गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

ऐसे तो नहीं जगेगा महिलाओं में सुरक्षा का भरोसा.....

कविता जोशी.नई दिल्ली

रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए रेल बजट-2015 में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जिस निर्भया फंड के संसाधनों के इस्तेमाल से लेकर महिला यात्री डिब्बों में कैमरे लगाने की जो घोषणाएं की गई हैं उसे लेकर महिलाएं उत्साहित नहीं हैं बल्कि उनके मन में असुरक्षा का भाव जस का तस बना हुआ है। महिलाओं का कहना है कि रेल मंत्री द्वारा की गई दो घोषणाएं महिलाआें की सुरक्षा के लिए काफी नहीं हैं। इसके अलावा भी बहुत कुछ जरूरी कदम हैं जो उठाए जाने बाकी हैं।

रेल बजट में महिलाआें के लिए की गई घोषणाआें पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि रेल बजट में महिलाआें की सुरक्षा के लिए जिन तमाम चीजों की आज के दौर में आवश्यकता थी उसे रेल मंत्री ने नहीं छुआ। यह तो केवल छोटी से पहल ही कही जा सकती है, जिससे महिलाओं को सरकार की तरफ से ठोस सुरक्षा मिलने का कोई भरोसा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जिस निर्भया फंड के संसाधनों के इस्तेमाल से लेकर रेलगाड़ियों के महिला डिब्बों में महिलाआें की सुरक्षा के लिए कैमरे लगाने की बात कही है। दोनों ही बेहद मामूली और बुनियादी चीजें हैं जो महिलाओं के लिए की गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने निर्भया फंड के संसाधनों के इस्तेमाल पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि यह फंड खासतौर पर बलात्कार और ऐसिड अटैक की शिकार हुई महिलाओं की मदद के लिए शुरू किया गया है। इसका इस्तेमाल इसी रूप में ही किया जाना चाहिए। अगर पिछली सरकार में इस फंड का प्रयोग नहीं किया जा सका तो मौजूदा सरकार को यह अधिकार नहीं है कि इस फंड का दूसरी दिशा में प्रयोग करें। यहां बता दें कि रेल मंत्री ने अपने बजट भाषण में निर्भया फंड की धनराशि यानि संसाधनों को महिला यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाने की बात कही है। कमलेश जैन का कहना है कि महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के अलावा सरकार को अलग से प्रावधान करने चाहिए।

उनका कहना है कि रेलगाड़ियों में महिला डिब्बों में सिर्फ कैमरे लगाने से महिलाआें के खिलाफ होने वाले अपराध रूकने वाले नहीं हैं। कैमरों के अलावा प्रत्येक महिला डिब्बे में सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किए जाने चाहिए। इससे तमाम कारणों से रोजाना यात्रा करने वाली महिलाओं को आसानी होगी। बिना गार्ड के केवल कैमरे लगाने से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नकेल नहीं कसी जा सकेगी। कैमरे केवल किसी अपराध का रिकॉर्ड या सबूत मात्र ही बन सकते हैं, अपराध को रोकने में मददगार नहीं हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें