गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

साक्षरता का प्रमाणपत्र पाने को निकलेंगे एक करोड़ लोग

कविता जोशी.नई दिल्ली

देश के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा से जुड़े चंद बुनियादी सवालों का जवाब देकर कोई भी सरकार से पढ़ा-लिखा यानि साक्षर होने का प्रमाणपत्र ले सकता है। इसके लिए आपको आगामी 15 मार्च को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से देश भर में आयोजित की जाने वाली तीन घंटे की परीक्षा में बैठना होगा। शिक्षा से जुड़े कुछ बुनियादी सवालों के जवाब देने होंगे और आप बन जाएंगे साक्षर। परीक्षा सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगी।

15 मार्च को पहुंचेंगे 1 करोड़ लोग
एचआरडी मंत्रालय में साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत गठित राष्टÑीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एनएलएमए) के महानिदेशक और संयुक्त सचिव वाई.एस.के.शेषु कुमार ने हरिभूमि को बताया कि अगले महीने 15 मार्च को होने वाली इस परीक्षा में 1 करोड़ लोग प्रमाणपत्र लेने के लिए परीक्षा में बैठेंगे। बीते वर्ष 2014 में करीब 41 लाख लोगों ने यह परीक्षा दी थी। 2010 में शुरू किए जाने पर 5 लाख 80 हजार निरक्षर वयस्कों ने बुनिायादी साक्षरता इम्तिहान दिया था। परीक्षा पास करने वाले हर व्यक्ति को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की ओर से प्रमाणपत्र दिया जाता है।

ग्रामीण में ज्यादा क्रेज
इस परीक्षा को लेकर गांव में रहने वाले लोगों में एक अलग तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है। यह प्रमाणपत्र गांव वालों के लिए एक स्टेटस सिंबल की तरह है। इस कार्यक्रम के केंद्र में गांवों में रहने वाले लोग ही हैं। परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वाले लोग इस प्रमाणपत्र को अपने घरों की दीवारों पर भी लगा रहे हैं। परीक्षा में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसी हैं जिन्होंने अपने जीवन में कभी स्कूल की शक्ल भी नहीं देखी है।

2017 में साक्षरता का स्तर 80 फीसदी
दुनिया के बड़े साक्षरता कार्यक्रमों में शुमार साक्षर भारत कार्यक्रम के जरिए मंत्रालय की योजना वर्ष 2017 तक देश में साक्षरता के स्तर को 80 फीसदी तक बढ़ाना और साक्षरता में लैंगिग अंतर को कम करके 10 फीसदी तक करना है। खासकर महिलाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम को सभी जिलों के उन ग्रामीण इलाकों में लागू किया जा रहा है जहां 2001 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से वयस्क महिला साक्षरता की दर 50 प्रतिशत या उससे कम है। देश के 410 जिलों में फैले 1.53 लाख वयस्क साक्षरता केंद्र साक्षर भारत अभियान की रीढ़ हैं। इन केंद्रों पर पठन सामग्री 13 भाषाआें, 26 बोलियों, अखबारों और ओडियो-वीडियो रूप में मौजूद है। केंद्रों का संचालन स्वयंसेवक जिन्हें प्रेरक कहा जाता है करते हैं।

ऐसे हैं परीक्षा के सवाल
साल में दो बार (मार्च-अगस्त) होने वाली इस परीक्षा में परीक्षार्थी की ऊंची आवाज में पढ़ने की क्षमता, शब्दों की गति को एक सीमा तक समझने, डिक्टेशन लेने, अंकों को पढ़ने और लिखने तथा साधारण गणनाएं करने की क्षमताआें का परखा जाता है। यहां बता दें कि वर्ष 2010 में शुरू हुई इस परीक्षा के बाद लगभग 4.33 करोड़ लोगों ने यह परीक्षा दी है। इनमें से 3.13 करोड़ लोगों ने 150 अंकों के इस मूल्याकंन को पास किया है। 40 फीसदी से कम अंक पाने वालों को बी ग्रेड, 60 फीसदी से ज्यादा अंक पाने को ए गे्रड मिलता है। जो लोग 40 फीसदी से कम अंक लाते हैं उन्हें सी गे्रड दिया जाता है। साथ ही उन्हें यह परीक्षा फिर से देनी पड़ती है।

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