शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

ई-टिकटिंग से तेजी से लाभान्वित होती सेनाएं

कविता जोशी.नई दिल्ली
करीब 6 साल पहले रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ई-टिकटिंग परियोजना का सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों में तेजी से प्रयोग बढ़ रहा है। इससे जवानों से लेकर अधिकारियों को यात्रा के दौरान अब पहले की तरह वॉरंट का इतंजार करने की जरूरत नहीं होती। बल्कि वो भी ई-टिकटिंग के जरिए समय पर अपनी यात्रा की शुरूआत कर सकते हैं। यहां बता दें कि पहले वॉरंट के बिना सेनाओं के लोगों को रेल यात्रा में खासी मशक्कत और लंबा इतंजार करना पड़ता था। कई बार वॉरंट देर से मिलने की वजह से जरूरी आयोजनों में पहुंचना भी मुश्किल हो जाता था। ई-टिकटिंग सामान्य नागरिक की तरह डीटीएच के जरिए रेलवे की आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर टिकट बुक करके सेनाआें के लोग प्राप्त करते हैं।
यहां रक्षा मंत्रालय में मौजूद सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि वर्ष 2009 में रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने ई-टिकटिंग परियोजना को मौजूदा टिकट के मैनुवल सिस्टम की जगह पर किया गया जिसमें वॉरेंट लेना अनिवार्य होता था। प्रायोगिक परियोजना की तर्ज पर शुरू की गई इस प्रणाली के तहत 2009 में सेनाआें की 20 यूनिटों में इसका प्रयोग किया जा रहा था। इसमें सेना की 14, वायुसेना की 04 और नौसेना की 02 यूनिटें शामिल थीं।
सूत्र ने कहा कि 6 साल बाद तस्वीर बदल गई है। समय की बचत और महत्वपूर्ण आयोजनों में शामिल होने जैसे कारणों के चलते सेनाओं के बीच लोकप्रिय हो रही इस सुविधा का तेजी से विस्तार हुआ है। अभी इस सुविधा का सशस्त्र सेनाआें की 807 यूनिटों में प्रयोग किया जा रहा है। इसमें थलसेना की 745, वायुसेना की 29 और नौसेना की 33 यूनिटें शामिल हैं।
मंत्रालय की योजना इस परियोजना का विस्तार करने की है। इसमें पहले चरण में ई-टिकटिंग शुरूआत की गई है। दूसरे चरण में इसका विस्तार करके इसे अलग-अलग एयरलाइंस के र्पोटल्स के साथ कनेक्ट कर एयर ट्रैवल के साथ जोड़ा जाएगा। इसे ई-टिकटिंग, एयर कहा जाएगा। तीसरे चरण में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। चौथे चरण में आॅनलाइन टीए/डीए की राशि की भुगतान भी इससे प्राप्त किया जा सकेगा।

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