शनिवार, 13 जून 2015

राज्य उठाएंगे एमडीएम योजना में कटौती का भार!

कविता जोशी.नई दिल्ली

स्कूल को लेकर बच्चों में रूचि बढ़ाने के मकसद से शुरू की गई मध्याहन भोजन योजना (एमडीएम) के बजट में कटौती करने के बाद अब केंद्र सरकार का यह कहना है कि इस कटौती का भार राज्यों को खुद उठाना पड़ेगा। मसलन अगर कोई राज्य या केंद्रशासित प्रदेश अपने यहां योजना के तहत काम करने वाले रसोइयों और हेल्परों को दिए जाने वाले मासिक मानदेय में इजाफा करना चाहते हैं तो इस बढ़ी हुई धनराशि का भुगतान उन्हें खुद ही करना होगा, केंद्र इसमें कोई मदद नहीं करेगा। केंद्र अब केवल एमडीएम योजना की निगरानी और सुरक्षा दिशानिर्देंशों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिससे मध्याहन भोजन को लेकर राज्य स्तर पर बरती जाने वाली अनियमितताआें और दुर्घटनाओं पर लगाम लगायी जा सकेगी।

यह जानकारी यहां मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से सरकार का एक साल पूरा होने के मौके पर वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग में सचिव एस.एन.मोहंती ने दी। उन्होंने कहा कि मध्याहन भोजन योजना नियमित रूप से चलती रहेगी। बजट में कटौती का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस योजना को केंद्र का संरक्षण लगातार जारी रहेगा। सरकार किसी भी कीमत पर इस योजना को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

आम बजट के आंकड़ों पर नजर डाले तो मौजूदा वित्त वर्ष 2015-16 में केंद्र की ओर से एमडीएम के बजट में करीब 30 फीसदी की कटौती की गई है। इस बार योजना के लिए सरकार ने 9 हजार 236.40 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। बीते वर्ष 2014-15 में बजट में एमडीएम को 13 हजार 215 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।

उच्च-शिक्षा सचिव ने कहा कि कई राज्यों की ओर से रसोइयों और हेल्परों को बढ़ाकर मानदेय दिया जा रहा है। बाकी राज्य भी इन राज्यों की तर्ज पर अपने यहां मानदेय बढ़ा सकते हैं। अभी केंद्र और राज्यों के बीच योजना को लेकर धनराशि का आवंटन उत्तर-पूर्व के राज्यों में 90 अनुपात 10 और बाकी राज्यों में 75 अनुपात 25 है। गौरतलब है कि एमडीएम योजना सर्व शिक्षा अभियान का ही हिस्सा है। देश में मिड-डे-मील योजना के तहत 10.45 करोड़ बच्चों को शामिल किया जा चुका है। 25.70 लाख रसोईयों और हेल्परों को इससे रोजगार मिल रहा है। इसके अलावा 6.70 लाख किचन और स्टोरों का निर्माण एमडीएम योजना के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया है।

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