मंगलवार, 17 मार्च 2015

महिला दिवस पर सम्मनित हुई हरियाणा-मप्र की नारियां

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यहां राजधानी में वितरित किए गए स्त्री शक्ति और नारी शक्ति पुरस्कारों में दो पुरस्कार हरियाणा और मध्य-प्रदेश को मिले हैं। यहां एक कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने नारी शक्ति पुरस्कार हरियाणा की लत्तिका थुकराल को दिया। मध्य-प्रदेश की सीमा प्रकाश को नारी शक्ति श्रेणी में केंद्रीय मंत्री ने पुरस्कृत किया। स्त्री शक्ति पुरस्कार मप्र को 1, राजस्थान को 2, केरल को 1, महाराष्ट्र को 1 और गोवा को 1 पुरस्कार मिला है। नारी शक्ति पुरस्कार दिल्ली-तमिलनाडु को 2-2 पुरस्कार, यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड को 1-1-1 पुरस्कार मिला है। दिल्ली की रशमी आनंद और नेहा कीरपल को पुरस्कृत किया गया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक लत्तिका थुकराल आई एम गुडगांव (आईएमजी) गैर-सरकारी संगठन की सहसंस्थापकों में से एक हैं। इसके अलावा उन्होंने अरावली बॉयोडायवर्सिटी पार्क प्रोजेक्ट, मिलियन ट्रीज गुडगांव और राहगिरी मूवमेंट की शुरूआत की है। आई एम गुडगांव संगठन की 2008 में स्थापना के बाद ही यह लगातार बढ़ रहा है और गुडगांव के लोगों के जीवन से जुड़े हर पहलु पर सकारात्मक ढंग से काम कर रहा है। संगठन की ओर से शुरू किए गए राहगिरी मूवमेंट में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी काम किया गया है। सत्तत विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है। पर्यावरण के लिए बेहतर यातायात के संसाधनों के प्रयोग पर यह जोर देता है। आज यह संगठन गुडगांव में बेहद सफल है। बाकी शहरों में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। लत्तिका ने सिटीबैंक में 18 साल नौकरी करने के बाद अपनी आकर्षक नौकरी
को छोड़कर मानव सेवा की भावना से इस कार्य को शुरू किया और आज उनका यह प्रयास गुडगांव के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे रहा है।

मध्य-प्रदेश की सीमा प्रकाश को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने नारी शक्ति श्रेणी में रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया। सीमा प्रकाश मप्र की पिछड़ी हुई कारकू जाति को बचाने के लिए वर्ष 2000 से लगातार काम कर रही हैं। यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है और इनके बच्चों में पोषक आहारों की कमी की वजह से कुपोषण, घरेलू समस्याएं और माइग्रेशन जैसी समस्याएं बहुत ज्यादा देखने को मिलती हैं। सीमा के संगठन स्पंदन समाज सेवा समिति कारकू जाति के लिए बीते एक दशक से अधिक समय से काम कर रही हैं।

उन्होंने आंगनवाड़ी केंद्रों को बच्चों की सुविधाओं के हिसाब से विकसित करने के उद्देश्य से करीब 100 केंद्रों को कपड़े, खिलौने और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध करवाया है। इसके अलावा गूंज एनजीओ की मदद से छोटे बच्चों के लिए कारकू भाषा में ही पढ़ाई की सामग्री भी तैयार करवाई हैं। रोजाना मजदूरी करने वाली महिलाओं के लिए 10 सामुदायिक क्रेचों की स्थापना भी सीमा ने की है, जिसमें इनके तीन साल से छोटे बच्चों को रखा जाता है। इन्होंने जाति की अपनी यानि कारकू भाषा में ही पठन सामग्री विकसित करके इनके विकास में सराहनीय योगदान दिया है। सीमा ने जाति के लिए 40 ग्रेन बैंकों की स्थापना भी की है और क्लॉथ फॉर वर्क नामक एक आकर्षक योजना भी शुरू की है।

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