रविवार, 18 जनवरी 2015

युद्ध स्मारक के प्रस्ताव को पीएम की मंजूरी, बनेगा इंडिया-गेट के पास

कविता जोशी .नई दिल्ली
देश में लंबे समय से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय बनाने के प्रस्ताव को लेकर रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई को सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही इससे जुड़े प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है, जिसकी पुष्टि यहां मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में पत्रकारों से सीधे मुखातिब हुए सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने की। इस प्रस्ताव के लिए शुरूआती फंड जारी हो चुके है और अब केवल स्मारक और संग्रहालय के डिजाइन पर काम चल रहा है। एक बार डिजाइन का काम पूरा हो जाए तो इनके निर्माण कार्य की शुरूआत हो जाएगी।

प्रस्ताव को पीएम की मंजूरी
15 जनवरी को मनाए जाने वाले सेनादिवस से पूर्व में आयोजित इस वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने हरिभूमि द्वारा इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि आजाद भारत की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले जवानों की याद में बनाए जाने वाले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी स्वीकृति दे दी है। यहां बता कि 26 मई को नई सरकार के गठन के बाद रक्षा मंत्री बने अरुण जेटलीने जब पहली बार अमर जवान ज्योति पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भी कहा था कि हम इस प्रस्ताव को हकीकत में तब्दील करने को तैयार हैं। भाजपा ने इस मुद्दे का जिक्र लोकसभा चुनावों के दौरान जारी किए गए अपने चुनावी घोषणापत्र में भी किया था। अब सत्ता में आने के बाद इस कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

इंडिया गेट से बेहतर कोई जगह नहीं
सेनाप्रमुख ने कहा कि युद्ध स्मारक और संग्रहालय को बनाने के लिए इंडिया के आसपास के अलावा और कोई बेहतर जगह हो ही नहीं सकती। क्योंकि यह राजधानी ही नहीं देश के केंद्र में स्थित है। मैं बताना चाहता हूं कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को इंडिया के नजदीक बनी छतरी के ईदगिर्द बनाया जाएगा और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय को प्रिंसेस पार्क के नजदीक बनाया जाना है। रक्षा मंत्रालय ने इस कार्य के लिए सेना को नोडल एजेंसी बनाया है।

यह अपनी तरह का पहला स्मारक होगा
अभी इंडिया गेट पर प्रथम और दूसरे विश्वयुद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम तो अंकित हैं। लेकिन वर्ष 1947 के बाद आजाद भारत के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। इसे ध्यान में रखकर ही इसके निर्माण की मांग लंबे समय से उठ रही है। 60 वर्षों से उठ रही है मांग राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाए जाने की मांग बीते करीब 60 वर्षों से उठ रही है, जिसमें यह लगातार कहा जा रहा है कि देश के जांबाज शहीदों की निशानी के तौर पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। लेकिन वर्ष 2001 में बनी संसदीय समिति की सिफारिश के बाद रक्षा मंत्रालय ने इसके निर्माण के प्रस्ताव का
प्रस्ताव आगे बढ़ाया है।

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