रविवार, 22 मार्च 2015

तो सुरक्षित नहीं मध्य-प्रदेश में महिलाओं की असमिता?

कविता जोशी.नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली से लेकर समूचे देश में महिलाआें के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाआें की बात करें तो यह तथ्य अब जगजाहिर हो चुका है कि महिलाएं घर और बाहर कहीं पर सुरक्षित नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए ताजातरीन आंकड़ों के हिसाब बलात्कार के मामलों में मध्य-प्रदेश की हालत बेहद खराब नजर आ रही है। मप्र बलात्कार के मामलों में महाराष्टÑ के बाद दूसरे नंबर पर है। इसे देखकर यह प्रश्न खड़ा होना लाजमी है क्या मप्र में महिलाओं की असमिता सुरक्षित नहीं है?

महिलाआें के खिलाफ होने वाले अपराधों का रिकॉर्ड रखने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के हिसाब से तीन वर्षों (वर्ष 2011 से 2013 तक) का ट्रेंड देखे तो उसमें बलात्कार के मामलों में साल-दर-साल इजाफा देखने को मिल रहा है। वर्ष 2011 में जहां महिलाओं के खिलाफ होने वाले बलात्कार के कुल 75 हजार 744 मामले दर्ज किए गए। इसमें अकले मध्य-प्रदेश में 13 हजार 323 मामले दर्ज किए गए। साल 2012 में बलात्कार के मामलों की बात करें तो इनमें साफ इजाफा देखने को मिला और यह 79 हजार 447 पर पहुंच गया। 2013 आते-आते इन मामलों की संख्या 1 लाख 17 हजार 35 पर पहुंच गई। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है।

मंत्रालय द्वारा इस बाबत जारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्टÑ में बलात्कार के सबसे ज्यादा 13 हजार 827 मामले दर्ज किए गए हैं। आंध्र-प्रदेश में बलात्कार के 13 हजार 267 मामले दर्ज किए गए हैं। उधर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि सरकार महिलाआें के खिलाफ होने वाले बलात्कार के मामलों के बढ़ रहे ग्राफ और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। संशोधित क्रिमिनल कानून 2013 बनने के बाद बलात्कार के मामलों में ज्यादा सख्त सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाआें का शारिरिक उत्पीड़न रोकने के लिए 2013 में कानून बनाया जिसमें सार्वजनिक और निजी जगहों पर काम करने वाली सभी महिलाओं को संरक्षण प्रदान किया जाएगा।

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