शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

जल्द ही एयर डिफेंस सिस्टम से लैस होगा ‘विक्रमादित्य’

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
भारत के विमानवाहक युद्धपोत को जल्द ही उसका अपना एयर डिफेंस सिस्टम मिलेगा। इसके लिए नौसेना अपने गोदावरी श्रेणी के पोत से इजराइली बराक मिसाइल सिस्टम को लेकर विक्रमादित्य पर लगाने की योजना बना रही है। यह पोत जल्द ही नौसेना की सेवा से बाहर (डिकमीशंड) होने वाला है। यहां बृहस्पतिवार को नौसेना के एक कार्यक्रम से इतर वाइस एडमिरल ए.वी.सूबेदार (कंट्रोलर आॅफ वॉरशिप प्रोडक्शन एंड एक्युजिशन) ने कहा कि हमारी योजना के मुताबिक हम अपने एक पोत में लगे सिस्टम को विक्रमादित्य में स्थानांतरित कर लगाना चाहते हैं। अभी यह सिस्टम पूरी तरह से कार्य कर रहा (आॅपरेशनल) है। दो साल पहले रूस से भारत पहुंचने के बाद अब तक विक्रमादित्य में अपना आत्मरक्षक हथियार तंत्र नहीं लगाया गया है। जब यह रूस से भारत पहुंचने की समुद्री यात्रा मार्ग पर था तब इसे भारत से गए दो जंगी जहाजों और विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विराट ने सुरक्षा कवच प्रदान किया था।

इस एयर डिफेंस सिस्टम को एक छोटी मरम्मत के साथ नौसेना के नवनिर्मित अड्डे कारवार में लगाया जाएगा। यहां बता दें कि विक्रमादित्य पर कम दूरी पर आने हवाई हमलों का जवाब देने की भी क्षमता मौजूद नहीं है। क्योंकि विमानवाहक युद्धपोत में अपना क्लोज इन वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) नहीं है। इस मरम्मत कार्य के दौरान ही गोदावरी श्रेणी के पोत सीआईडब्ल्यूएस सिस्टम विक्रमादित्य में लगाया जाएगा।

गौरतलब है कि विक्रमादित्य की लंबाई 284 मी., बीम 60 मी. है। जहाज में कुल 1600 लोग काम कर रहे हैं। संचालन क्षमता भ्‍ाी विक्रमादित्य की काफी ज्यादा है। इसे रोजाना लाखों में अंडे, 20 हजार लीटर दूध और 16 टन चावल की हर महीने जरूरत होती है। अपने राशन के पूरे स्टॉक के साथ विक्रमादित्य समुद्र में करीब 45 दिन देश की तटीय सीमाओं की मुस्तैदी से सुरक्षा कर सकता है। 

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