शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

साक्षर बनने की जंग फतह करने को निकले 85 लाख

कविता जोशी.नई दिल्ली
देश के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा से जुड़े चंद बुनियादी सवालों का जवाब देकर साक्षर होने का प्रमाणपत्र पाने की जंग जीतने को इस बार कुल 85 लाख लोग अपने घरों से निकले। इनमें सबसे ज्यादा 26 लाख लोग वृहद जनसंख्या वाले राज्य उत्तर-प्रदेश से शामिल हुए। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत गठित राष्टÑीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एनएलएमए) के महानिदेशक और संयुक्त सचिव डॉ.वाई.एस.के.शेषु कुमार ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि 15 मार्च 2015 को हुई इस परीक्षा में 85 लाख लोगों ने भाग लिया। इसमें उत्तर-प्रदेश से 26 लाख, छत्तीसगढ़ से 3 लाख 51 हजार, मध्य-प्रदेश से 4 लाख 85 हजार और हरियाणा से 60 हजार लोग शामिल हुए। बिहार से 12 लाख और राजस्थान से 7
लाख 10 हजार लोग परीक्षा में बैठे।

एनआईओएस जारी करेगा सर्टिफिकेट
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की ओर से इन 85 लाख लोगों में से जो भी परीक्षा पास करेंगे उन्हें प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। अभी एनआईओएस प्रश्न पत्रों की जांच कर रहा है। कुछ राज्यों की ओर से प्रश्नपत्र भेज दिए गए हैं। एक बार सभी के पेपर मिल जाने के बाद परीक्षा परिणाम घोषित किया जाएगा। यहां बता दें कि यह परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाती है, जिसमें एक बार मार्च और दूसरी बार अगस्त में। बीते वर्ष अगस्त 2014 में कुल 41 लाख लोगों ने परीक्षा दी थी।

2017 में साक्षरता का स्तर 80 फीसदी
इस कार्यक्रम के जरिए मंत्रालय की योजना साक्षरता की दर को वर्ष 2017 तक 80 फीसदी तक बढ़ाना और साक्षरता में लैगिंग अंतर को कम करके 10 फीसदी तक करना है। खासकर महिलाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम को उन ग्रामीण इलाकों में लागू किया जा रहा है जहां 2001 की जनगणना के हिसाब से वयस्क महिला साक्षरता की दर 50 फीसदी या उससे कम है। देश के 410 जिलों में फैले 1.53 लाख वयस्क महिला साक्षरता केंद्र इस कार्यक्रम की रीढ़ हैं। इन केंद्रों पर पठन सामग्री 13 भाषाआें, 26 बोलियों के अलावा आॅडियो-वीडियो रूप में मौजूद है। केंद्रों का संचालन जिन्हें प्रेरक कहा जाता है करते हैं।

ऐसे हैं परीक्षा के सवाल
साल में दो बार होने वाली इस परीक्षा में परीक्षार्थी की ऊंची आवाज में पढ़ने की क्षमता, शब्दों की गति को एक सीमा तक समझने की क्षमता, डिक्टेशन लेने, अंकों को पढ़ने और लिखने तथा साधारण गणनाएं करने की क्षमता को परखा जाता है। 2010 में शुरू हुई इस परीक्षा के बाद लगभग 4.33 करोड़ लोगों ने यह परीक्षा दी है। इसमें से 3.13 करोड़ लोगों ने 150 अंकों के इस मूल्याकंन को पास किया है। 40 फीसदी से कम अंक पाने वालों को बी ग्रेड, 60 फीसदी से ज्यादा अंक पाने वालों को ए ग्रेड मिलता है। 40 फीसदी से कम अंक लाने वालों को सी ग्रेड दिया जाता है और उन्हें परीक्षा फिर से देनी पड़ती है।

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