रविवार, 22 मार्च 2015

दो वर्षों में 35 बार हवा में बंद हुए सुखोई के इंजन

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

बीते दो वर्षों के दौरान कई बार वायुसेना के अग्रणी पंक्ति के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई के इंजन में खराबी की खबरों ने रक्षा मंत्रालय के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। इंजन में इन समस्याआें को लेकर रूस से लगातार विचार-विमर्श किया जा रहा है। यहां मंगलवार को राज्यसभा में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सांसद डॉ.चंदन मित्रा के प्रश्न के जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया कि सुखोई-30 एमकेआई विमानों के बीच हवा में इंजन बंद होने या फिर इंजन संबंधी समस्याआें की बीते जनवरी 2013 से दिसंबर 2014 तक कुल 35 घटनाएं हुई हैं।

विमान के अपने बेस से उड़ान भरने के बाद इंजन में होने वाली समस्याआें से तकनीकी मामलों को नियंत्रित रखने और इनका निराकरण करने के लिए मूल रूसी उपस्कर विनिर्माता (ओईएम) ने कई उपाय शुरू किए हैं। ओईएम ने एरोइंजनों के उपयोग के दौरान एहतियाती-संभावित रखरखाव संबंधी क्रियाकलापों का परामर्श दिया है। पर्रिकर ने सदन को बताया कि ओईएम ने नए एरोइंजनों के उत्पादन में और इंजनों के ओवरहॉल के दौरान कार्यान्वयन के लिए 9 संशोधनों या प्रौद्योगिकीय सुधारों का प्रस्ताव दिया है।

उन्होंने कहा कि बारंबार फेल होने वाले कलपुर्जों के लिए मूल रूसी उपस्कर विनिर्माता के साथ मिलकर प्रचालनात्मक विश्वसनीयता सुधार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रचालनात्मक उपयोग के लिए विमानों की उपलब्धता में सुधार करने के लिए वायुसेना ने भी मूल रूसी उपस्कर विनिर्माता के साथ दीर्घकालिक मरम्मत समझौतों को अंतिम रूप दिया है। ओईएम की सलाह के हिसाब से वायुसेना द्वारा एरोइंजनों के उपयोग के दौरान संभावित रखरखाव का कार्यान्वयन किया गया है। इसके अलावा संशोधित प्रौद्योगिकी युक्त 25 नए इंजनों की रूस से अधिप्राप्ति की गई है।

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