शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

डीपीएसयू को प्रदर्शन सुधार के लिए मिलेगी अधिक स्वायत्ता: पर्रिकर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) और रक्षा उत्पादन नीति में बड़े बदलाव करने की दिशा में एक तेज कदम बढ़ा दिया है। सरकार की ओर से अब रक्षा उत्पादन में लगे डीपीएसयू, ओएफबी को अपना प्रदर्शन ग्राफ सुधारने के लिए ज्यादा स्वायत्ता दी जाएगी। इसकी घोषणा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक में की। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इससे आयुध कारखानों से लेकर सैन्य साजो सामान बनाने वाले डीपीएसयू की तमाम इकाईयों को विस्तार और कार्यक्षमता बेहतर करने के लिए जरूरी बदलाव करने में मदद मिलेगी।

यहां बता दें कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर इन संगठनों के प्रदर्शन को लेकर बीते काफी समय से नाखुश नजर आ रहे थे। मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद भी कुछ मौकों पर उन्होंने कहा था कि इन संगठनों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है और इनमें जरूरी बदलाव की बेहद आवश्यकता है।

समिति की बैठक को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें ताकत का विकेंद्रीकरण करने की आवश्यकता है। क्योंकि इससे डीपीएसयू और ओएफबी को निर्णय लेने में आसानी होगी। इससे सशस्त्र सेनाओं के लिए बनाए जा रहे तमाम उत्पादों के मामले में उनकी क्षमता सुधारने व उसमें बदलाव करने में मदद मिलेगी। जो भी मशीन काम कर रही है वो एक प्रकार का अतिरिक्त उपकरण है। डीपीएसयू को सहायता मिलती रहेगी। लेकिन उन्हें एक वाणिजिक संगठन (कर्मशल आर्गेनाइजेशन) की तरह सोचना होगा। बैठक में 41 आयुध कारखानों और 9 डीपीएसयू के प्रदर्शन पर विस्तार से चर्चा की गई।

बैठक में मलिकार्जुन खड़गे, राजकुमार सिंह, अनिल शिरोल, प्रो.सोगाता राय, पी. नार्गाजुन, कीर्ति वर्धन सिंह, राजीव चंद्रशेखर, वीपी सिंह बदनोर, महेंद्र प्रसाद, वीर सिंह, टीके रंगराजन, भूपेंद्र यादव, एचके दुआ और अंबिका सोनी शामिल थे। मंत्रालय की ओर से रक्षा सचिव आरके माथुर, रक्षा उत्पादन सचिव जी मोहन कुमार, सचिव (ईएसडब्ल्यू) पीडी मीना मौजूद थे।

इस चर्चा में भाग लेते हुए कुछ सांसदों ने पूछा कि क्या सरकार ने रक्षा संबंधी आयात घटाने के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है। कुछ सदस्यों का मानना था कि यह एक प्रकार से डीपीएसयू और ओएफबी की आलोचना करने और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के अभियान की तरह था। उन्हें लगता है कि उपभोक्ता उत्पादों की तुलना में रक्षा संबंधी उत्पादों के डिजाइन और विकास में काफी लंबा समय लगता है और इसके लिए डीपीएसयू-ओएफबी की भूमिका की सराहना की जानी चाहिए। सदस्यों का कहना था कि निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कीमत पर नहीं।

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