शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

पर्यावरणीय मुद्दों का हल निकालने में बजट नाकाफी

केंद्र सरकार द्वारा बीते शनिवार को लोकसभा में पेश किए गए बजट-2015 में पर्यावरणीय मुद्दों का गंभीरता से निदान निकालने के  कोई उपाय नहीं किए गए। यह कहना है देश के प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन केंद्रीय विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) का। सीएसई के उप-महानिदेशक चंद्रभूषण का कहना है कि सरकार का पानी की गुणवत्ता, मृदा स्वास्थ्य और आर्गेनिक खेती की ओर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छा कदम है। आर्गेनिक खेती और पानी की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए सरकार ने 5 हजार 300 करोड़ रूपए की योजना को मंजूरी दी है। लेकिन इस तरह के कार्यक्रमों की अर्थव्वयस्था के हर क्षेत्र के लिए जरूरत है, जिससे विकास सही मायनों में स्वच्छ और ग्रीन हो।

सीएसई ने अपने एक बयान में कहा कि सरकार द्वारा बजट में कोयले पर सेस लगाने का एलान किया गया है। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए पर्याप्त नहीं है। बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के मसले पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। डीजल और एसयूवी कारों पर ना तो कोई अतिरिक्त टैक्स लगाया गया। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने से कम से कम 10 साल तक प्रदूषण का स्तर कम नहीं होगा। क्लीन गंगा फंड और स्वच्छ भारत अभियान के लिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं बनाई गई। पर्यावरण-वन, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के फंड नहीं बढ़ाए। यह तमाम मुद्दे पर्यावरण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं।

बजट में नदियों की सफाई के लिए कोई मजबूत प्रस्ताव नहीं रखा गया। इसमें गंगा नदी भी शामिल है। आंकड़ों के हिसाब से हमारी नदियों में शहरों से निकलने वाले 90 फीसदी सीवेज सीधे डाला जाता है। यह प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। इस काम को करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी निवेश की आवश्यकता है। दूसरी ओर स्वच्छ भारत अभियान में 2 फीसदी के हिसाब से स्वच्छ भारत सेस लगाया गया है। शौचालय निर्माण कार्य को बढ़ावा देने की बात कही गई है। लेकिन भारत को शौचालयों के अलावा और भी बहुत कुछ की दरकार है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय की बात करें तो इस बार बीते तीन वर्षों में मंत्रालय को सबसे कम बजट दिया गया। यह कटौती ऐसे वक्त में की गई है जब कई गांवों में माइग्रेशन का उलटा चक्र चल रहा है और मनरेगा के तहत ज्यादातर ग्रामीणों को पैसा नहीं मिलने का बैकलॉग भी बना हुआ है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें