शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

पुराने पीएचडी धारकों को एक और मौके की तैयारी

यूजीसी ने एचआरडी मंत्रालय को भेजा सुझाव
मंत्रालय इस दिशा में एक पखवाड़ें में उठाएगा बड़ा कदम 
2009 तक 10 लाख लोगों ने कराया पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन  

कविता जोशी.नई दिल्ली
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय वर्ष 2009 से पहले पीएचडी करने वालों की भविष्य सुरक्षा करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2012 में दिए गए निर्णय को अमलीजामा पहनाने को लेकर फैसला किया जा सकता है। यहां बता दें कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जिन लोगों ने 2009 से पहले पीएचडी की है उन्हें लेक्चरर या अस्सिटेंट प्रोफेसर बनने से पहले नेट या जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।

एचआरडी मंत्रालय के उच्चदस्थ सूत्र ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि हम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन साथ ही मंत्रालय के लिए उन तमाम लोगों की भविष्य की सुरक्षा करना की जिम्मेदारी बनता है जिन्होंने 2009 से पहले पीएचडी की है। सूत्र ने कहा यूजीसी ने इस बाबत एक सुझाव मंत्रालय को कुछ महीने पहले सौंपा है। मंत्रालय में उस पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस बात की संभावना है कि आगामी एक पखवाड़े के अंदर मंत्रालय इस संबंध में कोई फैसला करे।

यूजीसी के एक वरिष्ठ सूत्र ने हरिभूमि से कहा कि कोर्ट का इस बाबत 2012 में आदेश दिया गया था। लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2009 में 10 लाख लोगों ने पीएचडी के लिए रजिस्टर कराया था। ऐसे में कोर्ट के फैसले को लागू कर देने से इन तमाम लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। इन लोगों को मौका दिया जाना चाहिए। यूजीसी ने मंत्रालय को भेजे अपने सुझाव में इस तथ्य का जिक्र किया है। साथ ही यह भी कहा है कि जिन लोगों ने 2009 तक पीएचडी की है। अब 6 साल बीते जाने के बाद 2015 में उनके लिए नेट या जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण करना तर्कहीन नजर आता है। इसके पीछे कारण इस आंकड़ें में कई महिलाओं का शामिल होना भी है जिन पर अब घरेलू जिम्मेदारियों का भार भी हो सकता है। साथ ही कई लोगों उम्र की अधिकता की वजह से भ्‍ाी परीक्षा देने में समर्थ नहीं हो सकते।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला वर्ष 2012 में आया था। उस वक्त केंद्र में यूपीए की सरकार थी। लेकिन उनका रवैया इस मुद्दे पर काफी ढीलाढाला रहा। लेकिन नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सत्ता पर काबिज नई सरकार इस मामले को लेकर बेहद संजीदा है और वो इन तमाम लोगों की भविष्य सुरक्षा की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने की ओर बढ़ रही है।

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