सोमवार, 5 जनवरी 2015

अरूणाचल में चीन के विरोध की परवाह किए बगैर बनेंगी सड़कें

कविता जोशी.नई दिल्ली

पूर्वोत्तर में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब भारत द्वारा किए जाने वाले 22 सामरिक सड़कों के निर्माण को लेकर चीन के किसी विरोध की कोई परवाह नहीं की जाएगी बल्कि तेजी के साथ इन सड़कों के निर्माण के लक्ष्य को पूरा किया जाएगा। यह जानकारी यहां राजधानी में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा संवाददाताआें से हुई मुलाकात में हरिभूमि द्वारा इस बाबत पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि अरूणाचल-प्रदेश में सड़कें बनाना हमारी जरूरत ही नहीं बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है। काई भी हमारे मामलों में दखल नहीं दे सकता। इसपर हमारा दृष्टिकोण बिलकुल साफ है। 2 हजार किमी. लंबी सड़कों का जाल हम भारत की सीमा के अंदर बिछाने जा रहे हैं। इस निर्माण कार्य को हम पांच साल के अंदर पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने भारत द्वारा जापान को सड़क निर्माण की जिम्मेदारी देने के तथ्य के बारे में कोई जानकारी होने से इंकार किया।   

क्या है चीन की आपत्ति?  
चीन अरूणाचल-प्रदेश को अपना इलाका बताता है। वो तर्क देता है कि यह इलाका तिब्बत स्वायत्तशासी प्रदेश (टीएआर) का हिस्सा है। इसलिए यह उसका हिस्सा है। दोनों देशों के बीच पश्चिमी से लेकर पूर्वोत्तर तक अंतरराष्‍ट्रीय सीमा का स्पष्ट निर्धारण नहीं है। ऐसे में चीन इस इलाके को विवादित इलाका बताकर वहां भारत द्वारा किए जाने वाले किसी भी निर्माण कार्य का विरोध करता है।

रक्षा मंत्रालय को बीआरओ की कमान
रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की सीमाआें पर सड़क बनाने का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का है। बीआरओ इस समय दो मंत्रालयों के तहत काम कर रहा है। उसकी प्रशासनिक जिम्मेदारी सड़क-परिवहन मंत्रालय के पास है और रक्षा मंत्रालय इसका संचालन करता है। ऐसे में एक विभाग के दो मास्टर होने से कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है, धन की कमी जैसी समस्याएं भी आड़े आती हैं। लेकिन अब बीआरओ की पूरी कमान रक्षा मंत्रालय के तहत आ गई है। इस बाबत हाल में मैंने सड़क-परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बात की है। अगले बजट में बीआरओ के लिए बजट रक्षा मंत्रालय के तहत आवंटित किया जाएगा।

निजी क्षेत्र बनेगा भागीदार
अभी सड़कें बनाने में काफी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर हम उसी का इस्तेमाल करेंगे तो इन सड़कों का निर्माण करने में 15 साल लग जाएंगे। हम सड़कों का निर्माण 5 साल के अंदर करना चाहते हैं इसलिए हम आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। इसके अलावा सड़क निर्माण में हमने निजी क्षेत्र को भी शामिल करने का फैसला किया है।

रोहतांग टनल बनेगी मिसाल
अभी रोहतांग दर्रे पर सुरंग के जरिए सड़क बनाने का काम किया जा रहा है। हम अरूणाचल में भी ऐसी ही सुरंगों और बोरिंग पद्वति द्वारा सड़कें बनाने का काम करेंगे। साथ ही हमने पहले चरण में करीब 3 हजार किमी. लंबी सड़कों के निर्माण कार्य को राष्ट्रीय राजमार्ग को दे दिया है और अब हम सामरिक सड़कों के निर्माण कार्य में तेजी से आगे बढ़ेंगे।

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