गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

अब डिजीटल डिपॉजिटरी संभालेगी आपके सर्टिफिकेट

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बोर्ड से लेकर विश्वविद्यालयी स्तर पर बच्चों के सर्टिफिकेट और प्रमाणपत्रों को संभालने की जिम्मेदारी अब डिजीटल डिपोजिटरी की होगी। तमाम स्कूल और कॉलेज इन जरूरी दस्तावेजों को सीधे डिपोजिटरी में जमा कराएंगे। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में ‘नेशनल एकेडमिक डिपाजिटरी बिल’ को संसद की मंजूरी दिलाने की तैयारी में जुटा हुआ है।

एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि इस बिल में यह प्रावधान है कि सरकार इसके जरिए प्रमाणपत्रों को डिजीटल रूप में सुरक्षित रखने के लिए एक डिपोजिटरी बनाएगी। छात्र चाहे किसी भी शिक्षण संस्थान की पढ़ाई करें उनके सर्टिफिकेट और प्रमाणपत्र सीधे इस डिपोजिटरी में पहुंच जाएंगे। इस विधेयक के जरिए छात्रों को यह लाभ होगा कि उन्हें अब छात्रों के सर्टिफिकेट खो जाने, उन्हें वेरिफाई कराने जैसी मुश्किलों से निजात मिलेगी।

तमाम शिक्षण संस्थाएं इस डिपोजिटरी को सीधे अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों के प्रमाणपत्र मुहैया कराएंगी।
बजट सत्र में मंत्रालय की ओर से कुछ और विधेयक भी संसद की मंजूरी के लिए रखे जाएंगे। इसमें इंडियन इंस्ट्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट बिल (आईआईएम) शामिल है। इस बिल के जरिए ये संस्थान छात्रों को डिग्री दे सकेंगे। अब तक यह आईआईएम छात्रों को केवल डिप्लोमा ही देते हैं। इसके पीछे इन शीर्ष प्रबंधन संस्थानों का किसी कानून के द्वारा संचालित ना होना है। इस बिल के जरिए इन संस्थानों को छात्रों को डिग्री देने का अधिकार मिल जाएगा। गौरतलब है कि देश में कुल 13 आईआईएम हैं। सरकार 4 और आईआईएम खोले जा रहे हैं।

एचआरडी मंत्रालय नेशनल एक्रीडिटेशन रेगुलेटरी अथोरिटी बिल को भी संसद से मंजूरी दिलाने की तैयारी कर रही है। इस अथोरिटी के गठन के बाद यहां से तीन साल के अंदर किसी भी उच्च-शिक्षा से जुड़े शिक्षण संस्थान को एक्रीडिटेशन कराना होगा। इसके अलावा मेडिकल शिक्षा संबंधी संस्थानों के लिए अवधि पांच साल की होगी। कृषि संबंधी संस्थानों को इससे बाहर रखा गया है। यह अथोरिटी मान्यता देने वाली सभी एजेंसियों की नियामक होगी। मंत्रालय का कहना है कि इसके जरिए उच्च-शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।

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