मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों का टोटा.....

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

देश के प्रमुख 39 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के 1244 पद रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे में केंद्र द्वारा उच्च-शिक्षा में सकल नामाकंन दर (जीईआर) को बढ़ावा देने की योजना धरातल में साकार होती हुई दिखाई नहीं देती। हालांकि कु छ महीने पहले सत्ता पर काबिज हुई केंद्र सरकार विश्वविद्यालयों में किसी भी कीमत पर गुणवत्ता प्रभावित ना होने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। इतने सारे पदों का रिक्तता के पीछे कई लोगों का एकसाथ सेवानिवृत होना भी बड़ा कारण बनकर उभरा है। इसके अलावा इन पदों को एक तय सीमा तक भरने की कोई तारीख का ना होने से भी संकट गहरा गया है। यह जानकारी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को राज्यसभा में सांसद संजय सिंह के प्रश्न के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि इन रिक्तियों के पीछे सही उम्मीदवारों का ना मिलना, 11वीं योजना के विस्तार के तहत प्रोफेसरों के अतिरिक्त पदों की दी गई स्वीकृ ति, छात्रों की संख्या में इजाफा होना जैसे कारण शामिल हैं। इसके अलावा कई राज्यों द्वारा नई नियुक्तियों को भरने को लेकर लगाया गया प्रतिबंध भी इसके लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इन रिक्तियों को भरने के लिए केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की सेवानिवृति की उम्र 62 से 65 वर्ष कर दी है। यूजीसी द्वारा सभी संस्थानों को जल्द से जल्द खाली पदों को भरने को कहा गया है। शिक्षकों को सेवानिवृति के बाद कांट्रेक्ट के आधार पर 70 वर्ष की आयु तक शिक्षकों की नियुक्ति करने को कहा गया है। गेस्ट फेकेल्टी और कांट्रेक्ट के आधार पर नियुक्तियों को भी स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा विश्वविद्यालयों में विज्ञान शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने के लिए शोध अनुदान राशि में इजाफा किया गया है। अंतरराष्टीय सम्मेलनों में शोधपत्र प्रस्तुत करने के लिए अनुदान देना, शोध को बढ़ावा देने के लिए अनुदान राशि में इजाफा करना भी शामिल है। राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में फेकेल्टी की ज्यादा समस्या है। इससे निपटने के लिए केंद्र ने राष्टीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) अभियान को मंजूरी दी थी। इसमें 12वीं योजना में नई फेकेल्टी के लिए 5 हजार करोड़ रूपए का आवंटन किया जाएगा।

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