शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

साक्षर भारत अभियान के विस्तार में यूपी-बिहार कायम करेंगे मिसाल

कविता जोशी.नई दिल्ली
देश में महिलाओं में साक्षरता की दर को बढ़ाने के लिए शुरू किए गए साक्षर भारत अभियान का वृहद जनसंख्या वाले राज्य उत्तर-प्रदेश और बिहार में बहुत अच्छा रिस्पांस देखने को मिल रहा है। इसमें एक खास बात यह है इन दोनों राज्यों की सरकारों ने अपने यहां योजना को लागू करने को लेकर जमीनी स्तर पर काफी प्रयास किए हैं, जिसकी वजह से यह अभियान तेजी से उनके यहां सफल हुआ। यहां बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि उत्तर-भारत के इन दोनों राज्यों के प्रयास दूसरे राज्यों के लिए भी क्‍या मिसाल कायम कर पाएंगे? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिल जाएगा।

यहां केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में साक्षर भारत अभियान के तहत राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एनएलएमए) के महानिदेशक और संयुक्त सचिव डॉ. वाई.एस.के.शेषु कुमार ने कहा कि इस अभियान के तहत साक्षरता का प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर शुरू की गई साक्षरता परीक्षा को लेकर उत्तर-प्रदेश और बिहार की सरकारों की ओर से ग्राउंड लेवल पर कई प्रयास किए गए। इन राज्यों में इस कार्यक्रम के सफल होने के पीछे सरकारों की यही सक्रिय भूमिका एक बड़ी वजह बनी।

उत्तर-प्रदेश सरकार इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले परीक्षार्थियों की पेंशन में हर महीने 50 रूपए जमा करवाती है। सरकार को लगता है कि यह आसान तरीका है इस योजना को लोगों के बीच चर्चित कराने का। वहीं बिहार सरकार इस अभियान को बढ़ाने के लिए स्कूली युवाआें को उनकी वार्षिक परीक्षा के रिजल्ट में 10 अतिरिक्त नंबर दे रही है। ये वो युवा हैं जो खाली समय में इस कार्यक्रम के तहत परीक्षा देने के इच्छुक लोगों को पढ़ा रहे हैं।

गौरतलब है कि इस परीक्षा को ग्रामीण भागों में रहने वाले ज्यादातर वो लोग देते हैं जिन्होंने अपने जीवन में कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। या फिर कुछ कक्षाएं पढ़कर बीच में ही स्कूल छोड़ दिया। परीक्षा में बैठने वाले लोगों की उम्र 14 वर्ष से अधिक होती है। साल में दो बार (मार्च-अगस्त महीने में) इस परीक्षा का आयोजन किया जाता है। बीते 15 मार्च को हुई परीक्षा में देश में कुल 85 लाख लोगों ने यह परीक्षा दी। इसमें सबसे ज्यादा 26 लाख लोग यूपी से शामिल हुए। बिहार से 12 लाख लोग परीक्षा देने आए। जल्द ही राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) परीक्षा के परिणाम की जानकारी एचआरडी मंत्रालय को सौंपेगा जिसके बाद परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले लोगों का वास्तविक आंकड़ा मिल पाएगा।

इस कार्यक्रम के जरिए मंत्रालय की योजना साक्षरता की दर को 2017 तक 80 फीसदी करना और साक्षरता में लैंगिग अंतर को कम करके 10 फीसदी तक करना है। खासकर महिलाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम को खासकर उन इलाकों में लागू किया जा रहा है जहां 2001 की जनगणना के हिसाब से वयस्क महिला साक्षरता की दर 50 फीसदी से कम है।   

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