ओखला बर्ड सेंचुरी के आसपास का इलाका भी शामिल
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
पर्यावरण और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए बेहद अहम माने जाने वाले 100 संवेदनशील पारिस्थिकीय जोन (ईएसजेड) को केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अगले महीने मार्च के मध्य तक अधिसूचित कर देगा। अभी इन ईएसजेड से संबंधित प्रस्तावों पर मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति विचार कर रही है। यहां राजधानी में बीते दिनों हुए एक कार्यक्रम से इतर हरिभूमि से खास बातचीत में पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव हेम पांडे ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि देश में कुल 600 ईएसजेड हैं, जिसमें 130 अंडमान में हैं। अंडमान में जो 130 ईएसजेड हैं वो सारा संरक्षित इलाका (पीए) है। इनमें से मंत्रालय ने करीब 40 को अधिसूचित कर दिया है और करीब 100 से जुड़ा कार्य अलग-अलग स्तरों पर चल रहा है। जिन 100 परियोजनाआें को मार्च के मध्य तक पर्यावरण मंत्रालय अधिसूचित (नोटिफाई) करेगा। उनमें से एक ईएसजेड दिल्ली और उत्तर-प्रदेश की सीमा से सटा हुआ ओखला बर्ड सेंचुरी के आसपास का इलाका भी होगा। इसमें सेंचुरी की बाउंड्रीवॉल से बाहर करीब 100 से 1.27 मीटर तक के इलाके को ईएसजेड घोषित किया जाएगा। इसके बाद इस इलाके में किसी भी तरह का निर्माण नहीं होगा, खनन गतिविधियां बंद रहेंगी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली तमाम गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। मंत्रालय ने अंडमान द्वीप पर मौजूद 130 ईएसजेड की पड़ताल की तो पता चला कि यह पूरा इलाका संरक्षित है और वहां किसी प्रकार का अवैध निर्माण, विकास गतिविधि नहीं की जा सकती।
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
पर्यावरण और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए बेहद अहम माने जाने वाले 100 संवेदनशील पारिस्थिकीय जोन (ईएसजेड) को केंद्रीय पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अगले महीने मार्च के मध्य तक अधिसूचित कर देगा। अभी इन ईएसजेड से संबंधित प्रस्तावों पर मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति विचार कर रही है। यहां राजधानी में बीते दिनों हुए एक कार्यक्रम से इतर हरिभूमि से खास बातचीत में पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव हेम पांडे ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि देश में कुल 600 ईएसजेड हैं, जिसमें 130 अंडमान में हैं। अंडमान में जो 130 ईएसजेड हैं वो सारा संरक्षित इलाका (पीए) है। इनमें से मंत्रालय ने करीब 40 को अधिसूचित कर दिया है और करीब 100 से जुड़ा कार्य अलग-अलग स्तरों पर चल रहा है। जिन 100 परियोजनाआें को मार्च के मध्य तक पर्यावरण मंत्रालय अधिसूचित (नोटिफाई) करेगा। उनमें से एक ईएसजेड दिल्ली और उत्तर-प्रदेश की सीमा से सटा हुआ ओखला बर्ड सेंचुरी के आसपास का इलाका भी होगा। इसमें सेंचुरी की बाउंड्रीवॉल से बाहर करीब 100 से 1.27 मीटर तक के इलाके को ईएसजेड घोषित किया जाएगा। इसके बाद इस इलाके में किसी भी तरह का निर्माण नहीं होगा, खनन गतिविधियां बंद रहेंगी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली तमाम गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। मंत्रालय ने अंडमान द्वीप पर मौजूद 130 ईएसजेड की पड़ताल की तो पता चला कि यह पूरा इलाका संरक्षित है और वहां किसी प्रकार का अवैध निर्माण, विकास गतिविधि नहीं की जा सकती।
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