रविवार, 17 मई 2015

बारामूला-त्राल में बड़े हमले की तैयारी में आतंकी
एलओसी के उस पर से घुसपैठ की फिराक में आतंकी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
अप्रैल के खत्म होते-होते जम्मू-कश्मीर की फिजा धीरे-धीरे अशांत होने की ओर बढ़ने लगी है। इसके पीछे पहाड़ों पर बर्फ के पिघलने को एक बड़ी वजह माना जाता है। यह आतंकियों के लिए सीमा पार कर सूबे में घुसने का सुनहरा समय होता है। सरकार के खुफिया ब्यूरो के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर के बारामुला और त्राल में बड़े आतंकवादी हमले हो सकते हैं। इसके लिए घाटी के अंदर और बाहर मौजूद आतंकियों ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।

यहां राजधानी में मौजूद सेना के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि आने वाला समय कश्मीरियों के लिए घाटी के अंदर से लेकर बाहर से संकटभरा रह सकता है। एक ओर आतंकवादी बारामूला और त्राल में बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर भारत और पाकिस्तान के बीच पड़ने वाली नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे इलाकों से बड़ी तादाद में आतंकी राज्य में प्रवेश कर बड़े हमले की जुगत लगाए बैठे हैं।

सूत्र ने कहा कि एलओसी के उस पार (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का इलाका) से आतंकवादी कृष्णा घाटी, बींबर गली और छंब-जरिया जैसे राज्य के इलाकों में घुसपैठ करने के लिए घात लगाए बैठे हैं। इन जगहों पर आतंकियों के करीब 3 समुह मौजूद हैं, जिनमें से प्रत्येक में 8 से 10 लोग शामिल हैं। यह संख्या आतंकियों और उनके सहायकों को मिलाकर है। समुह में 5 आतंकी और 1 हैंडलर, 1 गाइड, 1 सामान उठाने वाला व्यक्ति होता है। त्राल में आतंकी हमले के पीछे मंशा हाल ही में सेना द्वारा मारे गए युवक की मौत का बदला लेना हो सकता है। इस युवक को सेना ने आतंकवादी बताकर मारा था। जिसके बाद घाटी में हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। कई जगहों पर पत्थरबाजी की घटनाएं भी हुई थीं।

गौरतलब है इस साल आतंकवादियों ने बीते तीन महीने के दौरान एलओसी पार कर राज्य में घुसपैठ करने की 3 बार कोशिश की है। इसमें वो नाकाम रहे। सुरक्षाबलों ने उन्हें वापस खदेड़ दिया। वर्ष 2010 से लेकर 2014 तक कुल 425 आतंकी घुसपैठ के दौरान सफल हुए हैं। इस दौरान सुरक्षाबलों ने कुल 536 आतंकियों को मार गिराया। इसी दौरान आतंकियों से मुकाबला करते हुए कुल 127 सुरक्षाबलों की मौत हुई है। पश्चिमी-सीमा पर भारत और चीनी सेना की अहम बैठक होगी। यहां बता दें कि रक्षा मंत्री पूर्वोत्तर से पहले पाकिस्तान से लगी पश्चिमी-सीमा का दौरा कर चुके हैं। वहां वो श्रीनगर गए थे।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें