कविता जोशी.नई दिल्ली
बीते लोकसभा चुनावों से ठीक एक साल पहले 23 मई 2013 को यूपीए सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा हरियाणा के बिनौला (गुडगांव)में ‘भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (इंदु)’ की जो नींव रखी गई थी अब वोे हकीकत में तब्दील नहीं हो सकेगा। क्योंकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित नई सरकार के पीएमओ विभाग की ओर से रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इंदु विश्वविद्यालय के गठन के लिए एक व्यापक कानून बनाने को कहा गया है, जिसके बाद ऐसी किसी परियोजना को हकीकत में अमलीजामा पहनाया जाएगा। पीएमओ की इस टिप्पणी से साफ है अब इंदु विश्वविद्यालय की परियोजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है।
ये कहता है पीएमओ का पत्र?
हरिभूमि की पड़ताल में यह जानकारी मिली है कि रक्षा मंत्रालय को भेजे गए पत्र में पीएम ने साफ कहा है कि रक्षा ही नहीं सरकार के किसी भी मंत्रालय को उच्च-शिक्षा से जुड़े किसी भी संस्थान को खोलने के लिए एक व्यापक कानून होना चाहिए। जिसके बाद इस तरह की कोई भी प्रक्रिया आगे बढ़ायी जानी चाहिए। जब तक यह व्यापक-विस्तृत कानून बनता है तब तक विभिन्न मंत्रालयों के ऐसे प्रस्तावों को जिन्हें संसद द्वारा कानून बनाकर स्थापित किया जाना है पर रोक लगी रहेगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि पीएमओ की ओर से यह पत्र मंत्रालय को बीते अप्रैल महीने में प्राप्त हुआ है।
साल के शुरूआत में अलग माहौल
इस वर्ष की शुरूआत यानि मार्च महीने में इस बात को लेकर चर्चाएं तेज थीं कि इंदु विश्वविद्यालय में इसी साल की शुरूआत से ही पहले शैक्षणिक सत्र 2015-16 की शुरूआत हो जाएगी। लेकिन इसके बाद अप्रैल महीने में पीएमओ की टिप्पणी के बाद अब परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं। पीएमओ की टिप्पणी से स्पष्ट है कि अब इंदु की स्थापना और संचालन फिलहाल दूर की कौड़ी बन गया है।
ऐसा होता इंदु का नक्शा
यूपीए सरकार द्वारा स्वीकार किए गए इस प्रस्ताव के मुताबिक गुड़गांव के बिनौला में 200 एकड़ में इंदु विश्वविद्यालय की नींव रखी जानी थी। इसमें देश की रक्षा-सुरक्षा को केंद्र में रखकर पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने थे। डिफेंस मैनेजमेंट, डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एमरजिंग सिक्योरिटी चैलेंजिज जैसे कोर्सेज शामिल किए गए थे। इसके अलावा रक्षा व सामारिक विषयों पर शोध कार्यों का भी खाका खींचा गया था।
प्रस्ताव के मुताबिक वॉर गैमिंग एंड स्मियुलेशन, नेबरहुड स्टडीज, काउंटर इंसरजेंसी एंड काउंटर टेरररिजम, चाइनीज स्टडीज, इवॉलुशन आॅफ स्ट्रेजिक थॉट, इंटरनेशनल सिक्योरिटी इशूज, मेरीटाइम सिक्योरिटी स्टडीज, साइथ ईस्ट एशियन स्टडीज, मैटीरियल एक्यूजीशन, जाइंट लॉजिस्टिक्स एंड नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी इन पीस एंड वॉर जैसे कोर्सेज शामिल थे। विश्वविद्यालय ने पोस्ट ग्रेजुएट और पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च भी छात्रों को कराने की योजना भी बनायी थी।
बीते लोकसभा चुनावों से ठीक एक साल पहले 23 मई 2013 को यूपीए सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा हरियाणा के बिनौला (गुडगांव)में ‘भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (इंदु)’ की जो नींव रखी गई थी अब वोे हकीकत में तब्दील नहीं हो सकेगा। क्योंकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित नई सरकार के पीएमओ विभाग की ओर से रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इंदु विश्वविद्यालय के गठन के लिए एक व्यापक कानून बनाने को कहा गया है, जिसके बाद ऐसी किसी परियोजना को हकीकत में अमलीजामा पहनाया जाएगा। पीएमओ की इस टिप्पणी से साफ है अब इंदु विश्वविद्यालय की परियोजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है।
ये कहता है पीएमओ का पत्र?
हरिभूमि की पड़ताल में यह जानकारी मिली है कि रक्षा मंत्रालय को भेजे गए पत्र में पीएम ने साफ कहा है कि रक्षा ही नहीं सरकार के किसी भी मंत्रालय को उच्च-शिक्षा से जुड़े किसी भी संस्थान को खोलने के लिए एक व्यापक कानून होना चाहिए। जिसके बाद इस तरह की कोई भी प्रक्रिया आगे बढ़ायी जानी चाहिए। जब तक यह व्यापक-विस्तृत कानून बनता है तब तक विभिन्न मंत्रालयों के ऐसे प्रस्तावों को जिन्हें संसद द्वारा कानून बनाकर स्थापित किया जाना है पर रोक लगी रहेगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि पीएमओ की ओर से यह पत्र मंत्रालय को बीते अप्रैल महीने में प्राप्त हुआ है।
साल के शुरूआत में अलग माहौल
इस वर्ष की शुरूआत यानि मार्च महीने में इस बात को लेकर चर्चाएं तेज थीं कि इंदु विश्वविद्यालय में इसी साल की शुरूआत से ही पहले शैक्षणिक सत्र 2015-16 की शुरूआत हो जाएगी। लेकिन इसके बाद अप्रैल महीने में पीएमओ की टिप्पणी के बाद अब परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं। पीएमओ की टिप्पणी से स्पष्ट है कि अब इंदु की स्थापना और संचालन फिलहाल दूर की कौड़ी बन गया है।
ऐसा होता इंदु का नक्शा
यूपीए सरकार द्वारा स्वीकार किए गए इस प्रस्ताव के मुताबिक गुड़गांव के बिनौला में 200 एकड़ में इंदु विश्वविद्यालय की नींव रखी जानी थी। इसमें देश की रक्षा-सुरक्षा को केंद्र में रखकर पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने थे। डिफेंस मैनेजमेंट, डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एमरजिंग सिक्योरिटी चैलेंजिज जैसे कोर्सेज शामिल किए गए थे। इसके अलावा रक्षा व सामारिक विषयों पर शोध कार्यों का भी खाका खींचा गया था।
प्रस्ताव के मुताबिक वॉर गैमिंग एंड स्मियुलेशन, नेबरहुड स्टडीज, काउंटर इंसरजेंसी एंड काउंटर टेरररिजम, चाइनीज स्टडीज, इवॉलुशन आॅफ स्ट्रेजिक थॉट, इंटरनेशनल सिक्योरिटी इशूज, मेरीटाइम सिक्योरिटी स्टडीज, साइथ ईस्ट एशियन स्टडीज, मैटीरियल एक्यूजीशन, जाइंट लॉजिस्टिक्स एंड नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी इन पीस एंड वॉर जैसे कोर्सेज शामिल थे। विश्वविद्यालय ने पोस्ट ग्रेजुएट और पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च भी छात्रों को कराने की योजना भी बनायी थी।
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