शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

शिथिल पड़ रहे भारत-रूसी रिश्तों में बढ़ेगी गर्मजोशी

मॉस्को विक्ट्री डे परेड में पहली बार मार्च करेगी भारतीय सैन्य टुकड़ी
कविता जोशी.नई दिल्ली

बीते कुछ समय से तेजी से बढ़ रहे भारत-अमेरिका संबंधों के बीच शिथिल पड़ते दिखाई दे रहे भारत और रूस के रिश्तों में एक बार फिर गर्माहट लौटने वाली है। इसके लिए मौका होगा अगले महीने की 9 तारीख को रूस के लाल चौक पर होने वाली ‘मॉस्को विक्ट्री डे परेड’ का। इसमें पहली बार भारतीय सेना की टुकड़ी रूसी रणबांकुरों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए मार्च करती हुई नजर आएगी।

यहां रक्षा मंत्रालय में मौजूद सेना के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि यह पहला मौका है जब रूसी विक्ट्री डे परेड 2015 में भारतीय सेना की टुकड़ी भाग लेगी। यह टुकड़ी थलसेना की ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट की होगी, जिसके करीब 70 जवान परेड में हिस्सा लेंगे। यहां बता दें कि वर्ष 1779 में बनी ग्रेनेडियर्स ने आजादी से पहले तीन विक्टोरिया क्रॉस जीते थे और आजादी के बाद इस रेजीमेंट के नाम तीन परमवीर चक्र दर्ज हैं। गौरतलब है कि इसी वर्ष के मध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी रूस का दौरा करेंगे।

राष्ट्रपति भी जाएंगे रूस
परेड में हिस्सा लेने के लिए भारत की ओर से खासतौर पर भारतीय सेनाओं के शीर्ष कमांडर प्रणब मुखर्जी भी रूस के लाल चौक जाएंगे। वर्ष 2010 से पहली बार किसी विदेशी टुकड़ी के इस परेड में हिस्सा लेने की शुरूआत हुई। अब तक इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाड़ा और पोलैंड जैसे देशों की सैन्य टुकड़ियां शामिल हो चुकी हैं। 2015 में यह सम्मान भारतीय सेना को मिलेगा।

नाजी जर्मनी पर जीत का उत्सव
रूस हर साल 9 मई को विक्ट्री डे परेड का आयोजन नाजी जर्मनी पर दूसरे विश्व युद्ध में अपनी जीत के जश्न के रूप में मनाता है। विक्ट्री डे परेड का पहला समारोह 1945 में आयोजित हुआ था। 1945 में 9 मई को ही जर्मन सेना ने रूस के सामने अपने हथियार डाले थे। 20वें (वर्ष 1965) और 40वें (वर्ष 1985) समारोह का छोड़कर बाकी समय कभी भी सैन्य परेड का आयोजन नहीं किया गया था। इस परंपरा की शुरूआत वर्ष 1995 से हुई।

क्रीमिया विवाद से पश्चिमी देशों ने बनाई दूरी
परेड में दुनिया के करीब 26 शीर्ष नेताआें के शिरकत करने की संभावना है। वर्ष 2015 की यह परेड रूस के इतिहास में हुई सबसे भव्य परेड हो सकती है। रूस द्वारा क्रीमिया पर किए गए हमले से नाराज पश्चिम देश इस बार परेड में हिस्सा लेने से कतरा रहे हैं। इन देशों ने वर्ष 2010 में हुई परेड में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल का 10 मई को मॉस्को का पहले से प्रस्तावित दौरा है। लेकिन वो भी विक्ट्री डे परेड के अगले दिन ही मॉस्को पहुंचेंगी।

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