शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में फ्रांस बनेगा बड़ा भागीदार!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

मौजूदा दौर में तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यस्था की ऊर्जा संबंधी जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। इसे पूरा करने के लिए भारत ने अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को वर्ष 2025 तक तिगुना करने की योजना बनाई है। फ्रांस, परमाणु ऊर्जा के मामले मेंपहले से ही एक समृद्ध-सक्षम देश है। हमारे पास पूरी क्षमता और सामर्थ मौजूद है। यह बातें यहां टेरी द्वारा डीएसडीएस सम्मेलन के उद्घघाटन सत्र के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों के जवाब में फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस ने कही। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शुक्रवार को होने वाली मुलाकात में परमाणु ऊर्जा और रफाले विमान सौदे के मुद्दे पर चर्चा किए जाने के संकेत दिए।

फ्रांसिसी विदेश मंत्री की शुक्रवार को पीएम मोदी से मुलाकात होनी है। इससे पहले उनका यह कहना कि फ्रांस परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह की सार्मथवान है साफ इशारा करता है कि भारत की आगामी जरूरतों को पूरा करने के लिए लक्षित परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में फ्रांस बड़ी भागीदारी अदा कर सकता है। दोनों नेताओं के बीच होने वाली मुलाकात में परमाणु ऊर्जा से लेकर फ्रांस की अरेवा कंपनी द्वारा न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने की योजना पर भी विचार किया जा सकता है।

गौरतलब है कि फ्रांसिसी कंपनी अरेवा को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के तहत परमाणु ऊर्जा रिएक्टर लगाने के लिए वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन फ्रांसिसी पीएम निकोलस साकोर्जी के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। लेकिन इसके बाद इलाके के स्थानीय लोगों और एनजीओ के विरोध की वजह से यह समझौता अभी तक परवान नहीं चढ़ सका है। यह योजना 9 हजार 900 मेगावाट की योजना थी। अगर यह परवान चढ़ती तो दुनिया का सवार्धिक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करने वाले प्लांट होता। जलवायु परिवर्तन पर सभी को अपने विचारों का आदान-प्रदान करना चाहिए। वित्तीय भागीदारी में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र को आगे आना चाहिए। टेरी के महानिदेशक डॉ.पचौरी ने कहा कि हमें सभी की बातों को सुनना चाहिए। लेकिन हमें अपनी आकांक्षाओं को नहीं भूलना चाहिए। 2020 तक वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की कमी करनी है। कुछ देश इसे और कम करना चाहते हैं। लेकिन सतत विकास के लक्ष्य के जरिए ही आगे बढ़ा जा सकता है।

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