शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

‘मेड इन पाकिस्तान’ लिखे ट्रैक सूट में था आतंकी?

कविता जोशी.नई दिल्ली
बीते सप्ताह जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्‍ट्रीय सीमा (आईबी) पर एक के बाद एक हुए दो आतंकवादी हमलों को लेकर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा उठाए गए सवाल का सोमवार को रक्षा मंत्रालय ने जवाब दिया है। इसमें कहा गया है कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि यह दोनों हमले पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने ही किए हैं। दरअसल शनिवार को सांबा में हुई घटना के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर एक ट्वीट करके इन दोनों हमलों को लेकर अस्पष्टता जाहिर की थी। उनके इस ट्वीट से यह सवाल तुरंत उठता हुआ नजर आ रहा था कि यह दोनों घटनाएं वाकई में आतंकवादी द्वारा किए गए हमले थे या कुछ और। हमलों के बाद लश्करे तैयबा आतंकी संगठन ने इनकी जिम्मेदारी भी ले ली थी।

मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दोनों हमलों में मारे गए चार आतंकवादियों की घटना के बाद चार गीली पेंटें और 4 गीले जूते बरामद किए गए हैं। चारों पेंटें ट्रैक-सूट का हिस्सा थीं। यह सामान पठानकोट के पुलिस स्टेशन के सुपुर्द किया गया है। इन चार पेंटों में से एक पर ‘मेड इन पाकिस्तान’ का लोगो लगा हुआ है। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वो आतंकी पाकिस्तान से आए थे और उन्हें पाक का पूरा-पूरा समर्थन हासिल था।

सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद जब्त की गई चार पेंटों में से तीन पर मेड इन फॉरन यानि विदेशी का लोगो लगा हुआ था और एक पेंट पर मेड इन पाकिस्तान का लोगो था। पूरे लोगो में क्रमवार इस तरह से लिखा हुआ था। 80 फीसदी कॉटन, 20 प्रतिशत पॉलिस्टर, मेड इन पाकिस्तान, ओवर फॉर केयर। यह चारों ट्रैक सूट ही थे।

प्रथम विश्व युद्ध की प्रदर्शनी देखने पहुंचे बासित
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
राजधानी के मानेकशॉ सेंटर में प्रथम विश्वयुद्ध को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी को देखने के लिए सोमवार को करीब 50 देशों के राजनयिक पहुंचे। इस दल में भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित भी मौजूद थे। यहां बता दें कि पहले इस तरह की खबरें आ रही थी कि बासित, मानेकशॉ सेंटर में चल रही प्रदर्शनी को देखने के लिए नहीं जाएंगे। क्योंकि 23 मार्च यानि सोमवार को पाक का राष्ट्रीय दिवस होता है। उसे लेकर भी उन्होंने कार्यक्रम आयोजित किए थे। इस अवसर पर राजधानी में जम्मू-कश्मीर के कई अलगाववादी नेताआें ने भी बासित से मुलाकात की।

प्रथम विश्व के समय देश का बंटवार नहीं हुआ था। उस वक्त ब्रितानी साम्राज्य की रक्षा के लिए भारत की ओर से भेजी गई स्वैच्छिक सेना में कुल 11 शहीदों को उस वक्त का सर्वोच्च सैन्य सम्मान विक्टोरिया क्रॉस मिला था। इसमें से तीन क्र ॉस आजादी के बाद पाकिस्तान चले गए और दो नेपाल। 6 भारत के पास रह गए थे। लेकिन मानेकशॉ सेंटर में सभी 11 शहीदों के प्रदर्शनी में स्टेचु लगाए गए हैं। यह प्रदर्शनी 25 मार्च तक चलेगी। 

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