शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यूएन शांति मिशन में भारत को हो निर्णय का अधिकार: सुहाग

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

संयुक्त राष्ट्र के तहत दुनिया के हिंसाग्रस्त इलाकों में तनाव खत्म करने के लिए भेजी जाने वाली शांति सेनाओं के मुद्दे पर अब भारत को भी निर्णय लेने का अधिकार मिल सकता है। इस बाबत भारत सरकार की ओर से तैयार एक वृहद प्रस्ताव को हाल ही में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के समक्ष पेश कर दिया है। जल्द ही यूएन की ओर से इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

निर्णय में हो भागीदारी
यहां रक्षा मंत्रालय में मौजूद थलसेना के सूत्रों ने कहा कि बीते मार्च महीने में सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के न्यूयार्क दौरे में इस बारे में जरूरी तथ्य यूएन के साथ साझा किए गए। जनरल सुहाग ‘चीफ्स आॅफ डिफेंस कांफ्रेंस’ में भाग लेने के लिए 26 और 27 मार्च को यूएन मुख्यालय न्यूयार्क गए थे। उन्होंने सम्मेलन में दिए अपने संबोधन की शुरूआत में ही यूएन शांति मिशन सेना से जुड़े निर्णय संबंधी मामलों से जुड़े विभिन्न मंचों पर भारत की भागीदारी किए जाने का मुद्दा पुरजोर ढंग से उठाया। गौरतलब है कि भारत की एशियाई देशों में संख्याबल के हिसाब से संयुक्त राष्ट्र शांति सेना मिशन के तहत तेजी जाने वाली फौज के मामले में बड़ी भागीदारी है। लेकिन सेनाओं से जुड़े तमाम मुद्दों पर निर्णय लेने के मामले में बातचीत या इस तरह की अन्य प्रक्रिया में भारत को कोई भागीदारी यूएन की ओर से नहीं दी गई है। अब भारत की ओर से इसकी साफ तौर पर वकालत कर दी गई है।

110 देशों के सेनाप्रमुख हुए शामिल
सूत्र ने कहा कि सम्मेलन में दुनिया के करीब 110 देशों के सेनाप्रमुख शामिल हुए। इसमें अमेरिका, चीन, जर्मनी, फ्रांस, कनाड़ा, रूस शामिल हैं। सम्मेलन में पाकिस्तान के सेनाप्रमुख शामिल नहीं हुए थे। उनकी ओर से ले.जनरल रैंक के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को सम्मेलन में भेजा गया था। भारत इस मिशन के तहत भेजी जाने वाली सेना में सर्वाधिक योगदान करता है। आंकड़ों के हिसाब से भारत ने इन मिशनों के लिए 1 लाख 80 हजार फौज की रवानगी की हुई है। यह लोग यूएन के करीब 12 शांति अभियानों में मुस्तैदी से तैनात हैं। सेनाप्रमुख ने कहा कि भारत, यूएन के सिद्धांतों का पूरी ईमानदारी से पालन करता है। इसमें हिंसाग्रस्त इलाके की गहन पड़ताल के बाद आत्मरक्षा में फौज का इस्तेमाल करना भी शामिल है।

भारत का योगदान
भारत का योगदान पाकिस्तान और बांग्लादेश के बाद तीसरी सबसे बड़ी फौज के रूप में है। भारत के यूएन शांति मिशन में अभी 7 हजार 200 जवान तैनात हैं। इनमें कांगो, दक्षिणी-सूडान, लेबनान, गोलान हॉइट्स में भारतीय सैनिकों की टुकड़ियां लगी हैं। इराक, आॅइवरी-कोस्ट, सूडान, सोमालिया और पश्चिमी-सहारा में पर्यवेक्षक (आॅब्जर्वर) और स्टॉफ अधिकारी तैनात हैं।


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