामने बड़ी चुनौती लेकर आई। इसमें सूबे के आम बाशिदों से लेकर सेना को भी नुकसान पुहंचा। लेकिन अपने नुकसान की परवाह किए बगैर सेना ने आॅपरेशन राहत के जरिए दिन-रात जम्मू-कश्मीर के लोगों को मदद पहुंचाई। इससे शायद इतिहास में पहली बार सूबे के कई इलाकों में लोगों ने खुलकर सेना के जवानों के राहत कार्यों की प्रशंसा की। इससे बौखलाए अलगाववादियों ने कई जगहों पर सेना के राहत कार्यों में बाधा डालने का प्रयास किया जो कि असफल रहा।

विस चुनाव में दिया ठोस सुरक्षा घेरा
बाढ़ के बाद गुजरते साल में सेना के सामने जम्मू-कश्मीर के विस चुनाव दूसरी बड़ी चुनौती बनकर उभरे जिसमें सेना ने चुनाव के पांचों चरणों में सूबे को चाक-चौबंद सुरक्षा घेरा प्रदान किया। आतंकवादियों से लेकर अलगाववादियों ने मतदान के दौरान राज्य में अशांति फैलाने की पूरी कोशिश की लेकिन सेना ने अपने मजबूत इरादों के दम पर न सिर्फ  उनके हौसले पस्त किए बल्कि आतंक की किसी बड़ी वारदात को कामयाब होन से भी रोका। सेना के इस मजबूत सुरक्षा घेरे की वजह से जम्मू-कश्मीर में पहली बार विस चुनाव के दौरान मतदाताआें ने खुलकर वोट डाले जिसकी वजह से वोटिंग प्रतिशत 71 फीसदी के आंकड़ें को पार कर गया।

चीनी घुसपैठ को किया नियंत्रित
नए साल से चंद रोज के फासले पर हमारे पड़ोसी चीन ने पश्चिमी से लेकर पूर्वी सीमा तक घुसपैठ कर भारतीय इलाकों में घुसने की पूरी कोशिश की लेकिन सेना ने उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया और हर प्रयास पर चीनी सैनिकों को उनके इलाके में वापस खदेड़ दिया। घुसपैठ से इतर बीते वर्ष भारतीय सेना ने चीन और अमेरिकी सेनाआें के साथ संयुक्त युद्धाभ्‍यास भी किया।

बड़ी खरीददारी का रास्ता हुआ साफ 
सेना के लिए खरीददारी के लिहाज से भी गुजरता हुआ साल महत्वपूर्ण साबित हुआ। रक्षा खरीद परिषद की बैठक में सेना की तोपों से जुड़ी मांग के वर्षों पुराने प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय ने स्वीकृति दी। इसके बाद अब सेना के लिए 155 एमएम 52 केलिबर की 814 तोपों की खरीददारी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके अलावा स्पाइक एटीजीएम मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी मिल गई है। 

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