शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

युद्ध खत्म होने के बाद सेनाएं बैरकों में लौटने को तैयार!

कविता जोशी.नई दिल्ली

26 जनवरी जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में जानते और मनाते हैं। लेकिन गणतंत्र दिवस के रंगारंग आयोजनों का समापन जिसे हम ‘बीटिंग द रिट्रीट’ के रूप में जानते हैं अपने साथ एक दूसरा और खास अर्थ जोड़े हुए है जिसे हममे से कुछ लोग शायद नहीं जानते होंगे। युद्धकाल की प्राचीन परंपराओं में जब लड़ाई खत्म हो जाती थी और सेनाएं अपनी बैरकों में वापस लौटने लगती थीं तो युद्ध के डरावने मंजर को भूलने और थकान उतारने के लिए इसी तरह का रंगारंग आयोजन किया जाता था। आधुनिक युग में इसे ‘बीटिंग द रिट्रीट’ की संज्ञा दे दी गई है।

क्या है बीटिंग द रिट्रीट?
बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक है। हर साल इसे 29 जनवरी को मनाया जाता है, जिसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। समारोह का स्थल रायसीना हिल्स और उसकी तलहटी में स्थित चौकोर स्थल विजय चौक होता है जो कि राजपथ के अंत में राष्ट्रपति भवन के उत्तर और दक्षिण ब्लॉक द्वारा घिरा हुआ है। बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। इस दौरान सभी महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 से लेकर 29 जनवरी तक सुंदर रोशनी से सजाया जाता है।

ऐसे होता है समारोह का आगाज
समारोह की शुरूआत तीनों सेनाएं एकसाथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से करती हैं, जिसमें लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाई जाती हैं। ड्रमर भी एकल प्रदर्शन करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी धुन भी बजाई जाती है। यह धुन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक मानी जाती है। कार्यक्रम में ट्यूबलर घंटियों द्वारा चाइम्स भी बजाई जाती है, जो काफी दूरी पर रखी होती है। इससे एक मनमोहक दृश्य बनता है। इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है।

बैंड मार्च वापस जाते हुए लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्छा बजाते हैं। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्‍ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता है। इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति अपनी 6 अश्वों वाली शाही बग्गी में सवार होकर पहुंचते हैं। दो बार रद्द हुआ समारोह वर्ष 1950 में भारत का गणतंत्र बनने के बाद दो बार बीटिंग द रिट्रीट समारोह को अब तक रद्द करना पड़ा है। पहली बार 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा और दूसरी बार 27 जनवरी 2009 को वेंकटरमन की लंबी बीमारी के बाद आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो जाने के कारण बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। वेंकटरमन देश के आठवें (वर्ष 1987 से 1992 तक) राष्ट्रपति थे।

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