मंगलवार, 17 मार्च 2015

चार शीर्ष आईआईटी संस्थानों को निर्देशकों की दरकार

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

उच्च-शिक्षा के मामले में सकल नामाकंन दर (जीईआर) बढ़ाने से लेकर सरकार शिक्षा के मामले में चाहे कितनी ही आकर्षक घोषणाआें की झड़ी लगाने की मंशा पाले हो। लेकिन दूसरी ओर एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि देश के तकनीकी शिक्षा के 4 शीर्ष प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में निर्देशकों के पद बीते लगभग सालभर से खाली पड़े हैं। यह जानकारी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में सांसद प्यारीमोहन महापात्र के प्रश्न के लिखित जवाब में दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईआईटी रोपड में निर्देशक का पद बीते वर्ष 1 जून से खाली है। आईआईटी इंदौर में निर्देशक का पद इसी वर्ष 1 जनवरी से खाली है। इसके अलावा आईआईटी पटना में निर्देशक का पद बीते वर्ष 18 जुलाई और आईआईटी भुवनेश्वर में निर्देशक का पद बीते वर्ष 18 अगस्त से खाली पड़ा हुआ है।

उन्होनें सदन को बताया कि आईआईटी रोपड़, भुवनेश्वर, खड़गपुर और कानपुर में निर्देशक के अलावा रजिस्ट्रार के पद भी खाली पड़े हुए हैं। गौरतलब है कि बीते वर्ष 1 जनवरी से आईआईटी में स्वीकृत फैकेल्टी की संख्या 6 हजार 944 है। इसमें से 4 हजार 308 पद भरे गए हैं और 2 हजार 636 पद खाली पड़े हुए हैं। आईआईटी पटना में भी रजिस्ट्रार नहीं है। लेकिन वहां इस पद को भरे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आईआईटी खड़गपुर में रजिस्ट्रार का चयन किया गया है। कानपुर में भी चयन प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

ईरानी ने कहा आईआईटी निर्देशकों की नियुक्ति दो चरणों से होकर गुजरती है। चयन समिति के सामने आवेदन करने वाले निर्देशक के प्रदर्शन का मूल्याकंन किया जाता है। अगर उनका प्रदर्शन संतोषजनक पाया जाता है तो उन्हें एक और सत्र के लिए नियुक्ति दे दी जाती है। यदि प्रदर्शन संतोषजनक ना हो तो पद को विज्ञापित कर चयन प्रक्रिया का दूसरा चरण आरंभ किया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में 6 महीने का समय लगता है। रजिस्ट्रार के मामले में आईआईटी के पास पद को स्वयं भरने का अधिकार है। 

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