शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

वायुसेना के इन हवाईअड्डों से कैसे होंगे दुश्मन से दो-दो हाथ

वायुसेना के हवाईअड्डों के पुर्ननिर्माण कार्य पर आॅडिट बम का धमाका

कविता जोशी.नई दिल्ली
देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा में सदैव तत्पर रहने वाली भारतीय वायुसेना के हवाईअड्डों (एयरबेस) की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि अगर आज की तारीख में दुश्मन हमला कर दें तो उससे दो-दो हाथ करना मुश्किल हो जाए। इस तथ्य का खुलासा रक्षा मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2014-15 में उद्घघाटित किए गए आॅडिट के अंशों में हुआ है। आॅडिट के तथ्यों की पड़ताल के दौरान पता चलता है कि वायुसेना के 10 हवाईअड्डों के पुर्ननिर्माण के लिए कार्य का वितरण देरी से हुआ। इसमें खासकर हवाईअड्डों के सबसे महत्वपूर्ण अंग माने जाने वाले रनवे के पुर्ननिर्माण कार्य और ब्लास्ट पैन (यह वो स्थान है जहां लड़ाकू या अन्य विमानों को दुश्मन की पैनी निगाहों से सुरक्षित रखा जाता है) से जुड़े कार्य में बहुत विलंब हुआ। इससे समय की बर्बादी और लागत में कई गुना इजाफा हुआ।  

आॅडिट की टिप्पणियां
रिपोर्ट में वायुसेना के हवाईअड्डों की पुर्ननिर्माण कार्यप्रणाली की सुस्त रफ्तार पर कड़ा प्रहार किया गया है। कार्य के वितरण के बाद अचानक हवाईपट्टी के डिजाइन में बदलाव किए गए जिससे समय और कीमत यानि लागत में सीधे इजाफा हुआ।

तीन हवाईअड्डों के रनवे मरणासन्न
वायुसेना के तीन हवाईअड्डों के रनवे मरणासन्न हालत में हैं। इनकी स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि यहां से लड़ाकू विमानों का आॅपरेट करना नामुकिन हो गया है। यहां बता दें कि वायुसेना के सभी हवाईअड्डों में रनवे की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रनवे से ही वायुसेना के विमान (लड़ाकू, परिवहन, हेलिकॉप्टर) शांतिकाल और युद्धकाल में अपने सभी अभियान चलाते हैं।

वायुसेना की 7 कमांड और 60 हवाईअड्डे
वायुसेना की देश में कुल 7 आॅपरेशनल कमांड हैं, जिनमें से नई दिल्ली स्थित पश्चिमी कमांड सबसे बड़ी कमांड है। इसमें कुल 16 हवाईअड्डे आते हैं। पूर्वी कमांड में वायुसेना के 15 हवाईअड्डे आते हैं। केंद्रीय कमांड में 7 हवाईअड्डे, दक्षिणी-कमांड में 9 हवाई अड्डे और दक्षिणी-पश्चिमी कमांड में 12 हवाईअड्डे आते हैं। पश्चिमी-कमांड में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, हिप्र और यूपी का कुछ इलाका आता है। पूर्वी कमांड में पूर्वोत्तर के राज्य आतें हैं। केंद्रीय कमांड में यूपी, मप्र और केंद्रीय भारत के आस-पास का कुछ इलाका आता है। दक्षिणी-कमांड में द.भारतीय राज्यों के अलावा अंडमान-निकोबार के दो हवाईअड्डे भ्‍ाी आते हैं। द.पश्चिमी कमांड में गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य आते हैं। द.कमांड में पड़ने वाले हवाईअड्डों की सामरिक महत्ता अन्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है। क्योंकि भारत के शत्रु राष्ट्र पाकिस्तान की नाक के नीचे से सीधे आॅपरेट करते हैं।  
   
गुणवत्ता की कमियों से भरा कार्य
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि वायुसेना ने रनवे पुननिर्माण कार्य के दौरान जिस कांट्रेक्टर को कार्य वितरित किया गया उसके कार्य की गुणवत्ता दोयम दर्जे की थी। साथ ही इस तमाम कार्य की निगरानी में भी ढिलाई बरती गई।         

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