शनिवार, 13 जून 2015

निर्णयों में आयी तेजी लेकिन धरातल पर सन्नाटा!

अगले सप्ताह 26 मई को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्तासीन एनडीए सरकार को एक साल पूरा हो जाएगा। ऐसे में सरकार के एक बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले रक्षा मंत्रालय के रिपोर्ट-कार्ड पर अगर एक नजर डाले तो यह कहा जा सकता है कि नई सरकार के गठन के बाद इसमें कोई शक नहीं कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में काफी तेजी आयी है लेकिन वास्तविक्ता के इस धरातल पर इन निर्णयों का कोई प्रभाव अब तक दिखायी नहीं पड़ रहा है। मंत्रालय के भीतर भी इसे लेकर अच्छी-खासी चर्चा है। कई अधिकारी दबी जुबान में इस तथ्य को स्वीकार भी कर रहे हैं।

रक्षा मंत्रालय के सालाना कामकाज में जिन अहम परियोजनाआें को त्वरित मंजूरी दी गई लेकिन धरातल में उन्हें लेकर खामोशी बनी है, उसमें सशस्त्र सेनाओं के पूर्व अधिकारियों को दी जाने वाली वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को स्वीकृति दिए तो करीब आठ महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार ने यह घोषणा नहीं की है कि वो कब से इसका वितरण किया जाएगा या फिर ओआरओपी की मद में कितनी धनराशि वितरित की जाएगी को लेकर भी स्पष्टता नहीं है।

बीते कुछ समय से तो यह मामला रक्षा और वित्त मंत्रालय के बीच ही उलझा हुआ था। अब चर्चा है कि एक निश्चित धनराशि पर दोनों के बीच सहमति बन गई है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि ओआरओपी पर काम चल रहा है लेकिन इसकी घोषणा के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। मंत्रालय के अन्य फैसलों में राष्टÑीय युद्ध स्मारक बनाने को लेकर भी स्पष्टता नहीं बन पाई है। इसकी फाइल भी एक जगह से दूसरी जगह घूम रही है। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र सेनाओं के बीच तमाम मुद्दों को लेकर बेहतर समन्वय बनाने के लिए चीफ आॅफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) की नियुक्ति की घोषणा तो रक्षा मंत्री काफी समय पहले कर चुके हैं लेकिन कब होगी पर संशय बना हुआ है। इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (इंदू) की स्थापना का मामला भी पेडिंग है।

हालांकि इन 365 दिनों में अगर मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठकों में स्वीकृ त हुए समझौतों की बात करें तो करीब 1 लाख करोड़ रुपए के समझौतों को डीएसी ने मंजूरी दी है। लेकिन हकीकत में इन्हें अमलीजामा कब तक पहनाया जाएगा कहना मुश्किल है। रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि सैन्य-सामरिक समझौतों को मंजूरी मिलने के बाद भी उन्हें हकीकत में पूरा होने लंबा वक्त लगता है।

1 टिप्पणी:

  1. Government Jobs

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