शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

देश के युवा मांग रहे भावनात्मक सहयोग और सलाह!

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश में युवाआें की 60 फीसदी आबादी रहती है, जिसमें रोजाना बच्चों को लेकर कई तरह के मामले देखने-सुनने को मिलते हैं। इस बाबत हरिभूमि द्वारा की गई पड़ताल में एक बेहद रोचक तथ्य सामने आया है। वो है देश के युवाओं द्वारा सरकार से लगातार भावनात्मक सहयोग और सलाह मांगी जा रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भी इसकी पुष्टि करता है। मंत्रालय द्वारा हाल ही में पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वेबसाइट पर अपलोड की गई अपनी ई-बुक में इस रोचक तथ्य की विस्तार से जानकारी दी है।

ई-बुक का डेटा
ई-बुक मंत्रालय में 26 मई के बाद गठित नई सरकार के बाद उठाए गए नए कदमों, प्रयासों, बदलावों और महिलाओं-बच्चों के लिए शुरू की गई तमाम योजनाआें की विस्तार से जानकारी देती है। इसमें दिए गए आंकड़ों के हिसाब से मंत्रालय द्वारा शुरू की गई चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर पीड़ित बच्चों की ओर से अच्छा खासा रिस्पांस देखने को मिल रहा है। अभी तक यह सुविधा देश में 243 जगहों पर मौजूद थी। जिसे वर्ष 2013-14 तक बढ़ाकर 343 जगहों तक कर दिया गया है। इस हेल्पलाइन के जरिए सबसे ज्यादा कॉल्स मुसीबत में फंसे बच्चों की ओर से भावनात्मक सहयोग और सलाह मांगने के की गई।

मंत्रालय की पड़ताल
मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस हेल्पलाइन के जरिए हम मेडिकल, इमोशनल सर्पोट और गाइडेंस, शेलटर, प्रोटेक्शन फ्रॉम अब्यूज, मीसिंग, चाइल्ड कॉफिल्ट विद लॉ, स्पॉंसरशिप जैसे मुद्दों को लेकर आंकड़ें एकत्रित कर कार्रवाई करते हैं। इसमें इमोशनल सर्पोट और गाइडेंस को लेकर सबसे ज्यादा बच्चों की ओर से सलाह मांगी जा रही है। इसका आंकड़ा बाकी श्रेणियों की तुलना में सबसे ज्यादा 33.6 प्रतिशत रहा। अन्यों में मेडिकल 12.6, शेलटर 14.7, प्रोटेक्शन फ्रॉम अब्यूज 8.4, मीसिंग 10.03, चाइल्ड कॉफिल्ट विद लॉ 0.03, स्पॉंसरशिप 5.96 फीसदी पर रहा है।

हेल्पलाइन केंद्र का विस्तार
अभी बच्चों की समस्याआें को सुनने, एकत्रित करने और उनपर कार्रवाई करने के लिए मात्र एक केंद्रीयकृत केंद्र बम्बई में है। लेकिन अब मंत्रालय की योजना तीन और केंद्रों को खोलने की है, जिसमें एक गुडगांव दूसरा कोलकात्ता और तीसरा चेन्नई में खोला जाएगा। गौरतलब है कि सरकार के कुल 66 मंत्रालयों में से अब तक पीआईबी की वेबसाइट पर 30 मंत्रालयों ने अपनी ई-बुक अपलोड कर दी है। एचआरडी और रक्षा मंत्रालय भी जल्द ही अपनी ई-बुक अपलोड करने की तैयारी में हैं।

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