रविवार, 14 दिसंबर 2014

स्वच्छ भारत अभियान का पटरी पर दौड़ाना दूर की कौड़ी!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार को सत्ता संभाले आधा वर्ष बीत चुका है। लेकिन शुरूआती दौर में उनके द्वारा घोषित की गई बड़ी-बड़ी योजनाएं यर्थाथ के धरातल से आज भी कोसों दूर बनी हुई हैं। इनमें से एक ‘स्वच्छ भारत अभियान’ है जिसे लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन में कहा था कि इस अभियान के जरिए देश के कौने-कौने में स्वच्छता की अलक जगाई जाएगी और हर सरकारी स्कूल में शौचालय का निर्माण किया जाएगा। इन सबके उलट हकीकत पर नजर डाली जाए तो अब तक 2 लाख से ज्यादा सरकारी स्कूलों में शौचालय नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों में स्वच्छता और शिक्षा को लेकर शासकीय गंभीरता के पैमाने को आसानी से मापा जा सकता है। हालांकि सरकार ने शौचालय निर्माण की इस योजना के लिए सार्वजनिक व निजी क्षेत्र से गुहार लगाई है। इसमें एक वर्ष के अंदर सभी स्कूलों में शौचालय उपलब्ध कराने के राष्टीय आवाहन के बाद अब तक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कारपोरेटों ने 1 लाख 58 हजार 503 शौचालय बनाने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। ऐसे में शेष बचे 6 महीनों में शौचालय निर्माण का यह सपना दूर की कौड़ी बनता हुआ नजर आ रहा है।

सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत 73 हजार 746 शौचालय और आरएमएसए के तहत 2 हजार 477 शौचालय स्वीकृत किए हैं। लोकसभा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में सांसद के.सी.वेणुगोपाल और अरविंद सावंत के प्रश्न के जवाब में इस बात की तस्दीक करते हुए कहा कि एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) 2.13-14 के हिसाब से 2.03 लाख सरकारी स्कूलों में शौचालय सुविधा नहीं है। 54 हजार 553 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधाएं नहीं है और 5.57 लाख स्कूलों में बिजली कनेक्टिविटी नहीं है। इन सुविधाआें की कमी वाले स्कूलों में छत्तीसगढ़ के 10 हजार 214 स्कूलों में शौचालय नहीं है, 22 हजार 427 में बिजली की कमी है, 2 हजार 271 स्कूलों में पानी की सुविधा नहीं है। हरियाणा में 905 स्कूलों में शौचालय, 214 में बिजली और 29 में पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। मध्य-प्रदेश में 16 हजार 307 स्कूलों में शौचालय का पता नहीं, 98 हजार 290 में बिजली का कोई सुराग नहीं है और 4 हजार 953 में पीने के पानी की सुविधा नहीं है।

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