शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति-सुरक्षा के लिए जापान-भारत दोस्ती जरूरी

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

भारत और जापान के मजबूत संबंधों का लाभ दोनों देशों के राष्ट्रीय हित के लिए ही नहीं बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र से लेकर हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह बातें सोमवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात के दौरान कही। यहां बता दें कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के तीन दिवसीय जापान दौरे की शुरूआत हो चुकी है। इसमें सोमवार को पहले दिन उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे और जापान के रक्षा मंत्री जनरल नकातानी से भी मुलाकात की। रक्षा मंत्री 1 अप्रैल को भारत वापस लौटेंगे। यहां बता दें कि भारत, जापान से करीब 12 यूएस-2 एंफीबियस जहाज (जमीन और जल में कार्य करने में सक्षम) खरीदने का सौदा कर सकता है। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि रक्षा मंत्री अपनी यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर भी जापानी अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे।

रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जापानी पीएम ने कहा कि वो भारत के साथ आर्थिक क्षेत्र के अलावा रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी मजबूत संबंध बनाने के इच्छुक हैं। साथ ही उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति-सुरक्षा बनाए रखने के लिए भी दोनों देशों के संबंधों को महत्वपूर्ण बताया। उधर दोनों रक्षा मंत्रियों ने अपनी मुलाकात के दौरान एक-दूसरे को अपने आसपास की सुरक्षा परिस्थितियों और रक्षा नीतियों से वाकिफ करवाया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिस्थिति के मद्देनजर एशिया-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र के सामरिक परिदृश्य की भी समीक्षा की।

गौरतलब है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण छोरों दक्षिणी-चीन सागर और पूर्वी-चीन सागर में तेजी से बढ़ती चीनी गतिविधियों को लेकर भी जापान बेहद चिंतित है। एक ओर चीन ने द.चीन सागर के सभी द्वीपों पर नौ लघु रेखाएं खींचकर (नाइन डैश लाइंस) अपनी अकेली संप्रभुत्ता घोषित कर दी है, जिससे उसका बू्रनेई, फिलीपींस और ताइवान जैसे देशों के साथ उसका विवाद चल रहा है। वहीं पूर्वी चीन सागर में सेंकाकू द्वीपों पर अधिकार को लेकर जापान और चीन के बीच तनातनी चल रही है। इन दोनों इलाकों की सामरिक महत्ता बहुत ज्यादा है। क्योंकि इन जगहों से होकर दुनिया का आधे से अधिक व्यापार होता है। दोनों रक्षा मंत्रियों ने बीते वर्ष सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान रक्षा के क्षेत्र में हुए सहयोग
समझौते का भी स्वागत किया। जापानी रक्षा मंत्री अगले वर्ष 2016 में भारत का दौरा करेंगे।

मुलाकात के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद जापान पहला देश है, जिसका उन्होंने दौरा किया है। उन्होंने कहा कि वो रक्षा उपकरणों और तकनीक के मामले में जापान के साथ सशक्त साझेदारी बनाने के इच्छुक हैं।

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