रविवार, 17 मई 2015

पर्रिकर ने तेजपुर में सेना की रणनीतिक तैयारियों की समीक्षा की

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के उत्तर-पूर्व के दौरे की शुक्रवार को आधिकारिक शुरूआत हो गई। वहां पहुंचने पर सबसे पहले उन्होंने थलसेना की पूर्वी कमांड के प्रमुख लेफ्टीनेंट जनरल एमएमएस राय और तेजपुर में पड़ने वाली चौथी कोर के कमांडर ले जनरल शरत चंद से मुलाकात की। दोनों अधिकारियों ने रक्षा मंत्री को पूर्वोत्तर में सेना की सैन्य-रणनीतिक तैयारियों और चुनौतियों के बारे में विस्तार से रूबरू कराया। रक्षा  मंत्री के साथ उनके दो दिवसीय पूर्वोत्तर दौरे में गृह राज्य मंत्री किरिन रिजिजू भी गए हैं। शुक्रवार को ही चीन से लगी पश्चिमी-सीमा के चुशूल पर चीनी सेना के अधिकारियों ने सेना के अधिकारियों के साथ अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर मुलाकात की।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि शनिवार को रक्षा मंत्री अरूणाचल-प्रदेश के तवांग के लिए रवाना होंगे। तवांग उनके दौरे का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। क्योंकि सामरिक-रणनीतिक लिहाज यह सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण ठिकाना है। पर्रिकर तवांग युद्ध स्मारक देखेंगे और सेना की वास्तविक नियंत्रण रेखा के बेहद करीब पड़ने वाली फॉरवर्ड पोस्ट भी जाकर जवानों से मुलाकात करेंगे। रक्षा मंत्री का बूमला जाने का भी कार्यक्रम है।

यहां बता दें कि बूमला भारत और चीन के बीच उत्तर-पूर्व में पड़ने वाला बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) करने का स्थान है। यहां सालाना मौकों से लेकर सीमा पर एक-दूसरे के साथ विवाद की स्थिति में भी बैठक की जाती है। यहां से रक्षा मंत्री ईटानगर के लिए रवाना होंगे और वहां अरूणाचल-प्रदेश के गर्वनर से लेफटीनेंट जनरल निर्भय शर्मा से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वो जोरहाट होते हुए दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। उधर लद्दाख के चुशूल में दोनों सेनाओं के बीच हुई बीपीएम की बैठक में सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर जोर दिया गया। विवादपूर्ण स्थितियों का हल बातचीत से निकालने पर जोर दिया गया। बैठक में भारत की ओर से ब्रिगेडियर जेके.एस विजिसविक्र के नेतृत्व में सैन्य अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने अपने चीनी समकक्ष वरिष्ठ कर्नल फैं्र नजुन की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।

पूर्वोत्तर में सेना-वायुसेना के ठिकाने
पूर्वोत्तर में थलसेना की पूर्वी कमांड है, जिसका मुख्यालय पश्चिम-बंगाल में है। इस कमांड के तहत तीन अहम रणनीतिक कोर आती हैं। इनमें 3, 4 और 33 कोर चीनी खतरे से सीधे मुकाबले के लिए तैनात की गई हैं। आंकड़ों के हिसाब से यह करीब ढाई लाख फौज होती है। 3 कोर का मुख्यालय नागालैंड के दीमापुर में है, 4 कोर का मुख्यालय असम के तेजपुर में और 33 कोर का मुख्यालय पश्चिम-बंगाल के सिलिगुड़ी में है। पूर्वोत्तर में वायुसेना की पूर्वी कमांड भी तैनात है। इसमें तवांग में हेलिकॉप्टरों के उतरने के लिए हैलीपैड है। तेजपुर, जोरहाट में एयरफील्ड है और रंगिया में हैलिपैड है। यह वो इलाके हैं जहां रक्षा मंत्री अपनी यात्रा के दौरान जाएंगे।

पूर्वोत्तर में कमजोर है भारत?
पूर्वोत्तर में चीन से लगी सीमा पर अगर दोनों देशों के बीच सैन्य-रणनीतिक स्तर पर तुलना की जाए तो भारत के मुकाबले चीन बेहतर स्थिति में है। भारत की यहां सेना की 3 कोर और 10 डिवीजन तैनात हैं। इस आंकड़ें में लद्दाख की एक डिवीजन भी शामिल है। इसकी तुलना में अगर लड़ाई के हालात बनते हैं तो चीन एकसाथ लद्दाख से लेकर अरूणाचल सीमा तक अपनी सेना की कुल 32 डिवीजन ला सकता है। चीन का रेल-रोड़ संपर्क भारत की मुकाबले कई गुना सुदृढ़ है। जबकि हमारा निर्माण कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है।

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